"बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 6 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू (राजस्व परिषद)''', का गठन 1772 ई. में [[वारेन हेस्टिंग्स]] ने उस समय किया, जब [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] दीवानी का कार्य कर रही थी। दो नायब दीवानों के पद समाप्त कर दिये गये और आरम्भ में गवर्नर तथा उसकी परिषद ने राजस्व परिषद के रूप में कार्य करना शुरू किया, किन्तु 1787 ई. में इसे एक बार फिर से पुनर्गठित किया गया। गवर्नर की परिषद का एक सदस्य इसका अध्यक्ष तथा कम्पनी के कुछ वरिष्ठ अधिकारी सदस्य बनाये गये। | [[चित्र: Board_of_revenue.JPG|right|thumb|250px|उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू (राजस्व परिषद) का कार्यालय]] | ||
'''बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू (राजस्व परिषद)''', का गठन 1772 ई. में [[वारेन हेस्टिंग्स]] ने उस समय किया, जब [[ईस्ट इण्डिया कम्पनी]] दीवानी का कार्य कर रही थी। दो नायब दीवानों के पद समाप्त कर दिये गये और आरम्भ में गवर्नर तथा उसकी परिषद ने राजस्व परिषद के रूप में कार्य करना शुरू किया, किन्तु 1787 ई. में इसे एक बार फिर से पुनर्गठित किया गया। गवर्नर की परिषद का एक सदस्य इसका अध्यक्ष तथा कम्पनी के कुछ वरिष्ठ अधिकारी सदस्य बनाये गये। लॉर्ड कार्नवालिस ने [[सर जॉन शोर]] की नियुक्ति राजस्व परिषद के अध्यक्ष के रूप में की और उसको [[बंगाल]] में [[स्थाई बन्दोबस्त]] की दीर्घकालिक प्रणाली शुरू करने के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। शोर बन्दोबस्त के विरुद्ध था, किन्तु लॉर्ड कार्नवालिस के अनुरोध पर बंगाल में भू-राजस्व की स्थाई प्रणाली चालू कराई गई। इस व्यवस्था से [[कोलकाता|कलकत्ता]] स्थित राजस्व परिषद का महत्त्व बढ़ गया और एक सुयोग्य अधिकारी की अधीनता में उसने अपना कार्य जारी भी रखा। राजस्व परिषद आज भी कार्यरत है और उसका प्रभारी अधिकारी वरिष्ठ प्रशासकों में से ही एक होता है। इसका सम्बन्ध मुख्यत: माल के मामलों में ही रहता है। | |||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
पंक्ति 9: | पंक्ति 12: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-299 | (पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-299 | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{औपनिवेशिक काल}} | |||
[[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:इतिहास कोश]] | ||
[[Category:औपनिवेशिक काल]] | [[Category:औपनिवेशिक काल]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
15:28, 8 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण
बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू (राजस्व परिषद), का गठन 1772 ई. में वारेन हेस्टिंग्स ने उस समय किया, जब ईस्ट इण्डिया कम्पनी दीवानी का कार्य कर रही थी। दो नायब दीवानों के पद समाप्त कर दिये गये और आरम्भ में गवर्नर तथा उसकी परिषद ने राजस्व परिषद के रूप में कार्य करना शुरू किया, किन्तु 1787 ई. में इसे एक बार फिर से पुनर्गठित किया गया। गवर्नर की परिषद का एक सदस्य इसका अध्यक्ष तथा कम्पनी के कुछ वरिष्ठ अधिकारी सदस्य बनाये गये। लॉर्ड कार्नवालिस ने सर जॉन शोर की नियुक्ति राजस्व परिषद के अध्यक्ष के रूप में की और उसको बंगाल में स्थाई बन्दोबस्त की दीर्घकालिक प्रणाली शुरू करने के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। शोर बन्दोबस्त के विरुद्ध था, किन्तु लॉर्ड कार्नवालिस के अनुरोध पर बंगाल में भू-राजस्व की स्थाई प्रणाली चालू कराई गई। इस व्यवस्था से कलकत्ता स्थित राजस्व परिषद का महत्त्व बढ़ गया और एक सुयोग्य अधिकारी की अधीनता में उसने अपना कार्य जारी भी रखा। राजस्व परिषद आज भी कार्यरत है और उसका प्रभारी अधिकारी वरिष्ठ प्रशासकों में से ही एक होता है। इसका सम्बन्ध मुख्यत: माल के मामलों में ही रहता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-299