"बाज़ार के बीच मैं -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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यह भी कि व्यापारी ही अभ्यस्त है मुस्कानो के | यह भी कि व्यापारी ही अभ्यस्त है मुस्कानो के | ||
मै गुम हो सकता हूँ | मै गुम हो सकता हूँ | ||
जैसे ही जबडे खुले दुकानों के | |||
मै खो सकता हूँ ऐसे ही | मै खो सकता हूँ ऐसे ही | ||
जैसे ताइ का बेटा खो गया था शहर में | जैसे ताइ का बेटा खो गया था शहर में | ||
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सजाया गया है पार्क | सजाया गया है पार्क | ||
खिलाए गए है फूल | खिलाए गए है फूल | ||
कि मै कुछ भी | कि मै कुछ भी ख़रीदूँ बाज़ार से | ||
और लौट सकूँ पार्क मे | और लौट सकूँ पार्क मे | ||
सकून के लिए | सकून के लिए | ||
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जब कि बहुत खुश है बाज़ार | जब कि बहुत खुश है बाज़ार | ||
ऐसे कितने लोग हैं पूरे देश में | ऐसे कितने लोग हैं पूरे देश में | ||
जो जेब ओर | जो जेब ओर ज़रूरतों में | ||
सन्तुलन नहीं बिठा पा रहे हैं | सन्तुलन नहीं बिठा पा रहे हैं | ||
जो बाज़ार में बिना कुछ | जो बाज़ार में बिना कुछ ख़रीदे | ||
लगातार खर्च होते जा रहे हैं । | लगातार खर्च होते जा रहे हैं । | ||
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10:49, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
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