"ई. एम. एस. नंबूदरीपाद": अवतरणों में अंतर
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'''इलमकुलम मनक्कल शंकरन नंबूदरीपाद''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''E. M. S. Namboodiripad''; जन्म- [[14 जुलाई]], [[1909]], पालघाट ज़िला, [[केरल]]; मृत्यु- [[19 मार्च]], [[1998]], [[तिरुवनंतपुरम]], [[केरल]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे। केरल का प्रथम [[मुख्यमंत्री]] बनने का सौभाग्य इन्हें मिला था। ई. एम. एस. नंबूदरीपाद एक समाजवादी मार्क्सवादी विचारक, क्रांतिकारी, लेखक, [[इतिहासकार]] और सामाजिक टीकाकार के रूप में भी प्रसिद्ध थे। वे भारत में पहली गैर '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के मुख्यमंत्री के रूप में पहली लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार के नेता बने थे। | |||
'''इलमकुलम मनक्कल शंकरन नंबूदरीपाद''' ([[अंग्रेज़ी]]: E. M. S. Namboodiripad; जन्म- [[14 जुलाई]], [[1909]], पालघाट ज़िला, [[केरल]]; मृत्यु- [[19 मार्च]], [[1998]], [[तिरुवनंतपुरम]], [[केरल]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे। केरल का प्रथम [[मुख्यमंत्री]] बनने का सौभाग्य इन्हें मिला था। ई. एम. एस. नंबूदरीपाद एक समाजवादी मार्क्सवादी विचारक, क्रांतिकारी, लेखक, इतिहासकार और सामाजिक टीकाकार के रूप में भी प्रसिद्ध थे। वे भारत में पहली गैर '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के मुख्यमंत्री के रूप में पहली लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार के नेता बने थे। | |||
==जन्म तथा शिक्षा== | ==जन्म तथा शिक्षा== | ||
ई. एम. एस. नंबूदरीपाद का जन्म 14 जुलाई, 1909 में [[केरल]] के पालघाट ज़िले में एक प्रतिष्ठित [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम | ई. एम. एस. नंबूदरीपाद का जन्म 14 जुलाई, 1909 में [[केरल]] के पालघाट ज़िले में एक प्रतिष्ठित [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। इनके [[पिता]] का नाम परमेश्वरन् नंबूदरीपाद था। इनके बचपन में ही पिता का निधन हो गया था। इनका पालन-पोषण इनकी [[माता]] ने किया। माँ ने इन्हें [[ऋग्वेद]] पढ़ाने का निश्चय किया। कई वर्षों तक नंबूदरीपाद [[संस्कृत]] का अध्ययन करते रहे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पलघाट और त्रिचुर से प्राप्त की।<ref name="aa">{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/krantikari%201857-1947.php|title=केरल के क्रांतिकारी|accessmonthday=03 सितम्बर|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> इनका [[विवाह]] आर्या अंतरजनम से हुआ था। | ||
==कांग्रेस कमेटी के सचिव== | ==कांग्रेस कमेटी के सचिव== | ||
जिस समय नंबूदरीपाद बी. ए. में थे, तब वे [[1932]] में '[[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]]' से जुड़ गए। उन्हें गिरफ्तार कर तीन वर्ष की | जिस समय नंबूदरीपाद बी. ए. में थे, तब वे [[1932]] में '[[सविनय अवज्ञा आन्दोलन]]' से जुड़ गए। उन्हें गिरफ्तार कर तीन [[वर्ष]] की सज़ा सुनाई गयी, किन्तु उन्हें [[1933]] में रिहा कर दिया गया। सन [[1937]] में ई. एम. एस. नंबूदरीपाद [[कांग्रेस]] के टिकट पर [[मद्रास]] विधान परिषद में चुने गये। वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी बनाये गये थे। सन [[1940]] में नंबूदरीपाद [[भारत]] की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य चयनित हुए। वे कुछ वर्षों तक पार्टी के पोलितब्यूरो के सदस्य रहे। | ||
====मुख्यमंत्री==== | ====मुख्यमंत्री==== | ||
[[1957]] में ई. एम. एस. नंबूदरीपाद केरल असेम्बली के सदस्य चुने गये और प्रदेश के पहले कम्युनिस्ट [[मुख्यमंत्री]] बने। इस पद पर वह [[5 अप्रैल]], [[1957]] से [[31 जुलाई]], [[1959]] तक रहे। यह सरकार [[1959]] में बर्खास्त कर दी गई तो [[1960]] के मध्यावधि चुनाव के बाद वे विधान सभा में विरोधी दल के नेता बने। [[1967]] में उन्होंने संयुक्त मोर्चा के नेता के रूप में पुन: मुख्यमंत्री का पद सम्भाला<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=94|url=}}</ref> और [[6 मार्च]], [[1967]] से [[1 नवम्बर]], [[1969]] तक इस पद पर कार्य किया। | [[1957]] में ई. एम. एस. नंबूदरीपाद केरल असेम्बली के सदस्य चुने गये और प्रदेश के पहले कम्युनिस्ट [[मुख्यमंत्री]] बने। इस पद पर वह [[5 अप्रैल]], [[1957]] से [[31 जुलाई]], [[1959]] तक रहे। यह सरकार [[1959]] में बर्खास्त कर दी गई तो [[1960]] के मध्यावधि चुनाव के बाद वे [[विधान सभा]] में विरोधी दल के नेता बने। [[1967]] में उन्होंने संयुक्त मोर्चा के नेता के रूप में पुन: मुख्यमंत्री का पद सम्भाला<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=94|url=}}</ref> और [[6 मार्च]], [[1967]] से [[1 नवम्बर]], [[1969]] तक इस पद पर कार्य किया। | ||
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ई. एम. एस. नंबूदरीपाद
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पूरा नाम | इलमकुलम मनक्कल शंकरन नंबूदरीपाद |
जन्म | 14 जुलाई, 1909 |
जन्म भूमि | पालघाट ज़िला, केरल |
मृत्यु | 19 मार्च, 1998 |
मृत्यु स्थान | तिरुवनंतपुरम, केरल |
अभिभावक | परमेश्वरन् नंबूदरीपाद |
पति/पत्नी | आर्या अंतरजनम |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पद | भूतपूर्व मुख्यमंत्री, केरल |
कार्य काल | 5 अप्रैल, 1957 से 31 जुलाई, 1959 तक; 6 मार्च, 1967 से 1 नवम्बर, 1969 तक। |
भाषा | हिन्दी, अंग्रेज़ी, मलयालम |
जेल यात्रा | 1932 में 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' के दौरान |
अन्य जानकारी | 1937 में ई. एम. एस. नंबूदरीपाद कांग्रेस के टिकट पर मद्रास विधान परिषद में चुने गये। वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी बनाये गये थे। |
इलमकुलम मनक्कल शंकरन नंबूदरीपाद (अंग्रेज़ी: E. M. S. Namboodiripad; जन्म- 14 जुलाई, 1909, पालघाट ज़िला, केरल; मृत्यु- 19 मार्च, 1998, तिरुवनंतपुरम, केरल) भारत के प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे। केरल का प्रथम मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य इन्हें मिला था। ई. एम. एस. नंबूदरीपाद एक समाजवादी मार्क्सवादी विचारक, क्रांतिकारी, लेखक, इतिहासकार और सामाजिक टीकाकार के रूप में भी प्रसिद्ध थे। वे भारत में पहली गैर 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के मुख्यमंत्री के रूप में पहली लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार के नेता बने थे।
जन्म तथा शिक्षा
ई. एम. एस. नंबूदरीपाद का जन्म 14 जुलाई, 1909 में केरल के पालघाट ज़िले में एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम परमेश्वरन् नंबूदरीपाद था। इनके बचपन में ही पिता का निधन हो गया था। इनका पालन-पोषण इनकी माता ने किया। माँ ने इन्हें ऋग्वेद पढ़ाने का निश्चय किया। कई वर्षों तक नंबूदरीपाद संस्कृत का अध्ययन करते रहे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पलघाट और त्रिचुर से प्राप्त की।[1] इनका विवाह आर्या अंतरजनम से हुआ था।
कांग्रेस कमेटी के सचिव
जिस समय नंबूदरीपाद बी. ए. में थे, तब वे 1932 में 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन' से जुड़ गए। उन्हें गिरफ्तार कर तीन वर्ष की सज़ा सुनाई गयी, किन्तु उन्हें 1933 में रिहा कर दिया गया। सन 1937 में ई. एम. एस. नंबूदरीपाद कांग्रेस के टिकट पर मद्रास विधान परिषद में चुने गये। वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव भी बनाये गये थे। सन 1940 में नंबूदरीपाद भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य चयनित हुए। वे कुछ वर्षों तक पार्टी के पोलितब्यूरो के सदस्य रहे।
मुख्यमंत्री
1957 में ई. एम. एस. नंबूदरीपाद केरल असेम्बली के सदस्य चुने गये और प्रदेश के पहले कम्युनिस्ट मुख्यमंत्री बने। इस पद पर वह 5 अप्रैल, 1957 से 31 जुलाई, 1959 तक रहे। यह सरकार 1959 में बर्खास्त कर दी गई तो 1960 के मध्यावधि चुनाव के बाद वे विधान सभा में विरोधी दल के नेता बने। 1967 में उन्होंने संयुक्त मोर्चा के नेता के रूप में पुन: मुख्यमंत्री का पद सम्भाला[2] और 6 मार्च, 1967 से 1 नवम्बर, 1969 तक इस पद पर कार्य किया।
रचनाएँ
नंबूदरीपाद मलयालम और अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध रचनाकार थे। अंग्रेज़ी में उनकी कुछ लोकप्रिय रचनाएँ निम्नलिखित है-
- द नेशनल क्योश्चशन इन केरला
- गांधी एण्ड हिन्दुज्म
- द विसेन्ट क्योश्चन इन केरला
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ केरल के क्रांतिकारी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 03 सितम्बर, 2013।
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 94 |
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