"शनि अमावस्या": अवतरणों में अंतर

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|पाठ 5='शनि स्तोत्र' का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु, जैसे- काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि देव [[वर्ष]] भर कष्टों से बचाए रखते हैं।
|पाठ 5='शनि स्तोत्र' का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु, जैसे- काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि देव [[वर्ष]] भर कष्टों से बचाए रखते हैं।
|संबंधित लेख=[[शनि देव]], [[सूर्य देव]], [[हनुमान]], [[राहु देव|राहु]], [[शनि चालीसा]], [[हनुमान चालीसा]]
|संबंधित लेख=[[शनि जयंती]], [[शनि देव]], [[सूर्य देव]], [[हनुमान]], [[राहु देव|राहु]], [[शनि चालीसा]], [[हनुमान चालीसा]]
|अन्य जानकारी=शनि देव समस्त [[ग्रह|ग्रहों]] के मुख्य नियंत्रक और न्यायाधीश हैं। न्यायाधीश होने के नाते वे किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वे तो केवल शुभ-अशुभ कर्मों के आधार पर ही मनुष्य को समय-समय पर उनके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं।
|अन्य जानकारी=शनि देव समस्त [[ग्रह|ग्रहों]] के मुख्य नियंत्रक और न्यायाधीश हैं। न्यायाधीश होने के नाते वे किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वे तो केवल शुभ-अशुभ कर्मों के आधार पर ही मनुष्य को समय-समय पर उनके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं।
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'''शनि अमावस्या''' के दिन [[सूर्य देव|भगवान सूर्य देव]] के पुत्र [[शनि देव]] की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। किसी [[माह]] के जिस [[शनिवार]] को [[अमावस्या]] पड़ती है, उसी दिन 'शनि अमावस्या' मनाई जानी है। यह 'पितृकार्येषु अमावस्या' और 'शनिश्चरी अमावस्या' के रूप में भी जानी जाती है। 'कालसर्प योग', 'ढैय्या' तथा 'साढ़ेसाती' सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए 'शनि अमावस्या' एक दुर्लभ दिन व महत्त्वपूर्ण समय होता है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं में 'शनि अमावस्या' की काफ़ी महत्ता बतलाई गई है। इस दिन व्रत, उपवास, और दान आदि करने का बड़ा पुण्य मिलता है।  
'''शनि अमावस्या''' के दिन भगवान [[सूर्य देव]] के पुत्र [[शनि देव]] की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। किसी [[माह]] के जिस [[शनिवार]] को [[अमावस्या]] पड़ती है, उसी दिन 'शनि अमावस्या' मनाई जानी है। यह 'पितृकार्येषु अमावस्या' और 'शनिश्चरी अमावस्या' के रूप में भी जानी जाती है। 'कालसर्प योग', 'ढैय्या' तथा 'साढ़ेसाती' सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए 'शनि अमावस्या' एक दुर्लभ दिन व महत्त्वपूर्ण समय होता है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं में 'शनि अमावस्या' की काफ़ी महत्ता बतलाई गई है। इस दिन व्रत, उपवास, और दान आदि करने का बड़ा पुण्य मिलता है।  
==भाग्य विधाता शनि देव==
==भाग्य विधाता शनि देव==
भगवान [[सूर्य देव]] के पुत्र [[शनि देव]] का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। यह सही है कि शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है, लेकिन शनि देव मनुष्यों के कर्मों के अनुसार ही फल देते है। भगवान शनि देव भाग्य विधाता हैं। यदि निश्छल भाव से शनि देव का नाम लिया जाये तो व्यक्ति के सभी कष्ट और दु:ख दूर हो जाते हैं। श्री शनि देव तो इस चराचर जगत में कर्मफल दाता हैं, जो व्यक्ति के कर्म के आधार पर उसके भाग्य का फैसला करते हैं। इस दिन शनि देव का पूजन सफलता प्राप्त करने एवं दुष्परिणामों से छुटकारा पाने हेतु बहुत उत्तम होता है। इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएँ पूरी करता है। 'शनिश्चरी अमावस्या' पर शनि देव का विधिवत पूजन कर सभी लोग पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। शनि देव क्रूर नहीं, अपितु कल्याणकारी हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान द्वारा पितृदोष और कालसर्प दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की 'साढ़ेसाती', 'ढैय्या' और 'महादशा' जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है।
भगवान सूर्य देव के पुत्र [[शनि देव]] का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। यह सही है कि शनि देव की गिनती अशुभ [[ग्रह|ग्रहों]] में होती है, लेकिन शनि देव मनुष्यों के कर्मों के अनुसार ही फल देते है। भगवान शनि देव भाग्य विधाता हैं। यदि निश्छल भाव से शनि देव का नाम लिया जाये तो व्यक्ति के सभी कष्ट और दु:ख दूर हो जाते हैं। श्री शनि देव तो इस चराचर जगत में कर्मफल दाता हैं, जो व्यक्ति के कर्म के आधार पर उसके भाग्य का फैसला करते हैं। इस दिन शनि देव का पूजन सफलता प्राप्त करने एवं दुष्परिणामों से छुटकारा पाने हेतु बहुत उत्तम होता है। इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएँ पूरी करता है। 'शनिश्चरी अमावस्या' पर शनि देव का विधिवत पूजन कर सभी लोग पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। शनि देव क्रूर नहीं, अपितु कल्याणकारी हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान द्वारा पितृदोष और कालसर्प दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की 'साढ़ेसाती', 'ढैय्या' और 'महादशा' जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है।


शनि देव को परमपिता परमात्मा के जगदाधार स्वरूप 'कच्छप' का ग्रहावतार और 'कूर्मावतार' भी कहा गया है। वह [[कश्यप|महर्षि कश्यप]] के पुत्र [[सूर्य देव]] की संतान हैं। उनकी माता का नाम 'छाया' है। इनके भाई 'मनु सावर्णि', '[[यमराज]]', '[[अश्विनीकुमार]]' और बहन का नाम '[[यमुना]]' और 'भद्रा' है। उनके गुरु स्वयं भगवान '[[शिव]]' हैं और उनके मित्र हैं- 'काल भैरव', '[[हनुमान]]', '[[बुध देवता|बुध]]' और '[[राहु देव|राहु]]'। समस्त [[ग्रह|ग्रहों]] के मुख्य नियंत्रक हैं शनि देव। उन्हें ग्रहों के न्यायाधीश मंडल का प्रधान न्यायाधीश कहा जाता है। शनि देव के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह मनुष्य को शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। न्यायाधीश होने के नाते शनि देव किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वह तो केवल शुभ-अशुभ कर्मों के आधार पर ही मनुष्य को समय-समय पर वैसा ही फल देते हैं, जैसे उन्होंने कर्म किया होता है। धन-वैभव, मान-समान और ज्ञान आदि की प्राप्ति देवों और ऋषियों की अनुकंपा से होती है, जबकि आरोग्य लाभ, पुष्टि और वंश वृद्धि के लिए [[पितर|पितरों]] का अनुग्रह जरूरी है। [[शनि ग्रह|शनि]] एक न्यायप्रिय ग्रह हैं। शनि देव अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://astrokaushal.jagranjunction.com/2011/12/23/%E0%A4%B6%E0%A4%A8%E0%A4%BF-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%87/|title=शनि अमावस्या में क्या करें|accessmonthday=08 जून|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
शनि देव को परमपिता परमात्मा के जगदाधार स्वरूप 'कच्छप' का ग्रहावतार और 'कूर्मावतार' भी कहा गया है। वह [[कश्यप|महर्षि कश्यप]] के पुत्र [[सूर्य देव]] की संतान हैं। उनकी माता का नाम 'छाया' है। इनके भाई 'मनु सावर्णि', '[[यमराज]]', '[[अश्विनीकुमार]]' और बहन का नाम '[[यमुना]]' और 'भद्रा' है। उनके गुरु स्वयं भगवान '[[शिव]]' हैं और उनके मित्र हैं- 'काल भैरव', '[[हनुमान]]', '[[बुध देवता|बुध]]' और '[[राहु देव|राहु]]'। समस्त [[ग्रह|ग्रहों]] के मुख्य नियंत्रक हैं शनि देव। उन्हें ग्रहों के न्यायाधीश मंडल का प्रधान न्यायाधीश कहा जाता है। शनि देव के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह मनुष्य को शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। न्यायाधीश होने के नाते शनि देव किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वह तो केवल शुभ-अशुभ कर्मों के आधार पर ही मनुष्य को समय-समय पर वैसा ही फल देते हैं, जैसे उन्होंने कर्म किया होता है। धन-वैभव, मान-समान और ज्ञान आदि की प्राप्ति देवों और ऋषियों की अनुकंपा से होती है, जबकि आरोग्य लाभ, पुष्टि और वंश वृद्धि के लिए [[पितर|पितरों]] का अनुग्रह ज़रूरी है। [[शनि ग्रह|शनि]] एक न्यायप्रिय ग्रह हैं। शनि देव अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाते हैं।<ref>{{cite web |url=http://astrokaushal.jagranjunction.com/2011/12/23/%E0%A4%B6%E0%A4%A8%E0%A4%BF-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A5%87/|title=शनि अमावस्या में क्या करें|accessmonthday=08 जून|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
==पितृदोष से मुक्ति==
==पितृदोष से मुक्ति==
[[हिन्दू धर्म]] में [[अमावस्या]] का विशेष महत्व है और अमावस्या यदि [[शनिवार]] के दिन पड़े तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। [[शनि देव]] को अमावस्या अधिक प्रिय है। उनकी कृपा का पात्र बनने के लिए 'शनिश्चरी अमावस्या' को सभी को विधिवत आराधना करनी चाहिए। 'भविष्यपुराण' के अनुसार 'शनिश्चरी अमावस्या' शनि देव को अधिक प्रिय रहती है। 'शनैश्चरी अमावस्या' के दिन [[पितर|पितरों]] का [[श्राद्ध]] अवश्य करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष या जो भी कोई पितृ दोष की पीड़ा को भोग रहे होते हैं, उन्हें इस दिन दान इत्यादि विशेष कर्म करने चाहिए। यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनि देव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बड़ी सहजता से हो जाता है।
[[हिन्दू धर्म]] में [[अमावस्या]] का विशेष महत्व है और अमावस्या यदि [[शनिवार]] के दिन पड़े तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। [[शनि देव]] को [[अमावस्या]] अधिक प्रिय है। उनकी कृपा का पात्र बनने के लिए 'शनिश्चरी अमावस्या' को सभी को विधिवत आराधना करनी चाहिए। '[[भविष्यपुराण]]' के अनुसार 'शनिश्चरी अमावस्या' शनि देव को अधिक प्रिय रहती है। 'शनैश्चरी अमावस्या' के दिन [[पितर|पितरों]] का [[श्राद्ध]] अवश्य करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष या जो भी कोई पितृ दोष की पीड़ा को भोग रहे होते हैं, उन्हें इस दिन दान इत्यादि विशेष कर्म करने चाहिए। यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनि देव की अनुकंपा से [[पितर|पितरों]] का उद्धार बड़ी सहजता से हो जाता है।
====पूजन विधि====
====पूजन विधि====
'शनि अमावस्या' के दिन पवित्र नदी के [[जल]] से या नदी में [[स्नान]] कर शनि देव का आवाहन और दर्शन करना चाहिए। शनि देव को [[नीला रंग|नीले रंग]] के [[पुष्प]], [[बिल्व वृक्ष]] के [[बेलपत्र|बिल्व पत्र]], अक्षत अर्पण करें। भगवान शनि देव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र '''ॐ शं शनैश्चराय नम:''', अथवा '''ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:''' मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन सरसों के तेल, उड़द की दाल, काले तिल, कुलथी, गुड़ शनि यंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनि देव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तैलाभिषेक करना चाहिए। शनि अमावस्या के दिन '[[शनि चालीसा]]', '[[हनुमान चालीसा]]' या 'बजरंग बाण' का पाठ अवश्य करना चाहिए। जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो, उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनि देव का विधिवत पूजन करना चाहिए।
'शनि अमावस्या' के दिन पवित्र नदी के [[जल]] से या नदी में [[स्नान]] कर शनि देव का आवाहन और दर्शन करना चाहिए। शनि देव को [[नीला रंग|नीले रंग]] के [[पुष्प]], [[बिल्व वृक्ष]] के [[बेलपत्र|बिल्व पत्र]], अक्षत अर्पण करें। भगवान शनि देव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र '''ॐ शं शनैश्चराय नम:''', अथवा '''ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:''' मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन सरसों के तेल, उड़द की दाल, काले तिल, कुलथी, गुड़ शनि यंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनि देव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तैलाभिषेक करना चाहिए। शनि अमावस्या के दिन '[[शनि चालीसा]]', '[[हनुमान चालीसा]]' या '[[हनुमान बजरंग बाण|बजरंग बाण]]' का पाठ अवश्य करना चाहिए। जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो, उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनि देव का विधिवत पूजन करना चाहिए।
==महत्व==
==महत्व==
'शनि अमावस्या' ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं। 'शनि अमावस्या' बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है। शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं। इस दिन महाराज [[दशरथ]] द्वारा लिखा गया 'शनि स्तोत्र' का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे- काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं। जो लोग इस दिन यात्रा में जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है, वह सफर में 'शनि नवाक्षरी मंत्र' अथवा 'कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।' मंत्र का जप करने का प्रयास करते हैं तो शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
'शनि अमावस्या' ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं। 'शनि अमावस्या' बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन [[शनि देव]] को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है। शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं। इस दिन महाराज [[दशरथ]] द्वारा लिखा गया 'शनि स्तोत्र' का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे- काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं। जो लोग इस दिन यात्रा में जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है, वह सफर में 'शनि नवाक्षरी मंत्र' अथवा 'कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।' मंत्र का जप करने का प्रयास करते हैं तो शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
==कैसे करें शनिदेव को प्रसन्न==
==कैसे करें शनिदेव को प्रसन्न==
#शनि देव के भक्तों को शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवंती का फूल, तिल, तेल, गु़ड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।<ref name="aa">{{cite web |url=http://hindi.in.com/latest-news/money-and-life/Shani-Amavasya-On-Saturday-1892162.html|title=शनि जयंती का महायोग|accessmonthday=08 जून|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
[[चित्र:Shani-dev.jpg|thumb|250px|[[शनि देव]]]]
#शनि देव के भक्तों को शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवंती का फूल, [[तिल]], तेल, गु़ड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।<ref name="aa">{{cite web |url=http://hindi.in.com/latest-news/money-and-life/Shani-Amavasya-On-Saturday-1892162.html|title=शनि जयंती का महायोग|accessmonthday=08 जून|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
#शनि अमावस्या के दिन या रात्रि में '[[शनि चालीसा]]' का पाठ, शनि मंत्रों का जाप एवं '[[हनुमान चालीसा]]' का पाठ करें।
#शनि अमावस्या के दिन या रात्रि में '[[शनि चालीसा]]' का पाठ, शनि मंत्रों का जाप एवं '[[हनुमान चालीसा]]' का पाठ करें।
#इस दिन [[पीपल]] के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का [[दीपक]] जलाएँ।
#इस दिन [[पीपल]] के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का [[दीपक]] जलाएँ।
#[[तिल]] से बने पकवान, उड़द की दाल से बने पकवान गरीबों को दान करें।
#[[तिल]] से बने पकवान, उड़द की दाल से बने पकवान ग़रीबों को दान करें।
#उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्र नारायण को दान करें।
#उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्र नारायण को दान करें।
#[[अमावस्या]] की रात्रि में आठ बादाम और आठ काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें।
#[[अमावस्या]] की रात्रि में आठ बादाम और आठ काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें।
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#इस दिन नीलम या कटैला [[रत्न]] धारण करें, जो फल प्रदान करता है।
#इस दिन नीलम या कटैला [[रत्न]] धारण करें, जो फल प्रदान करता है।
#काले रंग का श्वान (कुत्ता) इस दिन से पालें और उसकी भली प्रकार से सेवा करना शुरू करें।
#काले रंग का श्वान (कुत्ता) इस दिन से पालें और उसकी भली प्रकार से सेवा करना शुरू करें।
#[[शनिवार]] के दिन [[शनि देव]] की [[पूजा]] के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने-अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो, उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
#[[शनिवार]] के दिन [[शनि देव]] की [[पूजा]] के पश्चात् उनसे अपने अपराधों एवं जाने-अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो, उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
#शनि महाराज की पूजा के पश्चात 'राहू' और 'केतु' की पूजा भी करनी चाहिए।
#शनि महाराज की पूजा के पश्चात् 'राहू' और 'केतु' की पूजा भी करनी चाहिए।
#इस दिन शनि भक्तों को [[पीपल]] में [[जल]] देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
#इस दिन शनि [[भक्त|भक्तों]] को [[पीपल]] में [[जल]] देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
#शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
#शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
#शनिश्वर के भक्तों को संध्या काल में शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना चाहिए और उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर शनि महाराज को भोग लगाना चाहिए। शनिदेव का आशीर्वाद लेने के पश्चात स्वयं भी प्रसाद स्वरूप खिचड़ी खाना चाहिए।<ref name="aa"/>
#शनिश्वर के भक्तों को संध्या काल में शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना चाहिए और उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर शनि महाराज को भोग लगाना चाहिए। [[शनिदेव]] का आशीर्वाद लेने के पश्चात् स्वयं भी प्रसाद स्वरूप खिचड़ी खाना चाहिए।<ref name="aa"/>
#[[सूर्य देव]] के पुत्र शनि देव की प्रसन्नता हेतु इस दिन काली चींटियों को गु़ड़ एवं आटा देना चाहिए।
#[[सूर्य देव]] के पुत्र शनि देव की प्रसन्नता हेतु इस दिन काली चींटियों को गु़ड़ एवं आटा देना चाहिए।
#इस दिन काले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।
#इस दिन [[काला रंग|काले रंग]] का वस्त्र धारण करना चाहिए।
#[[श्रावण मास]] में [[शनिवार]] का व्रत प्रारंभ करना अति मंगलकारी माना जाता है।
#[[श्रावण मास]] में [[शनिवार]] का व्रत प्रारंभ करना अति मंगलकारी माना जाता है।
#शनि अमावस्या के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा में धारण करें।
#शनि अमावस्या के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा में धारण करें।
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<blockquote>"ॐ शन्नोदेवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्रवन्तुन:।"</blockquote>
<blockquote>"ॐ शन्नोदेवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्रवन्तुन:।"</blockquote>


*यह शनि देव को प्रसन्न करने का सबसे पवित्र और अनुकूल मंत्र है। इसकी दो माला सुबह शाम करने से शनि देव की [[भक्ति]] व प्रीति मिलती है।
*यह [[शनि देव]] को प्रसन्न करने का सबसे पवित्र और अनुकूल मंत्र है। इसकी दो माला सुबह शाम करने से शनि देव की [[भक्ति]] व प्रीति मिलती है।
;कष्ट निवारण शनि मंत्र नीलाम्बर-
;कष्ट निवारण शनि मंत्र नीलाम्बर-
<blockquote><poem>"शूलधर: किरीटी गृघ्रस्थितस्त्रसकरो धनुष्मान्।
<blockquote><poem>"शूलधर: किरीटी गृघ्रस्थितस्त्रसकरो धनुष्मान्।
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==अन्य संबंधित लिंक==
==अन्य संबंधित लिंक==
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__INDEX__
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__NOTOC__

05:08, 11 अगस्त 2018 के समय का अवतरण

शनि अमावस्या
शनि देव
शनि देव
विवरण किसी माह में जब अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है तो इसे 'शनि अमावस्या' कहा जाता है। भगवान शनि देव की कृपा पाने का यह सर्वोत्तम दिन माना जाता है।
अन्य नाम 'शनिश्चरी अमावस्या', 'पितृकार्येषु अमावस्या'
मुख्य देवता शनि देव
श्राद्ध कर्म शनि अमावस्या के दिन श्राद्ध आदि कर्म पूर्ण करने से व्यक्ति पितृदोष आदि से मुक्त हो जाता है और उसे कार्यों में सफलता मिलती है।
विशेष 'शनि स्तोत्र' का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु, जैसे- काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि देव वर्ष भर कष्टों से बचाए रखते हैं।
संबंधित लेख शनि जयंती, शनि देव, सूर्य देव, हनुमान, राहु, शनि चालीसा, हनुमान चालीसा
अन्य जानकारी शनि देव समस्त ग्रहों के मुख्य नियंत्रक और न्यायाधीश हैं। न्यायाधीश होने के नाते वे किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वे तो केवल शुभ-अशुभ कर्मों के आधार पर ही मनुष्य को समय-समय पर उनके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं।

शनि अमावस्या के दिन भगवान सूर्य देव के पुत्र शनि देव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। किसी माह के जिस शनिवार को अमावस्या पड़ती है, उसी दिन 'शनि अमावस्या' मनाई जानी है। यह 'पितृकार्येषु अमावस्या' और 'शनिश्चरी अमावस्या' के रूप में भी जानी जाती है। 'कालसर्प योग', 'ढैय्या' तथा 'साढ़ेसाती' सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए 'शनि अमावस्या' एक दुर्लभ दिन व महत्त्वपूर्ण समय होता है। पौराणिक धर्म ग्रंथों और हिन्दू मान्यताओं में 'शनि अमावस्या' की काफ़ी महत्ता बतलाई गई है। इस दिन व्रत, उपवास, और दान आदि करने का बड़ा पुण्य मिलता है।

भाग्य विधाता शनि देव

भगवान सूर्य देव के पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है। यह सही है कि शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है, लेकिन शनि देव मनुष्यों के कर्मों के अनुसार ही फल देते है। भगवान शनि देव भाग्य विधाता हैं। यदि निश्छल भाव से शनि देव का नाम लिया जाये तो व्यक्ति के सभी कष्ट और दु:ख दूर हो जाते हैं। श्री शनि देव तो इस चराचर जगत में कर्मफल दाता हैं, जो व्यक्ति के कर्म के आधार पर उसके भाग्य का फैसला करते हैं। इस दिन शनि देव का पूजन सफलता प्राप्त करने एवं दुष्परिणामों से छुटकारा पाने हेतु बहुत उत्तम होता है। इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएँ पूरी करता है। 'शनिश्चरी अमावस्या' पर शनि देव का विधिवत पूजन कर सभी लोग पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं। शनि देव क्रूर नहीं, अपितु कल्याणकारी हैं। इस दिन विशेष अनुष्ठान द्वारा पितृदोष और कालसर्प दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की 'साढ़ेसाती', 'ढैय्या' और 'महादशा' जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है।

शनि देव को परमपिता परमात्मा के जगदाधार स्वरूप 'कच्छप' का ग्रहावतार और 'कूर्मावतार' भी कहा गया है। वह महर्षि कश्यप के पुत्र सूर्य देव की संतान हैं। उनकी माता का नाम 'छाया' है। इनके भाई 'मनु सावर्णि', 'यमराज', 'अश्विनीकुमार' और बहन का नाम 'यमुना' और 'भद्रा' है। उनके गुरु स्वयं भगवान 'शिव' हैं और उनके मित्र हैं- 'काल भैरव', 'हनुमान', 'बुध' और 'राहु'। समस्त ग्रहों के मुख्य नियंत्रक हैं शनि देव। उन्हें ग्रहों के न्यायाधीश मंडल का प्रधान न्यायाधीश कहा जाता है। शनि देव के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह मनुष्य को शुभ और अशुभ फल प्रदान करते हैं। न्यायाधीश होने के नाते शनि देव किसी को भी अपनी झोली से कुछ नहीं देते। वह तो केवल शुभ-अशुभ कर्मों के आधार पर ही मनुष्य को समय-समय पर वैसा ही फल देते हैं, जैसे उन्होंने कर्म किया होता है। धन-वैभव, मान-समान और ज्ञान आदि की प्राप्ति देवों और ऋषियों की अनुकंपा से होती है, जबकि आरोग्य लाभ, पुष्टि और वंश वृद्धि के लिए पितरों का अनुग्रह ज़रूरी है। शनि एक न्यायप्रिय ग्रह हैं। शनि देव अपने भक्तों को भय से मुक्ति दिलाते हैं।[1]

पितृदोष से मुक्ति

हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है और अमावस्या यदि शनिवार के दिन पड़े तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। शनि देव को अमावस्या अधिक प्रिय है। उनकी कृपा का पात्र बनने के लिए 'शनिश्चरी अमावस्या' को सभी को विधिवत आराधना करनी चाहिए। 'भविष्यपुराण' के अनुसार 'शनिश्चरी अमावस्या' शनि देव को अधिक प्रिय रहती है। 'शनैश्चरी अमावस्या' के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष या जो भी कोई पितृ दोष की पीड़ा को भोग रहे होते हैं, उन्हें इस दिन दान इत्यादि विशेष कर्म करने चाहिए। यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनि देव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बड़ी सहजता से हो जाता है।

पूजन विधि

'शनि अमावस्या' के दिन पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और दर्शन करना चाहिए। शनि देव को नीले रंग के पुष्प, बिल्व वृक्ष के बिल्व पत्र, अक्षत अर्पण करें। भगवान शनि देव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम:, अथवा ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन सरसों के तेल, उड़द की दाल, काले तिल, कुलथी, गुड़ शनि यंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनि देव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तैलाभिषेक करना चाहिए। शनि अमावस्या के दिन 'शनि चालीसा', 'हनुमान चालीसा' या 'बजरंग बाण' का पाठ अवश्य करना चाहिए। जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो, उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनि देव का विधिवत पूजन करना चाहिए।

महत्व

'शनि अमावस्या' ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं। 'शनि अमावस्या' बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं। पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है। शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं। इस दिन महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया 'शनि स्तोत्र' का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे- काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं। जो लोग इस दिन यात्रा में जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है, वह सफर में 'शनि नवाक्षरी मंत्र' अथवा 'कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।' मंत्र का जप करने का प्रयास करते हैं तो शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।

कैसे करें शनिदेव को प्रसन्न

शनि देव
  1. शनि देव के भक्तों को शनि अमावस्या के दिन शनि मंदिर में जाकर शनि देव को नीले लाजवंती का फूल, तिल, तेल, गु़ड़ अर्पण करना चाहिए। शनि देव के नाम से दीपोत्सर्ग करना चाहिए।[2]
  2. शनि अमावस्या के दिन या रात्रि में 'शनि चालीसा' का पाठ, शनि मंत्रों का जाप एवं 'हनुमान चालीसा' का पाठ करें।
  3. इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।
  4. तिल से बने पकवान, उड़द की दाल से बने पकवान ग़रीबों को दान करें।
  5. उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्र नारायण को दान करें।
  6. अमावस्या की रात्रि में आठ बादाम और आठ काजल की डिब्बी काले वस्त्र में बांधकर संदूक में रखें।
  7. शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें।
  8. इस दिन नीलम या कटैला रत्न धारण करें, जो फल प्रदान करता है।
  9. काले रंग का श्वान (कुत्ता) इस दिन से पालें और उसकी भली प्रकार से सेवा करना शुरू करें।
  10. शनिवार के दिन शनि देव की पूजा के पश्चात् उनसे अपने अपराधों एवं जाने-अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो, उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।
  11. शनि महाराज की पूजा के पश्चात् 'राहू' और 'केतु' की पूजा भी करनी चाहिए।
  12. इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल देना चाहिए और पीपल में सूत्र बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
  13. शनिवार के दिन भक्तों को शनि महाराज के नाम से व्रत रखना चाहिए।
  14. शनिश्वर के भक्तों को संध्या काल में शनि मंदिर में जाकर दीप भेंट करना चाहिए और उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर शनि महाराज को भोग लगाना चाहिए। शनिदेव का आशीर्वाद लेने के पश्चात् स्वयं भी प्रसाद स्वरूप खिचड़ी खाना चाहिए।[2]
  15. सूर्य देव के पुत्र शनि देव की प्रसन्नता हेतु इस दिन काली चींटियों को गु़ड़ एवं आटा देना चाहिए।
  16. इस दिन काले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए।
  17. श्रावण मास में शनिवार का व्रत प्रारंभ करना अति मंगलकारी माना जाता है।
  18. शनि अमावस्या के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा में धारण करें।
  19. शनिवार को अपने हाथ की नाप का 19 हाथ काला धागा माला बनाकर पहनें।

शनि अमावस्या शुभ हो

'शनि अमावस्या' पर भगवान शनि देव से अपने समस्त बुरे कर्मों के लिए माफ़ी मांग लेनी चाहिए और निम्न मंत्रों का जाप करना चाहिए[2]-

शनि मंत्र व स्तोत्र सर्वबाधा निवारक वैदिक गायत्री मंत्र-

"ॐ भगभवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो शनि: प्रचोदयात्।"

  • प्रतिदिन श्रध्दानुसार 'शनि गायत्री' का जाप करने से घर में सदैव मंगलमय वातावरण बना रहता है।
वैदिक शनि मंत्र

"ॐ शन्नोदेवीरमिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्रवन्तुन:।"

  • यह शनि देव को प्रसन्न करने का सबसे पवित्र और अनुकूल मंत्र है। इसकी दो माला सुबह शाम करने से शनि देव की भक्ति व प्रीति मिलती है।
कष्ट निवारण शनि मंत्र नीलाम्बर-

"शूलधर: किरीटी गृघ्रस्थितस्त्रसकरो धनुष्मान्।
चर्तुभुज: सूर्यसुत: प्रशान्त: सदाऽस्तुं मह्यं वरंदोऽल्पगामी॥"

  • इस मंत्र से अनावश्यक समस्याओं से छुटकारा मिलता है। प्रतिदिन एक माला सुबह शाम करने से शत्रु चाह कर भी नुकसान नहीं पहुँचा पायेगा।
सुख-समृद्धि दायक शनि मंत्र-

"कोणस्थ:पिंगलो वभ्रु: कृष्णौ रौद्रान्त को यम:।
सौरि: शनैश्चरौ मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:॥"

  • इस शनि स्तुति का प्रात:काल पाठ करने से शनि जनित कष्ट नहीं व्यापते और सारा दिन सुख पूर्वक बीतता है।[2]
शनि पत्नी नाम स्तुति-

"ॐ शं शनैश्चराय नम: ध्वजनि धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा॥
ॐ शं शनैश्चराय नम:"

  • यह बहुत ही अद्भुत और रहस्यमय स्तुति है। यदि कारोबारी, पारिवारिक या शारीरिक समस्या हो, तब इस मंत्र का विधिविधान से जाप और अनुष्ठान किया जाये तो कष्ट कोसों दूर रहेंगे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शनि अमावस्या में क्या करें (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 08 जून, 2013।
  2. 2.0 2.1 2.2 2.3 शनि जयंती का महायोग (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 08 जून, 2013।

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