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जब से मंदिर है, तब से यहाँ एक प्राचीन बावड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि माता ने अपने भक्तों को निरोगी बनाने के लिए जमीन से यह [[जल]] निकाला था और कहा था कि मेरी इस बावड़ी के जल से जो भी [[स्नान]] करेगा, वह व्यक्ति रोगमुक्त हो जाएगा। मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी का जल अमृत तुल्य है। माता की इस बावड़ी के चमत्कारी जल से स्नान करने पर समस्त शारीरिक व्याधियाँ दूर होती हैं। | जब से मंदिर है, तब से यहाँ एक प्राचीन बावड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि माता ने अपने भक्तों को निरोगी बनाने के लिए जमीन से यह [[जल]] निकाला था और कहा था कि मेरी इस बावड़ी के जल से जो भी [[स्नान]] करेगा, वह व्यक्ति रोगमुक्त हो जाएगा। मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी का जल अमृत तुल्य है। माता की इस बावड़ी के चमत्कारी जल से स्नान करने पर समस्त शारीरिक व्याधियाँ दूर होती हैं। | ||
==आरती में सम्मिलित जानवर== | ==आरती में सम्मिलित जानवर== | ||
यह भी आश्चर्यजनक है कि जब भादवा माता की आरती होती है, तब यहाँ मुर्गा, कुत्ता, बकरी आदि सभी जानवर बड़ी तल्लीनता से माता की आरती में शामिल होते हैं। आरती के समय मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ के साथ मुर्गे और बकरियां भी घूमती नजर आती हैं। ये जानवर कहाँ से आते हैं, इसके लिए एक और रोचक बात है। लोगों का मानना है कि मंदिर में लोग मन्नतें मानते हैं और जब मुराद पूरी हो जाती है तो मन्नतों के अनुसार लोग इस मंदिर में जिंदा मुर्गे और बकरी छोड़ जाते हैं। इसके अलावा, [[चांदी]] और [[सोना|सोने]] की [[आंख]] और हाथ भी माता को चढ़ाए जाते हैं। माता अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती। यहाँ अमीर हो या | यह भी आश्चर्यजनक है कि जब भादवा माता की आरती होती है, तब यहाँ मुर्गा, कुत्ता, बकरी आदि सभी जानवर बड़ी तल्लीनता से माता की आरती में शामिल होते हैं। आरती के समय मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ के साथ मुर्गे और बकरियां भी घूमती नजर आती हैं। ये जानवर कहाँ से आते हैं, इसके लिए एक और रोचक बात है। लोगों का मानना है कि मंदिर में लोग मन्नतें मानते हैं और जब मुराद पूरी हो जाती है तो मन्नतों के अनुसार लोग इस मंदिर में जिंदा मुर्गे और बकरी छोड़ जाते हैं। इसके अलावा, [[चांदी]] और [[सोना|सोने]] की [[आंख]] और हाथ भी माता को चढ़ाए जाते हैं। माता अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती। यहाँ अमीर हो या ग़रीब, इंसान हो या जानवर, सभी मंदिर परिसर में माँ की मूर्ति के सामने रात में विश्राम करते हैं और एक साथ मिलकर माता का गुणगान करते हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.samaylive.com/lifestyle-news-in-hindi/religion-news-in-hindi/157925/Badwa%20Mata%20Temple,%20miracles,%20light,.html |title=चमत्कारी भादवा माता मंदिर|accessmonthday=24 अक्टूबर|accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिंदी}}</ref> | ||
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भगवान विष्णु का नव तोरड़ मंदिर भी यहाँ का आकर्षक केंद्र है। यहाँ भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा [[नीमच]] से लगभग 25 कि.मी. की दूरी पर सुखानंद महादेव और कृष्णा महल नजदीकी दर्शनीय स्थल हैं। अन्य दर्शनीय स्थलों में निम्नलिखित हैं- | भगवान विष्णु का नव तोरड़ मंदिर भी यहाँ का आकर्षक केंद्र है। यहाँ भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा [[नीमच]] से लगभग 25 कि.मी. की दूरी पर सुखानंद महादेव और कृष्णा महल नजदीकी दर्शनीय स्थल हैं। अन्य दर्शनीय स्थलों में निम्नलिखित हैं- |
09:19, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
भादवा माता मंदिर
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विवरण | भादवा माता मंदिर मध्य प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। मंदिर में भादवा माता सुंदर चांदी के सिंहासन पर विराजमाना हैं। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
जिला | नीमच |
धार्मिक मान्यता | धार्मिक मान्यता |
विशेष | मान्यता पूरी होने पर लोग इस मंदिर में जिंदा मुर्गे और बकरी छोड़ जाते हैं। इसके अलावा, चांदी और सोने की आंख और हाथ भी माता को चढ़ाए जाते हैं। |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश, नीमच |
अन्य जानकारी | मंदिर में माता की मूर्ति के सामने चमत्कारिक ज्योति जलती रहती है। यह ज्योति कई वर्षों से बिना रुके लगातार जल रही है। |
भादवा माता मंदिर मध्य प्रदेश के नीमच शहर से लगभग 18 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में भादवा माता सुंदर चांदी के सिंहासन पर विराजमाना हैं। माता की मूर्ति के सामने चमत्कारिक ज्योति जलती रहती है। यह ज्योति कई वर्षों से बिना रुके लगातार जल रही है। ऐसा माना जाता है कि भादवा माता रोज मंदिरों का फेरा लगाती हैं। वह अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर निरोगी बनाती हैं, इसलिए दूर-दूर से माँ के भक्त मंदिर के सामने ही विश्राम कर रात गुजारते हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है कि माता के आशीर्वाद से लकवा, नेत्रहीनता, कोढ़ आदि से ग्रस्त रोगी निरोगी होकर घर जाते हैं।
मोहक प्रतिमा
भादवा माता के मंदिर में चाँदी के सिंहासन पर विराजित है माँ की चमत्कारी मूर्ति। इस मूर्ति के नीचे माँ नवदुर्गा के नौ रूप विराजित हैं। कहते हैं मूर्ति भी चमत्कारी है। इससे भी कहीं अधिक चमत्कारी वह ज्योत है, जो कई सालों से अखंडित रूप से जलती जा रही है। यह ज्योत कभी नहीं बुझी और माँ के चमत्कार भी कभी नहीं रुके। आज भी यह ज्योत माँ की प्रतिमा के समीप ही प्रज्ज्वलित हो रही है।[1]
चमत्कार
माता के इस मंदिर में साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं। देश के अलग-अलग इलाकों से यहाँ लकवा ग्रस्त व नेत्रहीन रोगी आते हैं, जो माँ के मंदिर के सामने ही रात्रि विश्राम करते हैं। बारह महीने यहाँ भक्तों का जमावड़ा रहता है। मंदिर परिसर में इधर-उधर डेरा डाले कई लकवा रोगी देखने को मिल जाएँगे, जो निरोगी होने की उम्मीद से कई मीलों का सफर तय करके भादवा धाम आते हैं।
माता का फेरा
कहा जाता है कि रोज रात को माता मंदिर में फेरा लगाती हैं तथा अपने भक्तों को आशीष देकर उन्हें निरोगी करती हैं। इसीलिए रात्रि के समय श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में रुकते हैं और विश्राम करते हैं। कई लोग यहाँ आए तो दूसरों के कंधों के सहारे, परंतु गए बिना किसी सहारे के अपने पैरों पर।
प्राचीन बावड़ी
जब से मंदिर है, तब से यहाँ एक प्राचीन बावड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि माता ने अपने भक्तों को निरोगी बनाने के लिए जमीन से यह जल निकाला था और कहा था कि मेरी इस बावड़ी के जल से जो भी स्नान करेगा, वह व्यक्ति रोगमुक्त हो जाएगा। मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी का जल अमृत तुल्य है। माता की इस बावड़ी के चमत्कारी जल से स्नान करने पर समस्त शारीरिक व्याधियाँ दूर होती हैं।
आरती में सम्मिलित जानवर
यह भी आश्चर्यजनक है कि जब भादवा माता की आरती होती है, तब यहाँ मुर्गा, कुत्ता, बकरी आदि सभी जानवर बड़ी तल्लीनता से माता की आरती में शामिल होते हैं। आरती के समय मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ के साथ मुर्गे और बकरियां भी घूमती नजर आती हैं। ये जानवर कहाँ से आते हैं, इसके लिए एक और रोचक बात है। लोगों का मानना है कि मंदिर में लोग मन्नतें मानते हैं और जब मुराद पूरी हो जाती है तो मन्नतों के अनुसार लोग इस मंदिर में जिंदा मुर्गे और बकरी छोड़ जाते हैं। इसके अलावा, चांदी और सोने की आंख और हाथ भी माता को चढ़ाए जाते हैं। माता अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करती। यहाँ अमीर हो या ग़रीब, इंसान हो या जानवर, सभी मंदिर परिसर में माँ की मूर्ति के सामने रात में विश्राम करते हैं और एक साथ मिलकर माता का गुणगान करते हैं।[2]
अन्य दर्शनीय स्थल
भगवान विष्णु का नव तोरड़ मंदिर भी यहाँ का आकर्षक केंद्र है। यहाँ भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा नीमच से लगभग 25 कि.मी. की दूरी पर सुखानंद महादेव और कृष्णा महल नजदीकी दर्शनीय स्थल हैं। अन्य दर्शनीय स्थलों में निम्नलिखित हैं-
- आंतरी माता मंदिर
- जोगनिया माता मंदिर
- कोटा का जग मंदिर
- भीमताल टैंक
- चित्तौड़गढ़ किला
नवरात्र
प्रतिवर्ष चैत्र और कार्तिक माह में नवरात्र पर भादवा माता मंदिर परिक्षेत्र में विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें शामिल होने दूर-दूर से भक्त आते हैं। कुछ भक्त अपने पदवेश त्यागकर नंगे पैर माँ के दरबार में हाजिरी लगाते हैं। नवरात्र पर विशेष रूप से माँ भादवा के धाम तक की कई बसे चलती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भादवा माता का चमत्कारी मंदिर (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 24 अक्टूबर, 2013।
- ↑ चमत्कारी भादवा माता मंदिर (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 24 अक्टूबर, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख