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'''श्रृंगेरी शारदा पीठ''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sringeri Sharada Peeth'') [[भारत]] के दक्षिण में [[रामेश्वरम]] में स्थित है। श्रृंगेरी मठ [[कर्नाटक]] के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है। इसके अलावा कर्नाटक में रामचन्द्रपुर मठ भी प्रसिद्ध है। इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'सरस्वती', 'भारती', 'पुरी' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है, जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।<br />
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*श्रृंगेरी शारदा पीठ का महावाक्य 'अहं ब्रह्मास्मि' है।
*मठ के तहत [[यजुर्वेद]] को रखा गया है।
*इसके पहले मठाधीश आचार्य सुरेश्वर थे।
*श्रृंगेरी मठ, [[श्रृंगेरी]] के मुख्य आकर्षण में से एक है। यह हिंदू अद्वैत मठ, अन्यथा दक्शिनाम्नाया श्रृंगेरी शारदा पीठं और श्रृंगेरी शारदा पीठं के नाम से जाना जाता है। यह [[आदि शंकराचार्य]] द्वारा स्थापित किया गया था।
*मठ का मुख्य गर्भगृह एक ऊंचा परिपत्र मंच पर खड़ा है, जो [[नक्षत्र]] के आकार का है।
*तुंगा नदी के तट पर स्थित यह मठ यजुर्वेद की परंपरा में विश्वास रखता है।
*यह मठ होयसला और द्रविड़ स्थापत्य शैली को दर्शाता है।
*इस स्थल पर पहुंचने पर यात्रियों को विद्यातिर्था लिंग के साथ बारह स्ताम्बों को देखने का मौका मिल जाएगा, जो विभिन्न राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन स्तंभों को इस तरह से स्थापित किया है कि [[सूर्य]] की किरणें माह के अनुसार प्रत्येक स्तंभ पर गिरती हैं।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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07:55, 12 मई 2020 के समय का अवतरण

श्रृंगेरी शारदा पीठ

श्रृंगेरी शारदा पीठ (अंग्रेज़ी: Sringeri Sharada Peeth) भारत के दक्षिण में रामेश्वरम में स्थित है। श्रृंगेरी मठ कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है। इसके अलावा कर्नाटक में रामचन्द्रपुर मठ भी प्रसिद्ध है। इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'सरस्वती', 'भारती', 'पुरी' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है, जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।

  • श्रृंगेरी शारदा पीठ का महावाक्य 'अहं ब्रह्मास्मि' है।
  • मठ के तहत यजुर्वेद को रखा गया है।
  • इसके पहले मठाधीश आचार्य सुरेश्वर थे।
  • श्रृंगेरी मठ, श्रृंगेरी के मुख्य आकर्षण में से एक है। यह हिंदू अद्वैत मठ, अन्यथा दक्शिनाम्नाया श्रृंगेरी शारदा पीठं और श्रृंगेरी शारदा पीठं के नाम से जाना जाता है। यह आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था।
  • मठ का मुख्य गर्भगृह एक ऊंचा परिपत्र मंच पर खड़ा है, जो नक्षत्र के आकार का है।
  • तुंगा नदी के तट पर स्थित यह मठ यजुर्वेद की परंपरा में विश्वास रखता है।
  • यह मठ होयसला और द्रविड़ स्थापत्य शैली को दर्शाता है।
  • इस स्थल पर पहुंचने पर यात्रियों को विद्यातिर्था लिंग के साथ बारह स्ताम्बों को देखने का मौका मिल जाएगा, जो विभिन्न राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन स्तंभों को इस तरह से स्थापित किया है कि सूर्य की किरणें माह के अनुसार प्रत्येक स्तंभ पर गिरती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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