"प्रवासी पक्षी/ कूँज -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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बड़ी दूर से आए हैं | बड़ी दूर से आए हैं | ||
ये अतिथि | ये अतिथि | ||
ख़ाली करो इन के लिए | |||
इस झील के सारे तट | इस झील के सारे तट | ||
हटाओ सारी बंदूकें | हटाओ सारी बंदूकें | ||
पंक्ति 49: | पंक्ति 49: | ||
खुश्बू लिए | खुश्बू लिए | ||
ये आए हैं एक अच्छी खबर की तरह | ये आए हैं एक अच्छी खबर की तरह | ||
जैसे युद्ध से | जैसे युद्ध से फ़ौजी लौटा हो सुरक्षित | ||
या जैसे इच्छरां की गोद में | या जैसे इच्छरां की गोद में | ||
लौट आया हो पूरण़ | लौट आया हो पूरण़ | ||
पंक्ति 57: | पंक्ति 57: | ||
पता नहीं क्या नाम रखा है | पता नहीं क्या नाम रखा है | ||
धौलाधार का इन्होंने | धौलाधार का इन्होंने | ||
जहां न | जहां न बर्फ़ बची है न पेड़ | ||
पल भर रूक जाने का | पल भर रूक जाने का | ||
आग्रह भी नहीं करती | आग्रह भी नहीं करती | ||
पंक्ति 70: | पंक्ति 70: | ||
अपने नन्हे बच्चों को | अपने नन्हे बच्चों को | ||
बेसहारा छोड़कर आए हैं ये | बेसहारा छोड़कर आए हैं ये | ||
एक निहायत | एक निहायत ज़रूरी अभियान पऱ | ||
हो सकता है तुम्हारे साथ शामिल हों | हो सकता है तुम्हारे साथ शामिल हों | ||
ये इस बार दीवाली की शुभ कामनाओं में | ये इस बार दीवाली की शुभ कामनाओं में | ||
हो सकता है लोहड़ी पर | हो सकता है लोहड़ी पर | ||
सुनाएं तुम्हें ये परीकथा | सुनाएं तुम्हें ये परीकथा | ||
जिसे तुम भूल गए हो दादी | जिसे तुम भूल गए हो दादी माँ के बाद़ | ||
पंक्ति 89: | पंक्ति 89: | ||
आसमान में लिख आए हैं | आसमान में लिख आए हैं | ||
मेघदूत का संदेश | मेघदूत का संदेश | ||
युद्ध के | युद्ध के ख़िलाफ़ अमन की | ||
एक अमिट इबारत | एक अमिट इबारत | ||
इनके आते ही | इनके आते ही |
10:50, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
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