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'''आमूर''' उत्तर पूर्वी एशिया की एक नदी का नाम। इस नदी की उत्पत्ति साइबेरिया की नदी शिल्का तथा मंचूरिया की नदी अर्गुन के 53° उ.अ. तथा 121° पू.दे. पर मिलने से होती है। 1770 मील लंबी यह नदी सखालीन द्वीप के सामने तार्तार जलडमरूमध्य में गिरती है। अपनी 200 सहायक नदियों के साथ 7,10,000 वर्ग मील की वर्षा को लेती हुई यह नदी विश्व की 10 वीं तथा सोवियत रूस की चौथी सबसे बड़ी नदी है। चीनी इसे काली राक्षसी कहते हैं। इसके किनारे पर निराली प्राकृतिक छटावाले वन, पर्वत,घास के मैदान तथा दलदल हैं। वसंत ऋतु में हिम पिघलने के कारण आमूर में बाढ़ आ जाती है और संपूर्ण नदी नौकावहन योग्य होकर, सुदूरपूर्व सोवियत भूमि के यातायात का प्रमुख साधन बन जाती है। अनाज, नमक एवं औद्योगिक वस्तुएँ मुहाने की ओर तथा मछली एवं लकड़ी उद्गम की ओर जाती हैं। सुंगरो तथा उसूरी आमूर की मुख्य सहायक नदियाँ हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=394 |url=}}</ref>
'''आमूर''' उत्तर पूर्वी एशिया की एक नदी का नाम। इस नदी की उत्पत्ति साइबेरिया की नदी शिल्का तथा मंचूरिया की नदी अर्गुन के 53° उ.अ. तथा 121° पू.दे. पर मिलने से होती है। 1770 मील लंबी यह नदी सखालीन द्वीप के सामने तार्तार जलडमरूमध्य में गिरती है। अपनी 200 सहायक नदियों के साथ 7,10,000 वर्ग मील की वर्षा को लेती हुई यह नदी विश्व की 10 वीं तथा सोवियत रूस की चौथी सबसे बड़ी नदी है। चीनी इसे काली राक्षसी कहते हैं। इसके किनारे पर निराली प्राकृतिक छटावाले वन, पर्वत,घास के मैदान तथा दलदल हैं। वसंत ऋतु में हिम पिघलने के कारण आमूर में बाढ़ आ जाती है और संपूर्ण नदी नौकावहन योग्य होकर, सुदूरपूर्व सोवियत भूमि के यातायात का प्रमुख साधन बन जाती है। अनाज, नमक एवं औद्योगिक वस्तुएँ मुहाने की ओर तथा मछली एवं लकड़ी उद्गम की ओर जाती हैं। सुंगरो तथा उसूरी आमूर की मुख्य सहायक नदियाँ हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=394 |url=}}</ref>



09:17, 14 जून 2018 के समय का अवतरण

आमूर एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- आमूर (बहुविकल्पी)

आमूर उत्तर पूर्वी एशिया की एक नदी का नाम। इस नदी की उत्पत्ति साइबेरिया की नदी शिल्का तथा मंचूरिया की नदी अर्गुन के 53° उ.अ. तथा 121° पू.दे. पर मिलने से होती है। 1770 मील लंबी यह नदी सखालीन द्वीप के सामने तार्तार जलडमरूमध्य में गिरती है। अपनी 200 सहायक नदियों के साथ 7,10,000 वर्ग मील की वर्षा को लेती हुई यह नदी विश्व की 10 वीं तथा सोवियत रूस की चौथी सबसे बड़ी नदी है। चीनी इसे काली राक्षसी कहते हैं। इसके किनारे पर निराली प्राकृतिक छटावाले वन, पर्वत,घास के मैदान तथा दलदल हैं। वसंत ऋतु में हिम पिघलने के कारण आमूर में बाढ़ आ जाती है और संपूर्ण नदी नौकावहन योग्य होकर, सुदूरपूर्व सोवियत भूमि के यातायात का प्रमुख साधन बन जाती है। अनाज, नमक एवं औद्योगिक वस्तुएँ मुहाने की ओर तथा मछली एवं लकड़ी उद्गम की ओर जाती हैं। सुंगरो तथा उसूरी आमूर की मुख्य सहायक नदियाँ हैं।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 394 |

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