"इतिहास सामान्य ज्ञान 519": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Tirumala-Venkateswara-Temple-Tirupati-3.jpg|border|right|100px|तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर]][[विष्णु|भगवान विष्णु]] का प्रसिद्ध [[तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर]] [[आन्ध्र प्रदेश]] के [[चित्तूर ज़िला|चित्तूर ज़िले]] के [[तिरुपति]] में स्थित है। तिरुमला के सात पर्वतों में से एक वेंकटाद्रि पर बना श्री वेंकटेश्वर मन्दिर यहाँ का सबसे बड़ा आकर्षण का केन्द्र है। इसलिए इसे '''सात पर्वतों का मन्दिर''' के नाम से भी जाना जाता है। इस मन्दिर में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में भक्तजन दर्शनों के लिए आते हैं। कई शताब्दी पूर्व बने इस मन्दिर की सबसे ख़ास बात इसकी दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अदभुत संगम है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर]] | |||
{'[[अढाई दिन का | {'[[अढाई दिन का झोंपड़ा अजमेर|अढ़ाई दिन का झोपड़ा]]' कहाँ स्थित है? | ||
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+[[अजमेर]] | +[[अजमेर]] | ||
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-[[फ़तेहपुर सीकरी]] | -[[फ़तेहपुर सीकरी]] | ||
-[[आगरा]] | -[[आगरा]] | ||
||[[चित्र:Adhai-Din-Ka-Jhonpra-Ajmer.JPG|border|right|100px|अढाई दिन का झोंपड़ा अजमेर]]'अढाई दिन का झोंपड़ा' एक ऐतिहासिक ईमारत है, जो [[राजस्थान]] के शहर [[अजमेर]] में स्थित है। माना जाता है कि यह ऐतिहासिक इमारत [[चौहान वंश|चौहान]] सम्राट [[बीसलदेव]] ने सन 1153 में बनवाई थी। यह मूलत: संस्कृत विद्यालय थी, जिसे बाद में [[मुहम्मद ग़ोरी|शाहबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी]] ने मस्जिद का रूप दे दिया। इस मस्जिद को बनवाने में कहते है कि सिर्फ़ ढाई दिन ही लगे, इसलिए इसे 'अढाई दिन का झोंपड़ा' कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अढाई दिन का झोंपड़ा अजमेर|अढाई दिन का झोंपड़ा]], [[अजमेर]] | |||
{[[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रवणबेलगोला]] में गोमतेश्वर की मूर्ति का निर्माण किसने कराया था? | {[[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रवणबेलगोला]] में गोमतेश्वर की मूर्ति का निर्माण किसने कराया था? | ||
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-[[खारवेल]] | -[[खारवेल]] | ||
-[[अमोघवर्ष प्रथम|अमोघवर्ष]] | -[[अमोघवर्ष प्रथम|अमोघवर्ष]] | ||
+[[ | +[[चामुण्डराय]] | ||
||[[चित्र:Gomateswara.jpg|border|right|80px|गोमतेश्वर की प्रतिमा, श्रवणबेलगोला]]'चामुण्डराय' [[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रवणबेलगोला]] के [[गंग वंश|गंग वंशीय]] शासक राजमल्ल के शासन काल में उसका मंत्री था। प्रसिद्ध गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा का निर्माण चामुण्डराय ने ही लगभग 989 ई. में करवाया था। यह प्रतिमा विंद्यागिरी नामक पहाड़ी से भी दिखाई देती है। चामुण्डराय का एक नाम 'गोमट्ट' भी था। इसी कारण श्रवणबेलगोला पर इनके द्वारा स्थापित विशालकाय भगवान बाहुबली की प्रतिमा का नाम 'गोमटेश्वर' (गोमतेश्वर) पड़ गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चामुण्डराय]], [[श्रवणबेलगोला मैसूर|श्रवणबेलगोला]] | |||
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-[[धमेख]] | -[[धमेख]] | ||
+[[रांची]] | +[[रांची]] | ||
||[[चित्र:View-Of-Ranchi.jpg|border|right|100px|रांची का एक दृश्य]]रांची पश्चिम-मध्य [[झारखण्ड]] राज्य, [[पूर्वोत्तर भारत]] में स्थित है। यह शहर [[स्वर्ण रेखा नदी|सुबर्णरेखा नदी]] के किनारे घाटी में स्थित है और नवगठित झारखण्ड राज्य की राजधानी है। मुख्य रेल व सड़क मार्ग से जुड़ा होने के कारण यह शहर, इस क्षेत्र का [[कृषि]], [[कपास]] व [[चाय]] के व्यापार का केन्द्र है। [[रांची]] झरनों के लिए प्रसिद्ध हैं। प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा रांची ने अपने ख़ूबसूरत पर्यटक स्थलों के दम पर विश्व के पर्यटक मानचित्र पर भी पुख्ता पहचान बनाई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रांची]] | |||
{[[कोणार्क]] का 'काला पैगोडा' किस [[देवता]] को समर्पित है? | {[[कोणार्क]] का 'काला पैगोडा' किस [[देवता]] को समर्पित है? | ||
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+[[सूर्य देव|सूर्य]] | +[[सूर्य देव|सूर्य]] | ||
-[[महावीर]] | -[[महावीर]] | ||
||[[चित्र:Sun-Temple-Konark.jpg|border|right|100px|सूर्य मंदिर कोणार्क]]'कोणार्क का सूर्य मंदिर' [[भारत]] के [[उड़ीसा]] राज्य के [[पुरी ज़िला|पुरी ज़िले]] के [[कोणार्क]] नामक [[क़स्बा|क़स्बे]] में स्थित है। यह [[सूर्य मंदिर कोणार्क|सूर्य मंदिर]] अपने निर्माण के 750 साल बाद भी अपनी अद्वितीयता, विशालता व कलात्मक भव्यता से हर किसी को निरुत्तर कर देता है। वास्तव में जिसे हम कोणार्क के सूर्य मन्दिर के रूप में पहचानते हैं, वह पार्श्व में बने उस सूर्य मन्दिर का जगमोहन या महामण्डप है, जो कि बहुत पहले ध्वस्त हो चुका है। कोणार्क का सूर्य मंदिर को [[अंग्रेज़ी]] में ''ब्लैक पैगोडा'' भी कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कोणार्क]], [[सूर्य मंदिर कोणार्क]] | |||
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07:13, 30 दिसम्बर 2019 के समय का अवतरण
- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश
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