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||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|100px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|100px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत् और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]] | ||
{[[भारत]] की सबसे अधिक [[नौगम्य]] दो नदियाँ हैं? | {[[भारत]] की सबसे अधिक [[नौगम्य]] दो नदियाँ हैं? | ||
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||[[चित्र:Ram-Hanuman.jpg|right|90px|श्रीराम-हनुमान मिलन]]'[[वाल्मीकि रामायण]]' के अनुसार [[हनुमान]] एक वानर वीर थे। भगवान [[राम]] को हनुमान [[ऋष्यमूक पर्वत]] के पास मिले थे। हनुमान जी राम के अनन्य मित्र, सहायक और परम [[भक्त]] सिद्ध हुए थे। [[सीता]] का अन्वेषण करने के लिए ये [[लंका]] गए। राम के दौत्य ( | ||[[चित्र:Ram-Hanuman.jpg|right|90px|श्रीराम-हनुमान मिलन]]'[[वाल्मीकि रामायण]]' के अनुसार [[हनुमान]] एक वानर वीर थे। भगवान [[राम]] को हनुमान [[ऋष्यमूक पर्वत]] के पास मिले थे। हनुमान जी राम के अनन्य मित्र, सहायक और परम [[भक्त]] सिद्ध हुए थे। [[सीता]] का अन्वेषण करने के लिए ये [[लंका]] गए। राम के दौत्य (अर्थात् सन्देश देना या दूत का कार्य) आदि का दायित्व इन्होंने अद्भुत प्रकार से निर्वाह किया। [[राम]]-[[रावण]] युद्ध में भी इनका पराक्रम प्रसिद्ध है। रामावत वैष्णव धर्म के विकास के साथ हनुमान का भी दैवीकरण हुआ। वे राम के पार्षद और पुन: पूज्य देव रूप में मान्य हो गये। धीरे-धीरे हनुमंत अथवा मारूति पूजा का एक सम्प्रदाय ही बन गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[हनुमान]] | ||
{[[मेघनाद]] का दूसरा नाम क्या था? | {[[मेघनाद]] का दूसरा नाम क्या था? | ||
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- [[मध्य प्रदेश]] | - [[मध्य प्रदेश]] | ||
- [[तमिलनाडु]] | - [[तमिलनाडु]] | ||
|| राजस्थान सांस्कृतिक रूप में समृद्ध होने के साथ-साथ खनिजों के मामले में भी समृद्ध रहा है और अब वह देश के औद्योगिक परिदृश्य में भी | || राजस्थान सांस्कृतिक रूप में समृद्ध होने के साथ-साथ खनिजों के मामले में भी समृद्ध रहा है और अब वह देश के औद्योगिक परिदृश्य में भी तेज़ीसे उभर रहा है। राजस्थान के मुख्य उद्योग हैं: [[वस्त्र]], ऊनी कपडे, चीनी, सीमेंट, काँच, सोडियम संयंत्र, [[ऑक्सीजन]], वनस्पति, [[रंग]], कीटनाशक, [[जस्ता]], उर्वरक, रेल के डिब्बे, बॉल बियरिंग, पानी व बिजली के मीटर, टेलीविज़न सेट, सल्फ्यूरिक एसिड, सिंथेटिक धागे तथा तापरोधी ईंटें आदि।{{point}}विस्तार से पढ़ें:- [[राजस्थान]] | ||
{[[हर्षवर्धन]] प्रत्येक पाँच वर्ष के बाद कहाँ पर सम्मेलन आयोजित करता था? | {[[हर्षवर्धन]] प्रत्येक पाँच वर्ष के बाद कहाँ पर सम्मेलन आयोजित करता था? | ||
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-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय|हरिऔध]] | -[[अयोध्यासिंह उपाध्याय|हरिऔध]] | ||
+[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] | +[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] | ||
||[[चित्र:Bhartendu-Harishchandra.jpg|भारतेन्दु हरिश्चंद्र| | ||[[चित्र:Bhartendu-Harishchandra.jpg|भारतेन्दु हरिश्चंद्र|100px|right]]युग प्रवर्तक बाबू भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म [[काशी]] नगरी के प्रसिद्ध 'सेठ अमीचंद' के वंश में [[9 सितम्बर]], 1850 को हुआ। इनके पिता 'बाबू गोपाल चन्द्र' भी एक कवि थे। इनके घराने में वैभव एवं प्रतिष्ठा थी। जब इनकी अवस्था मात्र 5 वर्ष की थी, इनकी माता चल बसी और दस वर्ष की आयु में पिता जी भी चल बसे। भारतेन्दु जी विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति थे। इन्होंने अपने परिस्थितियों से गम्भीर प्रेरणा ली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] | ||
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