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*1953 में इस स्थान से तीसरी शती ई. के गोढ्य-वंशी राजा शीलवर्मन् द्वारा किए गए [[अश्वमेध यज्ञ]] के चिह्न प्राप्त हुए थे।  
*[[1953]] में इस स्थान से तीसरी शती ई. के गोढ्य-वंशी राजा शीलवर्मन् द्वारा किए गए [[अश्वमेध यज्ञ]] के चिह्न प्राप्त हुए थे।  
*शीलवर्मन् ऐतिहासिक काल के उन थोड़े से राजाओं में से हैं जिन्हें महान् अश्वमेध यज्ञ करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।  
*शीलवर्मन् ऐतिहासिक काल के उन थोड़े से राजाओं में से हैं जिन्हें महान् अश्वमेध यज्ञ करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।  
*प्रथम शती ई. पू. में इतिहास-प्रसिद्ध शुंगनरेश पुष्यमित्र ने भी अश्वमेध यज्ञ किया था।
*प्रथम शती ई. पू. में इतिहास-प्रसिद्ध [[पुष्यमित्र शुंग|शुंगनरेश पुष्यमित्र]] ने भी अश्वमेध यज्ञ किया था।
*वह समय था जब प्राचीन [[वैदिक धर्म]] [[बौद्ध धर्म]] के सर्वग्रास से धीरे-धीरे मुक्त हो रहा था।  
*वह समय था जब प्राचीन [[वैदिक धर्म]] [[बौद्ध धर्म]] के सर्वग्रास से धीरे-धीरे मुक्त हो रहा था।  
*संभव है शीलवर्मन् ने भी प्राचीन परंपरा का निर्वाह करते हुए ही इस स्थान पर अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया था।  
*संभव है शीलवर्मन् ने भी प्राचीन परंपरा का निर्वाह करते हुए ही इस स्थान पर अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया था।  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर
*ऐतिहासिक स्थानावली |पृष्ठ संख्या= 9| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


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[[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]]
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09:53, 3 मई 2018 के समय का अवतरण

  • 1953 में इस स्थान से तीसरी शती ई. के गोढ्य-वंशी राजा शीलवर्मन् द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ के चिह्न प्राप्त हुए थे।
  • शीलवर्मन् ऐतिहासिक काल के उन थोड़े से राजाओं में से हैं जिन्हें महान् अश्वमेध यज्ञ करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
  • प्रथम शती ई. पू. में इतिहास-प्रसिद्ध शुंगनरेश पुष्यमित्र ने भी अश्वमेध यज्ञ किया था।
  • वह समय था जब प्राचीन वैदिक धर्म बौद्ध धर्म के सर्वग्रास से धीरे-धीरे मुक्त हो रहा था।
  • संभव है शीलवर्मन् ने भी प्राचीन परंपरा का निर्वाह करते हुए ही इस स्थान पर अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया था।
  • अकतग्राम से शीलवर्मन् के संस्कृत अभिलेख के अतिरिक्त अश्वमेध के यूपादि के भी अवशेष प्राप्त हुए हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  • ऐतिहासिक स्थानावली |पृष्ठ संख्या= 9| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

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