"ज्योति प्रकाश निराला": अवतरणों में अंतर

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'''ज्योति प्रकाश निराला''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jyoti Prakash Nirala'') [[भारतीय वायु सेना]] के गरुड़ कमांडों में से एक थे। [[कश्मीर]] में शहीद होने वाले कॉर्पोरल ज्योति प्रकाश निराला को [[26 जनवरी]], [[2018]] को '[[गणतंत्र दिवस]] के अवसर पर '[[अशोक चक्र]]' से सम्मानित किया गया। [[राष्ट्रपति]] [[रामनाथ कोविंद]] ने जाबांज निराला की पत्नी और मां को ये सम्मान दिया। ज्योति प्रकाश निराला [[18 नवंबर]], [[2017]] को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन में शामिल थे। उन्होंने इसमें तीन आतंकियों को मार गिराया था। इस एनकाउंटर के दौरान फायरिंग में ज्योति प्रकाश निराला शहीद हुए थे।
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'''ज्योति प्रकाश निराला''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jyoti Prakash Nirala'', जन्म- [[15 नवम्बर]], [[1986]] को [[रोहतास ज़िला]], [[बिहार]]; शहादत- [[18 नवंबर]], [[2017]], [[जम्मू-कश्मीर]]) [[भारतीय वायु सेना]] के गरुड़ कमांडों में से एक थे। [[कश्मीर]] में शहीद होने वाले कॉर्पोरल ज्योति प्रकाश निराला को [[26 जनवरी]], [[2018]] को '[[गणतंत्र दिवस]] के अवसर पर '[[अशोक चक्र]]' से सम्मानित किया गया। [[राष्ट्रपति]] [[रामनाथ कोविंद]] ने जाबांज निराला को मरणोपरान्त ये सम्मान दिया, जिसे उनकी पत्नी और मां ने ग्रहण किया। ज्योति प्रकाश निराला [[18 नवंबर]], [[2017]] को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन में शामिल थे। उन्होंने इसमें तीन आतंकियों को मार गिराया था। इस एनकाउंटर के दौरान फायरिंग में ज्योति प्रकाश निराला शहीद हुए थे।
==परिचय==
==परिचय==
ज्योति प्रकाश निराला रोहतास ज़िला, [[बिहार]] के बदलाडीह नामक [[गांव]] के रहने वाले थे। साल [[2005]] में ज्योति प्रकाश निराला ने [[भारतीय वायु सेना]] में प्रवेश किया था। पांच साल बाद [[2010]] में उनका [[विवाह]] सुषमा से हुआ। उनकी चार साल की एक बेटी है। बहन बिंदू कुमारी, शशी कुमारी और सुनीता कुमारी के विवाह आदि का दायित्व भी उन्हीं पर था, लेकिन उससे पहले ही वे शहीद हो गए। ज्योति प्रकाश निराला सेना की काउंटरजेंसी फोर्स में आईएएफ के गरुड़ कमांडो के तौर पर राष्ट्रीय रायफल्स से जुड़े थे। वर्ष [[2017]] से ही गरुड़ कमांडोज आर्मी के ग्राउंड ऑपरेशंस में हिस्सा बन रहे हैं। गरुड़ कमांडोज की छोटी टुकड़ी को सेना के साथ जोड़ने का फैसला [[जनवरी]], [[2016]] में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद लिया गया था।
ज्योति प्रकाश निराला का जन्म 15 नवम्बर, 1986 को रोहतास ज़िला, [[बिहार]] के बदलाडीह नामक [[गांव]] में हुआ था। साल [[2005]] में ज्योति प्रकाश निराला ने [[भारतीय वायु सेना]] में प्रवेश किया था। पांच साल बाद [[2010]] में उनका [[विवाह]] सुषमा से हुआ। उनकी चार साल की एक बेटी है। बहन बिंदू कुमारी, शशी कुमारी और सुनीता कुमारी के विवाह आदि का दायित्व भी उन्हीं पर था, लेकिन उससे पहले ही वे शहीद हो गए। ज्योति प्रकाश निराला सेना की काउंटरजेंसी फोर्स में आईएएफ के गरुड़ कमांडो के तौर पर राष्ट्रीय रायफल्स से जुड़े थे। वर्ष [[2017]] से ही गरुड़ कमांडोज आर्मी के ग्राउंड ऑपरेशंस में हिस्सा बन रहे हैं। गरुड़ कमांडोज की छोटी टुकड़ी को सेना के साथ जोड़ने का फैसला [[जनवरी]], [[2016]] में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद लिया गया था।
==बांदीपोरा का ऑपरेशन==
==बांदीपोरा का ऑपरेशन==
ज्योति प्रकाश निराला 'ऑपरेशन रक्षक' के अंतर्गत [[जम्मू कश्मीर]] में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। [[नवंबर]], [[2017]] को इंटेलिजेंस से जानकारी मिली कि बांदीपोरा के चंदरगढ़ गांव में आतंकवादी एक घर में छिपे हुए हैं। जानकारी मिलते ही निराला के नेतृत्व में सेना की टुकड़ी वहां पहुंच गई। सेना की टुकड़ी के वहां पहुंचते ही आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसकी आड़ में आतंकी वहां से भागना चाहते थे; लेकिन ज्योति प्रकाश निराला अदम्य साहस दिखाते हुए खुद को उनके इतना करीब ले गए कि आतंकियों के भागने की संभावना समाप्त हो गई।
ज्योति प्रकाश निराला 'ऑपरेशन रक्षक' के अंतर्गत [[जम्मू कश्मीर]] में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। [[नवंबर]], [[2017]] को इंटेलिजेंस से जानकारी मिली कि बांदीपोरा के चंदरगढ़ गांव में आतंकवादी एक घर में छिपे हुए हैं। जानकारी मिलते ही निराला के नेतृत्व में सेना की टुकड़ी वहां पहुंच गई। सेना की टुकड़ी के वहां पहुंचते ही आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसकी आड़ में आतंकी वहां से भागना चाहते थे; लेकिन ज्योति प्रकाश निराला अदम्य साहस दिखाते हुए खुद को उनके इतना करीब ले गए कि आतंकियों के भागने की संभावना समाप्त हो गई।


आतंकियों पर गोलियां बरसाते हुए ज्योति प्रकाश निराला ने दो आतंकवादियों को मार गिराया और दो को गंभीर रूप से घायल कर दिया। ज्योति के हाथों मारे गए दो खूंखार आतंकवादियों में से एक लश्कर कमांडर लखवी का भतीजा उबैद उर्फ ओसामा था और दूसरे का नाम महमूद भाई था। इस गोलीबारी में कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को भी गोली लग गई, लेकिन घायल होने के बाद भी वह आतंकियों का सामना करते रहे। सेना की इस कार्यवाई में घर में छिपे सभी छह आतंकवादी मारे गए, लेकिन इस मुठभेड़ में कमांडो ज्योति प्रकाश निराला ने भी अपनी शहादत दे दी।<ref>{{cite web |url=https://hindi.firstpost.com/india/president-ramnath-kovind-awarded-jyoti-prakash-nirala-by-ashok-chakra-posthumously-on-republic-day-no-84293.html |title=अशोक चक्र से सम्मानित कमांडो निराला की शहादत की कहानी |accessmonthday=27 जनवरी |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.firstpost.com |language=हिंदी }}</ref>
आतंकियों पर गोलियां बरसाते हुए ज्योति प्रकाश निराला ने दो आतंकवादियों को मार गिराया और दो को गंभीर रूप से घायल कर दिया। ज्योति के हाथों मारे गए दो खूंखार आतंकवादियों में से एक लश्कर कमांडर लखवी का भतीजा उबैद उर्फ ओसामा था और दूसरे का नाम महमूद भाई था। इस गोलीबारी में कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को भी गोली लग गई, लेकिन घायल होने के बाद भी वह आतंकियों का सामना करते रहे। सेना की इस कार्यवाई में घर में छिपे सभी छह आतंकवादी मारे गए, लेकिन इस मुठभेड़ में कमांडो ज्योति प्रकाश निराला ने भी अपनी शहादत दे दी।<ref>{{cite web |url=https://hindi.firstpost.com/india/president-ramnath-kovind-awarded-jyoti-prakash-nirala-by-ashok-chakra-posthumously-on-republic-day-no-84293.html |title=अशोक चक्र से सम्मानित कमांडो निराला की शहादत की कहानी |accessmonthday=27 जनवरी |accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.firstpost.com |language=हिंदी }}</ref>
[[चित्र:Jyoti-Prakash-Nirala-1.jpg|thumb|left|250px|ज्योति प्रकाश निराला की पत्नी को '[[अशोक चक्र]]' प्रदान करते [[राष्ट्रपति]] [[रामनाथ कोविंद]]]]
=='अशोक च्रक' सम्मान==
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राजपथ पर 69वें [[गणतंत्र दिवस]] समारोह के दौरान कमांडो ज्योति प्रकाश निराला की पत्नी सुषमानंद और मां मालती देवी ने [[राष्ट्रपति]] [[रामनाथ कोविंद]] से '[[अशोक चक्र]] प्राप्त किया। 'अशोक च्रक' शांतिकाल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। ज्योति प्रकाश निराला वीरता का सर्वोच्च सम्मान पाने वाले भारतीय वायु सेना के तीन सदस्यों में शामिल हो गए हैं। निराला के पहले [[निर्मलजीत सिंह सेखों|फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों]] को [[1971]] के युद्ध में अद्भुत साहस दिखाने के लिए मरणोपरांत '[[परमवीर चक्र]]' दिया गया था। स्कवॉड्रन लीडर [[राकेश शर्मा]] को भी [[1984]] में 'अशोक चक्र' दिया गया था।  
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ज्योति प्रकाश निराला वीरता का सर्वोच्च सम्मान पाने वाले भारतीय वायु सेना के तीन सदस्यों में शामिल हो गए हैं। निराला के पहले [[निर्मलजीत सिंह सेखों|फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों]] को [[1971]] के युद्ध में अद्भुत साहस दिखाने के लिए मरणोपरांत '[[परमवीर चक्र]]' दिया गया था। स्कवॉड्रन लीडर [[राकेश शर्मा]] को भी [[1984]] में 'अशोक चक्र' दिया गया था।  


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05:34, 28 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

ज्योति प्रकाश निराला
ज्योति प्रकाश निराला
ज्योति प्रकाश निराला
पूरा नाम ज्योति प्रकाश निराला
जन्म 15 नवम्बर, 1986
जन्म भूमि रोहतास ज़िला, बिहार
मृत्यु बाँदीपोरा, जम्मू-कश्मीर
स्थान जम्मू-कश्मीर
अभिभावक माता- मालती देवी
पति/पत्नी सुषमा
सेना भारतीय वायु सेना
रैंक कॉर्पोरल
यूनिट राष्ट्रीय रायफल्स, गरुड़ कमांडो
सेवा काल 1995–2017
सम्मान 'अशोक चक्र'
नागरिकता भारतीय
सर्विस नं. 918203
अन्य जानकारी ज्योति प्रकाश निराला के पहले फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों को 1971 के युद्ध में अद्भुत साहस दिखाने के लिए मरणोपरांत 'परमवीर चक्र' दिया गया था। स्कवॉड्रन लीडर राकेश शर्मा को भी 1984 में 'अशोक चक्र' दिया गया था।

ज्योति प्रकाश निराला (अंग्रेज़ी: Jyoti Prakash Nirala, जन्म- 15 नवम्बर, 1986 को रोहतास ज़िला, बिहार; शहादत- 18 नवंबर, 2017, जम्मू-कश्मीर) भारतीय वायु सेना के गरुड़ कमांडों में से एक थे। कश्मीर में शहीद होने वाले कॉर्पोरल ज्योति प्रकाश निराला को 26 जनवरी, 2018 को 'गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जाबांज निराला को मरणोपरान्त ये सम्मान दिया, जिसे उनकी पत्नी और मां ने ग्रहण किया। ज्योति प्रकाश निराला 18 नवंबर, 2017 को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन में शामिल थे। उन्होंने इसमें तीन आतंकियों को मार गिराया था। इस एनकाउंटर के दौरान फायरिंग में ज्योति प्रकाश निराला शहीद हुए थे।

परिचय

ज्योति प्रकाश निराला का जन्म 15 नवम्बर, 1986 को रोहतास ज़िला, बिहार के बदलाडीह नामक गांव में हुआ था। साल 2005 में ज्योति प्रकाश निराला ने भारतीय वायु सेना में प्रवेश किया था। पांच साल बाद 2010 में उनका विवाह सुषमा से हुआ। उनकी चार साल की एक बेटी है। बहन बिंदू कुमारी, शशी कुमारी और सुनीता कुमारी के विवाह आदि का दायित्व भी उन्हीं पर था, लेकिन उससे पहले ही वे शहीद हो गए। ज्योति प्रकाश निराला सेना की काउंटरजेंसी फोर्स में आईएएफ के गरुड़ कमांडो के तौर पर राष्ट्रीय रायफल्स से जुड़े थे। वर्ष 2017 से ही गरुड़ कमांडोज आर्मी के ग्राउंड ऑपरेशंस में हिस्सा बन रहे हैं। गरुड़ कमांडोज की छोटी टुकड़ी को सेना के साथ जोड़ने का फैसला जनवरी, 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले के बाद लिया गया था।

बांदीपोरा का ऑपरेशन

ज्योति प्रकाश निराला 'ऑपरेशन रक्षक' के अंतर्गत जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। नवंबर, 2017 को इंटेलिजेंस से जानकारी मिली कि बांदीपोरा के चंदरगढ़ गांव में आतंकवादी एक घर में छिपे हुए हैं। जानकारी मिलते ही निराला के नेतृत्व में सेना की टुकड़ी वहां पहुंच गई। सेना की टुकड़ी के वहां पहुंचते ही आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसकी आड़ में आतंकी वहां से भागना चाहते थे; लेकिन ज्योति प्रकाश निराला अदम्य साहस दिखाते हुए खुद को उनके इतना करीब ले गए कि आतंकियों के भागने की संभावना समाप्त हो गई।

आतंकियों पर गोलियां बरसाते हुए ज्योति प्रकाश निराला ने दो आतंकवादियों को मार गिराया और दो को गंभीर रूप से घायल कर दिया। ज्योति के हाथों मारे गए दो खूंखार आतंकवादियों में से एक लश्कर कमांडर लखवी का भतीजा उबैद उर्फ ओसामा था और दूसरे का नाम महमूद भाई था। इस गोलीबारी में कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को भी गोली लग गई, लेकिन घायल होने के बाद भी वह आतंकियों का सामना करते रहे। सेना की इस कार्यवाई में घर में छिपे सभी छह आतंकवादी मारे गए, लेकिन इस मुठभेड़ में कमांडो ज्योति प्रकाश निराला ने भी अपनी शहादत दे दी।[1]

ज्योति प्रकाश निराला की पत्नी को 'अशोक चक्र' प्रदान करते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

'अशोक च्रक' सम्मान

राजपथ पर 69वें गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान कमांडो ज्योति प्रकाश निराला की पत्नी सुषमा और मां मालती देवी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से 'अशोक चक्र प्राप्त किया। 'अशोक च्रक' शांतिकाल में दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।


ज्योति प्रकाश निराला वीरता का सर्वोच्च सम्मान पाने वाले भारतीय वायु सेना के तीन सदस्यों में शामिल हो गए हैं। निराला के पहले फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों को 1971 के युद्ध में अद्भुत साहस दिखाने के लिए मरणोपरांत 'परमवीर चक्र' दिया गया था। स्कवॉड्रन लीडर राकेश शर्मा को भी 1984 में 'अशोक चक्र' दिया गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अशोक चक्र से सम्मानित कमांडो निराला की शहादत की कहानी (हिंदी) hindi.firstpost.com। अभिगमन तिथि: 27 जनवरी, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

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