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'''बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Balkrishna Vithaldas Doshi'', जन्म- [[26 अगस्त]], [[1927]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध वास्तुकार हैं। उन्हें [[ब्रिटेन]] के प्रतिष्ठित पुरस्कार 'रॉयल गोल्ड मेडल' ([[2022]]) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार [[वास्तुकला]] की दुनिया में विशेष माना जाता है।<br />
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*वर्ष 1927 में [[पुणे]] में फर्नीचर निर्माण से जुड़े [[परिवार]] में बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी का जन्म हुआ।
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*उन्होंने जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, [[बंबई]] में अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने पेरिस में वरिष्ठ डिजाइनर लुई कान के साथ चार साल और [[अहमदाबाद]] में परियोजनाओं की निगरानी के लिए भारत में चार साल काम किया।
|पूरा नाम=बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी
*आरआईबीए ने बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी को सम्मानित किए जाने का ऐलान करते हुए कहा था कि 70 साल के कॅरियर और 100 से अधिक निर्मित परियोजनाओं के साथ बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी ने अपने अभ्यास और अपने शिक्षण दोनों के माध्यम से भारत और उसकी [[वास्तुकला]] के क्षेत्र को प्रभावित किया है।
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*रॉयल गोल्ड मेडल को व्यक्तिगत रूप से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा स्वीकृत किया जाता है। इसे ऐसे व्यक्ति या लोगों के समूह को दिया जाता है, जिनका वास्तुकला के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा हो।
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}}'''बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Balkrishna Vithaldas Doshi'', जन्म- [[26 अगस्त]], [[1927]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध वास्तुकार हैं। उन्हें [[ब्रिटेन]] के प्रतिष्ठित पुरस्कार 'रॉयल गोल्ड मेडल' ([[2022]]) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार [[वास्तुकला]] की दुनिया में विशेष माना जाता है। [[2020]] में [[भारत सरकार]] ने बालकृष्ण दोशी को [[पद्म भूषण]] से नवाजा था।
==परिचय==
वर्ष 1927 में [[पुणे]], महाराष्ट्र में फर्नीचर निर्माण से जुड़े [[परिवार]] में बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी का जन्म हुआ। मुंबई (वर्तमान मुम्बई) के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर के स्टूडेंट रहे दोशी ने सन [[1950]] के दशक में दिग्गज लि कॉर्ब्यूजेर कंपनी के साथ काम किया। इसके बाद वह [[भारत]] वापस आ गए।
==व्यवसाय==
बी. वी. दोशी ने सन [[1955]] में अपना स्टूडियो 'वास्तु-शिल्प' बनाया और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, [[अहमदाबाद]] के डिजाइनिंग कैंपस में लुई खान और अनंत राजे के साथ काम किया। इसके अलावा वह [[बेंगलुरु]], [[लखनऊ]], नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, इंस्टिट्यूट ऑफ इंडॉलजी सहित [[भारत]] के कई परिसरों में वह डिजाइनिंग के लिए गए। दोशी का [[परिवार]] फर्नीचर बनाता था। एक इंटरव्यू में खुद दोशी ने कहा था कि उन्हें आर्किटेक्चर से जुड़ी शुरुआती प्रेरणा उनके दादाजी के घर से मिली थी।
==आर्किटेक्चर का नोबेल==
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय हैं। पुरस्कार मिलने के बाद उन्होंने कहा था, 'मेरा काम मेरे जीवन, [[दर्शन]] और सपनों का विस्तार है। मैं यह पुरस्कार अपने गुरु लि कॉर्ब्यूजेर को समर्पित करता हूं।'
 
दिग्गज भारतीय आर्किटेक्ट बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी, जिन्होंने न सिर्फ इमारतें बल्कि संस्थान भी बनाए, को ‘प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज’ से सम्मानित किया गया है। यह आर्किटेक्चर की दुनिया का [[नोबेल पुरस्कार]] माना जाता है। उनके नाम का ऐलान करते हुए जूरी ने कहा था, 'सालों से, बालकृष्ण दोशी ने ऐसे डिजाइन बनाए जो गंभीर हैं, कभी भड़कीले नहीं रहे और ट्रेंड से हटकर थे। जिम्मेदारी और अपने देश के निवासियों के लिए कुछ करने की चाह के साथ उन्होंने पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन और उपयोगिता वाले प्रॉजेक्ट्स, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थान, प्राइवेट क्लाइंट्स के लिए घर बनाए।'
 
*[[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को [[ब्रिटेन]] के प्रतिष्ठित शाही स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और कहा कि "वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है। दोशी के कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।"
*[[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को [[ब्रिटेन]] के प्रतिष्ठित शाही स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और कहा कि "वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है। दोशी के कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।"
==पद्म पुरस्कार==
*[[पद्म श्री]], [[1976]]
*ग्लोबल अवार्ड फाॅर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर, [[2007]]
*दि ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स (कला के क्षेत्र में [[फ्रांस]] का उच्चतम पुरस्कार), [[2011]]
*धीरुभाई ठक्कर सव्यसाची सारस्वत अवार्ड, [[2017]]
*प्रित्जकर आर्किटेक्चर अवार्ड, [[2018]]
*[[पद्म भूषण]], [[2020]]
*डाक्ट्रेट की मादन उपाधि (पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी)
*रॉयल गोल्ड मेडल, [[2022]]
*[[पद्म विभूषण]], [[2023]]
==प्रित्जकर पुरस्कार==
'प्रित्जकर पुरस्कार' को आर्किटेक्ट ([[वास्तुकला]]) के [[नोबल पुरस्कार]] के रूप में जाना जाता है। साल [[2018]] में इस पुरस्कार से सम्मानित होकर बालकृष्ण दोशी ने [[भारत]] को इस क्षेत्र में गौरवान्वित करने का काम किया है।


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बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी
पूरा नाम बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी
जन्म 26 अगस्त, 1927
जन्म भूमि पुणे, भारत (आज़ादी पूर्व)
अभिभावक माता- राधा दोशी

पिता- विट्ठलदास दोशी

पति/पत्नी कमला पारिख
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र वास्तुकला
विद्यालय के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, मुम्बई
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण, 2023

रॉयल गोल्ड मेडल, 2022
पद्म भूषण, 2020
पद्म श्री, 1976

प्रसिद्धि वास्तुकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी, जिन्होंने न सिर्फ इमारतें बल्कि संस्थान भी बनाए, को ‘प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज’ से सम्मानित किया गया है। यह आर्किटेक्चर की दुनिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।
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बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी (अंग्रेज़ी: Balkrishna Vithaldas Doshi, जन्म- 26 अगस्त, 1927) भारत के प्रसिद्ध वास्तुकार हैं। उन्हें ब्रिटेन के प्रतिष्ठित पुरस्कार 'रॉयल गोल्ड मेडल' (2022) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार वास्तुकला की दुनिया में विशेष माना जाता है। 2020 में भारत सरकार ने बालकृष्ण दोशी को पद्म भूषण से नवाजा था।

परिचय

वर्ष 1927 में पुणे, महाराष्ट्र में फर्नीचर निर्माण से जुड़े परिवार में बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी का जन्म हुआ। मुंबई (वर्तमान मुम्बई) के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर के स्टूडेंट रहे दोशी ने सन 1950 के दशक में दिग्गज लि कॉर्ब्यूजेर कंपनी के साथ काम किया। इसके बाद वह भारत वापस आ गए।

व्यवसाय

बी. वी. दोशी ने सन 1955 में अपना स्टूडियो 'वास्तु-शिल्प' बनाया और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद के डिजाइनिंग कैंपस में लुई खान और अनंत राजे के साथ काम किया। इसके अलावा वह बेंगलुरु, लखनऊ, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, इंस्टिट्यूट ऑफ इंडॉलजी सहित भारत के कई परिसरों में वह डिजाइनिंग के लिए गए। दोशी का परिवार फर्नीचर बनाता था। एक इंटरव्यू में खुद दोशी ने कहा था कि उन्हें आर्किटेक्चर से जुड़ी शुरुआती प्रेरणा उनके दादाजी के घर से मिली थी।

आर्किटेक्चर का नोबेल

बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय हैं। पुरस्कार मिलने के बाद उन्होंने कहा था, 'मेरा काम मेरे जीवन, दर्शन और सपनों का विस्तार है। मैं यह पुरस्कार अपने गुरु लि कॉर्ब्यूजेर को समर्पित करता हूं।'

दिग्गज भारतीय आर्किटेक्ट बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी, जिन्होंने न सिर्फ इमारतें बल्कि संस्थान भी बनाए, को ‘प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज’ से सम्मानित किया गया है। यह आर्किटेक्चर की दुनिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। उनके नाम का ऐलान करते हुए जूरी ने कहा था, 'सालों से, बालकृष्ण दोशी ने ऐसे डिजाइन बनाए जो गंभीर हैं, कभी भड़कीले नहीं रहे और ट्रेंड से हटकर थे। जिम्मेदारी और अपने देश के निवासियों के लिए कुछ करने की चाह के साथ उन्होंने पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन और उपयोगिता वाले प्रॉजेक्ट्स, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थान, प्राइवेट क्लाइंट्स के लिए घर बनाए।'

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित शाही स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और कहा कि "वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है। दोशी के कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।"

पद्म पुरस्कार

  • पद्म श्री, 1976
  • ग्लोबल अवार्ड फाॅर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर, 2007
  • दि ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ आर्ट्स एंड लेटर्स (कला के क्षेत्र में फ्रांस का उच्चतम पुरस्कार), 2011
  • धीरुभाई ठक्कर सव्यसाची सारस्वत अवार्ड, 2017
  • प्रित्जकर आर्किटेक्चर अवार्ड, 2018
  • पद्म भूषण, 2020
  • डाक्ट्रेट की मादन उपाधि (पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी)
  • रॉयल गोल्ड मेडल, 2022
  • पद्म विभूषण, 2023

प्रित्जकर पुरस्कार

'प्रित्जकर पुरस्कार' को आर्किटेक्ट (वास्तुकला) के नोबल पुरस्कार के रूप में जाना जाता है। साल 2018 में इस पुरस्कार से सम्मानित होकर बालकृष्ण दोशी ने भारत को इस क्षेत्र में गौरवान्वित करने का काम किया है।


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