"स्वर्णगौरी व्रत": अवतरणों में अंतर
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*[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[तृतीया]] को स्वर्णगौरीव्रत किया जाता हैं। | *[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[तृतीया]] को स्वर्णगौरीव्रत किया जाता हैं। | ||
*स्वर्णगौरीव्रत में [[देवता]] [[गौरी]] की पूजा की जाती है। | *स्वर्णगौरीव्रत में [[देवता]] [[गौरी]] की पूजा की जाती है। | ||
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*[[पुत्र|पुत्रों]], [[धन]] एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए देवी से प्रार्थना करनी चाहिए। | *[[पुत्र|पुत्रों]], [[धन]] एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए देवी से प्रार्थना करनी चाहिए। | ||
*स्वर्णगौरीव्रत उद्यापन पर 16 पुरवों (कुल्हड़ों में) 16 [[खाद्य पदार्थ]] भरकर तथा [[वस्त्र]] से ढंककर गृहस्थ [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] एवं उनकी पत्नियों को दान करना चाहिए। | *स्वर्णगौरीव्रत उद्यापन पर 16 पुरवों (कुल्हड़ों में) 16 [[खाद्य पदार्थ]] भरकर तथा [[वस्त्र]] से ढंककर गृहस्थ [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] एवं उनकी पत्नियों को दान करना चाहिए। | ||
*व्रतार्क <ref> | *व्रतार्क <ref>व्रतार्क पाण्डुलिपि 41 अ-44 ब</ref>, व्रतराज <ref>व्रतराज 96-97</ref> में आया है कि यह [[कर्नाटक]] प्रान्त में व्यवहार रूप में प्रचलित है। | ||
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12:51, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को स्वर्णगौरीव्रत किया जाता हैं।
- स्वर्णगौरीव्रत में देवता गौरी की पूजा की जाती है।
- स्वर्णगौरीव्रत केवल नारियों के लिए होता है।
- स्वर्णगौरीव्रत 16 उपचारों से गौरी की पूजा की जाती है।
- पुत्रों, धन एवं सौभाग्य की प्राप्ति के लिए देवी से प्रार्थना करनी चाहिए।
- स्वर्णगौरीव्रत उद्यापन पर 16 पुरवों (कुल्हड़ों में) 16 खाद्य पदार्थ भरकर तथा वस्त्र से ढंककर गृहस्थ ब्राह्मणों एवं उनकी पत्नियों को दान करना चाहिए।
- व्रतार्क [1], व्रतराज [2] में आया है कि यह कर्नाटक प्रान्त में व्यवहार रूप में प्रचलित है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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