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[[ऐहोल]] मन्दिरों के समूह में [[द्रविड़ शैली]] का लाद खान नामक मन्दिर [[कर्नाटक]] राज्य के [[बीजापुर|बीजापुर ज़िले]] में स्थित हैं।  
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==इतिहास==
[[ऐहोल]] मन्दिरों के समूह में द्रविड़ शैली का लाद खान नामक मन्दिर [[कर्नाटक]] राज्य के [[बीजापुर|बीजापुर ज़िले]] में स्थित हैं। इस वर्गाकार मन्दिर की प्रत्येक दीवार 50 फुट लम्बी है। ऊपरी भाग में एक छोटी दूसरी मंज़िल है। मन्दिर की दीवारें समानुपातिक नहीं हैं तथा छत की रचना विशिष्ट है। मन्दिर की यह असामान्य वास्तुयोजना [[पर्सी ब्राउन]] के विचार में प्राचीन सभागृह पर आधारित है।<br />
पाँचवीं शताब्दी के मध्य में निर्मित यह मन्दिर चालुक्य मंदिर स्थापत्य के विकास केन्द्र ऐहोल का सबसे प्राचीन है। यह मन्दिर सपाट तथा नीची छत वाला है। इस वर्गाकार मन्दिर की प्रत्येक दीवार 50 फुट लम्बी है। ऊपरी भाग में एक छोटी दूसरी मंजिल है। इसके तीन ओर से पत्थर की दीवारें हैं, जिनमें से दो में पत्थर की खिड़कियाँ हैं। इनमें विभिन्न सुन्दर नक़्क़ाशी द्वारा किये गये छेद हैं। पूर्व की ओर इसका प्रवेश द्वार है तथा सामने खुला स्तम्भ मण्डप बना हुआ है। भीतर एक कक्ष है जो स्तम्भ युक्त मण्डप की तरह लगता है क्योंकि इसमें दो वर्गाकार स्तम्भ समूह हैं। एक स्तम्भ समूह के अन्दर दूसरा स्तम्भ समूह बनाया गया है, जिससे चारों ओर दोहरा पार्श्व बन गया है। मध्य में एक विशाल नंदी-प्रतिमा बनी हुई है।  
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*पाँचवीं शताब्दी के मध्य में निर्मित यह मन्दिर [[चालुक्य राजवंश|चालुक्य]] मंदिर स्थापत्य के विकास केन्द्र ऐहोल का सबसे प्राचीन है। मन्दिर सपाट तथा नीची छत वाला है।
*इस वर्गाकार मन्दिर की प्रत्येक दीवार 50 फुट लम्बी है। ऊपरी भाग में एक छोटी दूसरी मंज़िल है।
*इसके तीन ओर से पत्थर की दीवारें हैं, जिनमें से दो में पत्थर की खिड़कियाँ हैं। इनमें विभिन्न सुन्दर नक़्क़ाशी द्वारा किये गये छेद हैं।
*पूर्व की ओर इसका प्रवेश द्वार है तथा सामने खुला स्तम्भ मण्डप बना हुआ है।
*भीतर एक कक्ष है जो स्तम्भ युक्त मण्डप की तरह लगता है, क्योंकि इसमें दो वर्गाकार स्तम्भ समूह हैं।
*एक स्तम्भ समूह के अन्दर दूसरा स्तम्भ समूह बनाया गया है, जिससे चारों ओर दोहरा पार्श्व बन गया है। मध्य में एक विशाल नंदी-प्रतिमा बनी हुई है।
*मूलरूप से यह [[वैष्णव|वैष्णव मन्दिर]] था, परंतु बाद में स्थापित की गई नन्दि मूर्ति से यह शैव मन्दिर बन गया है।
*इस मन्दिर की यह असामान्य वास्तुयोजना पर्सी ब्राउन के विचार में प्राचीन सभागृह पर आधारित है।
*लाद खान मंदिर के स्तम्भ सादे चौकोर दण्ड वाले हैं। उनके ऊपर चौकोर दोहरा फलक है। परंतु भित्ति स्तम्भों के ऊपरी भाग कुछ पतले हैं, मण्डप के स्तम्भ भारी और विशालकाय हैं।
*मन्दिर की दीवारें समानुपातिक नहीं हैं तथा छत की रचना विशिष्ट है।
*लाद खान मन्दिर की [[शैली]] में बने हुए ऐहोल के अन्य मन्दिरों में कांतगुड़ी मन्दिर उल्लेखनीय है।  


मूलरूप से यह [[वैष्णव|वैष्णव मन्दिर]] था परंतु बाद में स्थापित की गई नन्दि मूर्ति से यह शैव मन्दिर बन गया है। इस मन्दिर की यह असामान्य वास्तुयोजना पर्सी ब्राउन के विचार में प्राचीन सभागृह पर आधारित है। लाद खान मंदिर के स्तम्भ सादे चौकोर दण्ड वाले हैं। उनके ऊपर चौकोर दोहरा फलक है। परंतु भित्ति स्तम्भों के ऊपरी भाग कुछ पतले हैं, मण्डप के स्तम्भ भारी और विशालकाय हैं। मन्दिर की दीवारें समानुपातिक नहीं हैं। तथा छत की रचना विशिष्ट है। लाद खान मन्दिर की शैली में बने हुए ऐहोल के अन्य मन्दिरों में कांतगुड़ी मन्दिर उल्लेखनीय है।
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12:11, 17 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

लाद खान मन्दिर, ऐहोल
लाद खान मन्दिर, ऐहोल

ऐहोल मन्दिरों के समूह में द्रविड़ शैली का लाद खान नामक मन्दिर कर्नाटक राज्य के बीजापुर ज़िले में स्थित हैं। इस वर्गाकार मन्दिर की प्रत्येक दीवार 50 फुट लम्बी है। ऊपरी भाग में एक छोटी दूसरी मंज़िल है। मन्दिर की दीवारें समानुपातिक नहीं हैं तथा छत की रचना विशिष्ट है। मन्दिर की यह असामान्य वास्तुयोजना पर्सी ब्राउन के विचार में प्राचीन सभागृह पर आधारित है।

  • पाँचवीं शताब्दी के मध्य में निर्मित यह मन्दिर चालुक्य मंदिर स्थापत्य के विकास केन्द्र ऐहोल का सबसे प्राचीन है। मन्दिर सपाट तथा नीची छत वाला है।
  • इस वर्गाकार मन्दिर की प्रत्येक दीवार 50 फुट लम्बी है। ऊपरी भाग में एक छोटी दूसरी मंज़िल है।
  • इसके तीन ओर से पत्थर की दीवारें हैं, जिनमें से दो में पत्थर की खिड़कियाँ हैं। इनमें विभिन्न सुन्दर नक़्क़ाशी द्वारा किये गये छेद हैं।
  • पूर्व की ओर इसका प्रवेश द्वार है तथा सामने खुला स्तम्भ मण्डप बना हुआ है।
  • भीतर एक कक्ष है जो स्तम्भ युक्त मण्डप की तरह लगता है, क्योंकि इसमें दो वर्गाकार स्तम्भ समूह हैं।
  • एक स्तम्भ समूह के अन्दर दूसरा स्तम्भ समूह बनाया गया है, जिससे चारों ओर दोहरा पार्श्व बन गया है। मध्य में एक विशाल नंदी-प्रतिमा बनी हुई है।
  • मूलरूप से यह वैष्णव मन्दिर था, परंतु बाद में स्थापित की गई नन्दि मूर्ति से यह शैव मन्दिर बन गया है।
  • इस मन्दिर की यह असामान्य वास्तुयोजना पर्सी ब्राउन के विचार में प्राचीन सभागृह पर आधारित है।
  • लाद खान मंदिर के स्तम्भ सादे चौकोर दण्ड वाले हैं। उनके ऊपर चौकोर दोहरा फलक है। परंतु भित्ति स्तम्भों के ऊपरी भाग कुछ पतले हैं, मण्डप के स्तम्भ भारी और विशालकाय हैं।
  • मन्दिर की दीवारें समानुपातिक नहीं हैं तथा छत की रचना विशिष्ट है।
  • लाद खान मन्दिर की शैली में बने हुए ऐहोल के अन्य मन्दिरों में कांतगुड़ी मन्दिर उल्लेखनीय है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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