"राधावल्लभ मन्दिर वृन्दावन": अवतरणों में अंतर
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* [[जेम्स फ़र्गुसन]] आदि ने शिखरों पर आश्चर्य व्यक्त किया है। ये शिखर [[बौद्ध]] स्तूपों में मिलते हैं। | * [[जेम्स फ़र्गुसन]] आदि ने शिखरों पर आश्चर्य व्यक्त किया है। ये शिखर [[बौद्ध]] स्तूपों में मिलते हैं। | ||
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* [[बनारस]] का [[विश्वनाथ मन्दिर|विश्वेश्वर मन्दिर]] भी इसी | * [[बनारस]] का [[विश्वनाथ मन्दिर|विश्वेश्वर मन्दिर]] भी इसी श्रृंखला में है। वास्तव में हुआ यह है कि मूल मन्दिरों का जीर्णोद्धार जब-जब हुआ, तब-तब उनमें कुछ न कुछ परिवर्तन आता गया। इसी से लगता है कि इन मन्दिरों का स्थापत्य पुराना नहीं है। | ||
* [[वृन्दावन]] के [[मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन|मदनमोहन मन्दिर]] के निकटस्थ | * [[वृन्दावन]] के [[मदन मोहन मन्दिर वृन्दावन|मदनमोहन मन्दिर]] के निकटस्थ श्रृंगार बट के मन्दिर के विषय में यही बात उचित ठहरती है। | ||
* | * श्रृंगार बट की आय रू. 13500 थी, जो तीन भागीदारों में बॅट जाती थी। | ||
* [[यमुना नदी|यमुना]] पार का जहाँगीरपुर और बेलबन मन्दिर के प्राभूत के अंश हैं। | * [[यमुना नदी|यमुना]] पार का जहाँगीरपुर और बेलबन मन्दिर के प्राभूत के अंश हैं। | ||
11:38, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
राधावल्लभ मन्दिर वृन्दावन
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विवरण | एक वैष्णव संप्रदाय का मन्दिर है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
नगर | वृन्दावन |
निर्माण | 16वीं शताब्दी |
संबंधित लेख | मदन मोहन मन्दिर, गोविन्द देव मन्दिर, जुगलकिशोर जी का मन्दिर |
अन्य जानकारी | हरिदेव जी के मन्दिर की भाँति यह मन्दिर भी औरंगज़ेब ने ध्वस्त कर दिया था। इसका पूरा जीर्णोद्धार उन्नीसवीं शती में कराया गया था। |
राधावल्लभ जी का मन्दिर उत्तर प्रदेश के मथुरा ज़िले के वृन्दावन नगर में स्थित है। यह बहुत ही सुन्दर है।
वास्तुकला विशेषताएँ
- इसके भवन का सौंदर्य और शिल्प लगभग गोवर्धन के हरदेवजी मन्दिर के जैसा है। यह भी पैमाने का बना है।
- इसकी नाभि 34 फीट चौड़ी है। ऊपर और नीचे का भाग हिन्दू शिल्प का है और मध्य का भाग मुस्लिम शिल्प का।
- इसके भीतर 63 फीट x 20 फीट का बड़ा कक्ष है।
- हरदेवजी के मन्दिर की भाँति यह मन्दिर भी औरंगज़ेब ने ध्वस्त कर दिया था। इसका पूरा जीर्णोद्धार उन्नीसवीं शती में कराया गया था।
- इसी के दक्षिण की ओर आधुनिक मन्दिर बनाया गया है। ये पाचों मन्दिर इसी श्रृंखला में वास्तु-शिल्प के अद्भुत आदर्श हैं।
- जेम्स फ़र्गुसन आदि ने शिखरों पर आश्चर्य व्यक्त किया है। ये शिखर बौद्ध स्तूपों में मिलते हैं।
- 11वीं शताब्दी का खजुराहो का पार्श्वनाथ मन्दिर और 16वीं शताब्दी के वृन्दावन के मदनमोहन और जुगलकिशोर मन्दिरों में साम्य है।
- बनारस का विश्वेश्वर मन्दिर भी इसी श्रृंखला में है। वास्तव में हुआ यह है कि मूल मन्दिरों का जीर्णोद्धार जब-जब हुआ, तब-तब उनमें कुछ न कुछ परिवर्तन आता गया। इसी से लगता है कि इन मन्दिरों का स्थापत्य पुराना नहीं है।
- वृन्दावन के मदनमोहन मन्दिर के निकटस्थ श्रृंगार बट के मन्दिर के विषय में यही बात उचित ठहरती है।
- श्रृंगार बट की आय रू. 13500 थी, जो तीन भागीदारों में बॅट जाती थी।
- यमुना पार का जहाँगीरपुर और बेलबन मन्दिर के प्राभूत के अंश हैं।
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