"लॉर्ड एलगिन प्रथम": अवतरणों में अंतर
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'''लॉर्ड एल्गिन प्रथम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Lord Elgin I'', जन्म- [[20 जुलाई]], [[1811]]; मृत्यु- [[20 नवंबर]], [[1863]]) सन [[1862]] ई. में [[लॉर्ड कैनिंग]] के बाद [[भारत]] के [[वायसराय]] बनकर आये थे। उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता थी- वहाबी आंदोलन का सफलतापूर्वक दमन। लॉर्ड एल्गिन प्रथम ने [[1863]] की गर्मियों को [[शिमला]] में बिताया और ऊपरी भारत के दौरे पर [[धर्मशाला]] में हृदय रोग से उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें वहीं दफनाया गया।<br /> | |||
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*लॉर्ड | *20 जुलाई, 1811 को जन्मे लॉर्ड एल्गिन प्रथम की शिक्षा ईटन और क्राइस्ट चर्च ऑक्सफोर्ड में हुई थी। | ||
*1863 | *वह एक ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासक और राजनयिक थे, जिन्हें कनाडा प्रांत के गवर्नर जनरल और भारत के वायसराय के रूप में जाना जाता था। वह एल्गिन के 7वें अर्ल और किन्कार्डिन के 11वें अर्ल के पुत्र थे।<ref name="pp">{{cite web |url=https://hindi.gktoday.in/gk-in-hindi/%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A1-%E0%A4%8F%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A4%BF%E0%A4%A8/ |title=लॉर्ड एल्गिन|accessmonthday=27 फरवरी|accessyear=2022 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=hindi.gktoday.in |language=हिंदी}}</ref> | ||
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*लॉर्ड एल्गिन प्रथम के अधीन भारतीय प्रशासन उस समय भारत सरकार में बनाया गया एक आदर्श क्रॉस सेक्शन प्रस्तुत करता है, जब नए शासन के लोग कंपनी के पुराने तरीकों का तेजी से स्थान ले रहे थे। | |||
*उन्होंने विशिष्ट रूप से आंग्ल-भारतीय प्रशासन को एक नई दिशा दी। विद्रोह के शुरुआती दिनों में खुद को और प्रत्येक सैनिक को कैनिंग के निपटान में रखने में उनकी निर्णायक कार्रवाई ने बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण में भारत की बहुत मदद की थी।<ref name="pp"/> | |||
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लॉर्ड एल्गिन प्रथम (अंग्रेज़ी: Lord Elgin I, जन्म- 20 जुलाई, 1811; मृत्यु- 20 नवंबर, 1863) सन 1862 ई. में लॉर्ड कैनिंग के बाद भारत के वायसराय बनकर आये थे। उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता थी- वहाबी आंदोलन का सफलतापूर्वक दमन। लॉर्ड एल्गिन प्रथम ने 1863 की गर्मियों को शिमला में बिताया और ऊपरी भारत के दौरे पर धर्मशाला में हृदय रोग से उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें वहीं दफनाया गया।
- 20 जुलाई, 1811 को जन्मे लॉर्ड एल्गिन प्रथम की शिक्षा ईटन और क्राइस्ट चर्च ऑक्सफोर्ड में हुई थी।
- वह एक ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रशासक और राजनयिक थे, जिन्हें कनाडा प्रांत के गवर्नर जनरल और भारत के वायसराय के रूप में जाना जाता था। वह एल्गिन के 7वें अर्ल और किन्कार्डिन के 11वें अर्ल के पुत्र थे।[1]
- लॉर्ड एल्गिन प्रथम की दूसरी पत्नी डरहम के प्रथम अर्ल की बेटी लेडी मैरी लैम्बटन थीं।
- उन्होंने 1842 से 1846 तक जमैका के गवर्नर और 1846 से 1854 तक कनाडा के गवर्नर जनरल के रूप में औपनिवेशिक प्रशासन में व्यापक अनुभव प्राप्त किया था। वह अब तक नियुक्त किए गए सबसे प्रशिक्षित वायसराय में से एक थे।
- लॉर्ड एल्गिन प्रथम के अधीन भारतीय प्रशासन उस समय भारत सरकार में बनाया गया एक आदर्श क्रॉस सेक्शन प्रस्तुत करता है, जब नए शासन के लोग कंपनी के पुराने तरीकों का तेजी से स्थान ले रहे थे।
- उन्होंने विशिष्ट रूप से आंग्ल-भारतीय प्रशासन को एक नई दिशा दी। विद्रोह के शुरुआती दिनों में खुद को और प्रत्येक सैनिक को कैनिंग के निपटान में रखने में उनकी निर्णायक कार्रवाई ने बहुत ही महत्वपूर्ण क्षण में भारत की बहुत मदद की थी।[1]
- भारत में लॉर्ड एल्गिन प्रथम का कॅरियर केवल बीस महीने के कार्यालय के बाद उनकी अचानक मृत्यु के कारण समाप्त हो गया।
- लॉर्ड एल्गिन प्रथम ने 1863 की गर्मियों को शिमला में बिताया और ऊपरी भारत के दौरे पर धर्मशाला में हृदय रोग से उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें वहीं दफनाया गया।
- उनके समय की मुख्य घटना उत्तर पश्चिमी सीमांत में अंबाला अभियान था जो वहां एक आदिवासी विद्रोह को दबाने के लिए था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 लॉर्ड एल्गिन (हिंदी) hindi.gktoday.in। अभिगमन तिथि: 27 फरवरी, 2022।