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'''औंध नारायण श्रीवास्तव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Oudh Narayan Shrivastava'', जन्म- [[1936]], [[भोपाल]]) भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे जो [[नागालैंड]] और [[मणिपुर]] के [[राज्यपाल]] रहे। वर्ष [[1992]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें '[[पद्म श्री]]' से सम्मानित किया था।<br />
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}}'''औंध नारायण श्रीवास्तव''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Oudh Narayan Shrivastava'', जन्म- [[1936]], [[भोपाल]]) भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे जो [[नागालैंड]] और [[मणिपुर]] के [[राज्यपाल]] रहे। वर्ष [[1992]] में [[भारत सरकार]] ने उन्हें '[[पद्म श्री]]' से सम्मानित किया था।<br />
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*औंध नारायण श्रीवास्तव ने 35 वर्षों तक भारतीय पुलिस सेवा में सेवा की, जिसमें 20 वर्ष इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ थे।
*औंध नारायण श्रीवास्तव ने 35 वर्षों तक भारतीय पुलिस सेवा में सेवा की, जिसमें 20 वर्ष इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ थे।
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औंध नारायण श्रीवास्तव
औंध नारायण श्रीवास्तव
औंध नारायण श्रीवास्तव
पूरा नाम औंध नारायण श्रीवास्तव
जन्म 1936
जन्म भूमि भोपाल (आज़ादी पूर्व)
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राज्यपाल, नागालैंड- 5 अगस्त, 1994 से 11 नवम्बर, 1996 तक

राज्यपाल, मणिपुर- 23 दिसम्बर, 1994 से 11 फ़रवरी, 1999 तक

पुरस्कार-उपाधि 'पद्म श्री' (1992)
अन्य जानकारी सेवानिवृत्ति के बाद औंध नारायण श्रीवास्तव ने लेखन क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने छोटी और लंबी कहानियों के पांच संकलन प्रकाशित किए।

औंध नारायण श्रीवास्तव (अंग्रेज़ी: Oudh Narayan Shrivastava, जन्म- 1936, भोपाल) भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी थे जो नागालैंड और मणिपुर के राज्यपाल रहे। वर्ष 1992 में भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म श्री' से सम्मानित किया था।


  • औंध नारायण श्रीवास्तव ने 35 वर्षों तक भारतीय पुलिस सेवा में सेवा की, जिसमें 20 वर्ष इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ थे।
  • उन्होंने 18 साल पूर्वोत्तर राज्यों में बिताए, जिसके बाद उन्हें मणिपुर और नागालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहाँ से वे अंततः सेवानिवृत्त हुए।
  • वह मिजो नेशनल फ्रंट, त्रिपुरा नेशनल वालंटियर्स और ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के साथ शांति समझौते के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थे।
  • औंध नारायण श्रीवास्तव को कई बार आईपीएस और आईबी द्वारा सम्मानित किया गया।
  • उन्हें 1992 में पूर्वोत्तर में उत्कृष्ट कार्य के लिए 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया था।
  • सेवानिवृत्ति के बाद औंध नारायण श्रीवास्तव ने लेखन क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने छोटी और लंबी कहानियों के पांच संकलन प्रकाशित किए, जिनमें से चार हिंदी में और एक अंग्रेज़ी में है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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