"शशिभूषण रथ": अवतरणों में अंतर
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'''शशिभूषण रथ''' (जन्म- [[1 जनवरी]], [[1885]], [[गंजाम]], मृत्यु- [[20 मार्च]], [[1943]]) 'उड़िया पत्रकारिता के जनक' और स्वतंत्रता सैनानी थे। पत्रकारिता के अभाव में [[उड़ीसा]] की जन भावना प्रकट नहीं हो पाती थी। इस अभाव को दूर करने के लिए शशिभूषण रथ ने [[1913]] में 'आशा' नाम का साप्ताहिक पत्र निकाला। उन्होंने महिलाओं के उत्थान का समर्थन किया था। | {{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी | ||
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'''शशिभूषण रथ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sashibhusan Rath'', जन्म- [[1 जनवरी]], [[1885]], [[गंजाम]], मृत्यु- [[20 मार्च]], [[1943]]) 'उड़िया पत्रकारिता के जनक' और स्वतंत्रता सैनानी थे। पत्रकारिता के अभाव में [[उड़ीसा]] की जन भावना प्रकट नहीं हो पाती थी। इस अभाव को दूर करने के लिए शशिभूषण रथ ने [[1913]] में 'आशा' नाम का साप्ताहिक पत्र निकाला। उन्होंने महिलाओं के उत्थान का समर्थन किया था। | |||
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13:02, 17 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
शशिभूषण रथ
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पूरा नाम | शशिभूषण रथ |
जन्म | 1 जनवरी, 1885 |
जन्म भूमि | ज़िला गंजाम, उड़ीसा |
मृत्यु | 20 मार्च, 1943 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | पत्रकार और स्वतंत्रता सैनानी |
अन्य जानकारी | शशिभूषण रथ को "उड़िया पत्रकारिता का जनक" कहा जाता है। पत्रकारिता के अभाव में उड़ीसा की जन भावना प्रकट नहीं हो पाती थी। इस अभाव को दूर करने के लिए शशिभूषण रथ ने 1913 में 'आशा' नाम का साप्ताहिक पत्र निकाला। |
शशिभूषण रथ (अंग्रेज़ी: Sashibhusan Rath, जन्म- 1 जनवरी, 1885, गंजाम, मृत्यु- 20 मार्च, 1943) 'उड़िया पत्रकारिता के जनक' और स्वतंत्रता सैनानी थे। पत्रकारिता के अभाव में उड़ीसा की जन भावना प्रकट नहीं हो पाती थी। इस अभाव को दूर करने के लिए शशिभूषण रथ ने 1913 में 'आशा' नाम का साप्ताहिक पत्र निकाला। उन्होंने महिलाओं के उत्थान का समर्थन किया था।
परिचय
'उड़िया पत्रकारिता के जनक' शशिभूषण रथ का जन्म 1 जनवरी, 1885 ई. को गंजाम ज़िले में हुआ था। वह लंबोदर महापात्र के पुत्र थे, पर उनके दादा ने जन्म से पहले ही उन्हें अपने एक संबंधी दिगंबर रथ को गोद दे दिया था। शशिभूषण के विद्यार्थी जीवन काल में ही उड़ीसा को अलग राज्य बनाने के आंदोलन ने जोर पकड़ लिया था। सन 1903 में इसके लिए पहली बार 'उत्कल सम्मिलनी' हुई। इस आंदोलन का ही परिणाम था कि 1912 में बंगाल से अलग करके बिहार, उड़ीसा का नया प्रांत बना। लेकिन गंजाम को इसमें नहीं मिलाया गया। इस पर फिर आंदोलन हुआ और अपनी पढ़ाई छोड़कर शशिभूषण भी उसमें कूद पड़े। आजीविका के लिए छोटी-मोटी नौकरियां करते हुए वे उस समय के प्रमुख नेताओं के संपर्क में आए और कांग्रेस के सदस्य बन गए।[1]
पत्रकारिता के जनक
शशिभूषण रथ को "उड़िया पत्रकारिता का जनक" कहा जाता है। पत्रकारिता के अभाव में उड़ीसा की जन भावना प्रकट नहीं हो पाती थी। इस अभाव को दूर करने के लिए शशिभूषण रथ ने 1913 में 'आशा' नाम का साप्ताहिक पत्र निकाला। यह उस प्रांत में पत्रकारिता का आरंभ था। जब साप्ताहिक पत्र से पर्याप्त प्रचार नहीं हो पा रहा था तो 1928 में उन्होंने इसे दैनिक कर दिया। कुछ वर्ष बाद 'न्यू उड़ीसा' नामक अंग्रेज़ी दैनिक का प्रकाशन किया। 'आशा' के प्रकाशन से प्रेरित होकर कुछ और पत्र भी अस्तित्व में आए। ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्मांतरण को देखते हुए शशिभूषण रथ ने समाज सेवा का काम अपने हाथ में ले लिया।
सामाजिक कार्य
शशिभूषण रथ महिलाओं के उत्थान के लिये काम करते थे। उन्होंने विधवा विवाह और महिलाओं की स्थिति सुधारने का समर्थन किया। ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्मांतरण को देखते हुए समाज सेवा का काम अपने हाथ में लिया। 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में वे जेल भी गए।
मृत्यु
शशिभूषण रथ का 20 मार्च, 1943 को निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 833 |
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