"यह कदम्ब का पेड़-2 -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
प्रीति चौधरी (वार्ता | योगदान) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "आंखें" to "आँखें") |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
यह कदंब का पेड़ अगर | यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता जमना तीरे | ||
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे | मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे धीरे | ||
ले देती यदि मुझे तुम बांसुरी दो पैसे वाली | ले देती यदि मुझे तुम बांसुरी दो पैसे वाली | ||
पंक्ति 44: | पंक्ति 44: | ||
मुझे देखने काम छोड़कर, तुम बाहर तक आतीं | मुझे देखने काम छोड़कर, तुम बाहर तक आतीं | ||
तुमको आती देख, बांसुरी रख मैं चुप हो जाता | तुमको आती देख, बांसुरी रख मैं चुप हो जाता | ||
एक बार | एक बार माँ कह, पत्तों में धीरे से छिप जाता | ||
तुम हो चकित देखती, चारों ओर ना मुझको पातीं | तुम हो चकित देखती, चारों ओर ना मुझको पातीं | ||
व्याकुल सी हो तब, कदंब के नीचे तक आ जातीं | व्याकुल सी हो तब, कदंब के नीचे तक आ जातीं | ||
पंक्ति 58: | पंक्ति 58: | ||
वहीं कहीं पत्तों में छिपकर, फिर बांसुरी बजाता | वहीं कहीं पत्तों में छिपकर, फिर बांसुरी बजाता | ||
बुलाने पर भी जब मैं ना उतरकर आता | बुलाने पर भी जब मैं ना उतरकर आता | ||
मां, तब | मां, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता | ||
तुम आंचल फैलाकर अम्मां, वहीं पेड़ के नीचे | तुम आंचल फैलाकर अम्मां, वहीं पेड़ के नीचे | ||
ईश्वर से विनती करतीं, बैठी | ईश्वर से विनती करतीं, बैठी आँखें मीचे | ||
तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं, धीरे धीरे आता | तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं, धीरे धीरे आता | ||
और तुम्हारे आंचल के नीचे छिप जाता | और तुम्हारे आंचल के नीचे छिप जाता | ||
तुम घबराकर आंख खोलतीं, और | तुम घबराकर आंख खोलतीं, और माँ खुश हो जातीं | ||
इसी तरह खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे | इसी तरह खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे | ||
यह कदंब का पेड़ अगर | यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता जमना तीरे ।। | ||
05:12, 4 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
![]() |
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||||
|
यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता जमना तीरे |