"बाज़ार के बीच मैं -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "जेसे" to "जैसे") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "जरूर" to "ज़रूर") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
|कवि =[[कुलदीप शर्मा]] | |कवि =[[कुलदीप शर्मा]] | ||
|जन्म= | |जन्म= | ||
|जन्म स्थान=([[ | |जन्म स्थान=([[उना हिमाचल|उना]], [[हिमाचल प्रदेश]]) | ||
|मुख्य रचनाएँ= | |मुख्य रचनाएँ= | ||
|यू-ट्यूब लिंक= | |यू-ट्यूब लिंक= | ||
पंक्ति 50: | पंक्ति 50: | ||
सजाया गया है पार्क | सजाया गया है पार्क | ||
खिलाए गए है फूल | खिलाए गए है फूल | ||
कि मै कुछ भी | कि मै कुछ भी ख़रीदूँ बाज़ार से | ||
और लौट सकूँ पार्क मे | और लौट सकूँ पार्क मे | ||
सकून के लिए | सकून के लिए | ||
पंक्ति 88: | पंक्ति 88: | ||
जब कि बहुत खुश है बाज़ार | जब कि बहुत खुश है बाज़ार | ||
ऐसे कितने लोग हैं पूरे देश में | ऐसे कितने लोग हैं पूरे देश में | ||
जो जेब ओर | जो जेब ओर ज़रूरतों में | ||
सन्तुलन नहीं बिठा पा रहे हैं | सन्तुलन नहीं बिठा पा रहे हैं | ||
जो बाज़ार में बिना कुछ | जो बाज़ार में बिना कुछ ख़रीदे | ||
लगातार खर्च होते जा रहे हैं । | लगातार खर्च होते जा रहे हैं । | ||
</poem> | </poem> |
10:49, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||
|
|