"भिन्नमाल": अवतरणों में अंतर

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;भीनमाल / भिलमाल / श्रीमाल  
[[माउंट आबू|आबू]] पहाड़ से 50 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है। चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग|युवानच्वांग]] ने भिन्नमाल को सम्भवतः पिलोमोलो नाम से अभिहित किया है और इस नगर को गुर्जर देश की राजधानी बताया है।भिन्नमाल गुर्जरो के साम्राज्य की प्रथम राजधानी थी। भिन्नमाल का एक अन्य नाम [[श्रीमाल]] भी प्रचलित है। 12वीं-13वीं शती में रचित [[प्रभावकचरित]] नामक ग्रंथ में [[प्रभाचंद्र]] ने [[श्रीमाल]] को गुर्जर देश का प्रमुख नगर कहा है- '''अस्ति-गुर्जरदेशोऽन्यसज्जराजन्यदुर्जरः तत्र श्रीमालमित्यस्ति पुरं मुखमिव क्षितेः''' इस ग्रंथ में यहाँ के तत्कालीन राजा [[श्रीवर्मन]] का उल्लेख है।  
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==राजधानी भिन्नमाल==
[[माउंट आबू|आबू]] पहाड़ से 50 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है। चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग|युवानच्वांग]] ने भिन्नमाल को सम्भवतः '''पिलोमोलो''' नाम से अभिहित किया है और इस नगर को गुर्जर देश की राजधानी बताया है। भिन्नमाल गुर्जरों के साम्राज्य की प्रथम राजधानी थी। भिन्नमाल के अन्य नाम [[श्रीमाल]] और [[भिलमाल]] भी प्रचलित है। 12वीं-13वीं शती में रचित प्रभावकचरित नामक ग्रंथ में [[प्रभाचंद्र]] ने श्रीमाल को गुर्जर देश का प्रमुख नगर कहा है- '''अस्ति-गुर्जरदेशोऽन्यसज्जराजन्यदुर्जरः तत्र श्रीमालमित्यस्ति पुरं मुखमिव क्षितेः''' इस ग्रंथ में यहाँ के तत्कालीन राजा श्रीवर्मन का उल्लेख है।  
==इतिहास==  
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इतिहास के अनुसार ५वी शदी मे गुर्जरो ने भीनमाल को अपने सम्राज्य की राजधानी बनाया था।भरुच का सम्राज्य भी गुर्जरो के अधीन था|चीनी यात्री ह्वेन्सान्ग अपने लेखो मे गुर्जरो के सम्राज्य का उल्लेख करता है तथा इसे ''kiu-che-lo'' बोलता है।<ref>{{Cite web
*भीनमाल [[राजस्थान]] के [[मारवाड़]] अंचल में [[जालौर]] के ज़िलांतर्गत अवस्थित इस ग्राम का [[जैन]] तथा [[संस्कृत]] साहित्य में अनेक बार इसका उल्लेख हुआ है।
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*इस स्थल पर आर.सी. अग्रवाल द्वारा [[1953]]-[[1954]] ई. में [[उत्खनन]] करवाया गया।
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*यहाँ पर पक्की ईंटों से निर्मित मध्ययुगीन भवनों के अवशेष प्राप्त हुए हैं, जो विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
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*भीनमाल से कतिपय गुप्तकालीन मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं।
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*यहाँ से रोमन ऐम्फोरा (सुरापात्र) भी प्राप्त हुआ है, जो प्रथम शताब्दी ईसा का है।
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*इस आधार पर प्राचीन भीनमाल का विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्धों का ज्ञान प्राप्त होता है।
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====राजधानी भिन्नमाल====
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==महाकवि माघ==
==महाकवि माघ==
[[शिशुपाल]] वध की कई प्राचीन हस्तलिपियों में [[महाकवि माघ]] का भिन्नमाल या भिन्नमालव से सम्बन्ध इस प्रकार बताया गया है-
संस्कृत के विख्यात कवि माघ का यह कार्यक्षेत्र रहा है। [[शिशुपाल वध]] की कई प्राचीन हस्तलिपियों में [[महाकवि माघ]] का भिन्नमाल या भिन्नमालव से सम्बन्ध इस प्रकार बताया गया है-
<blockquote>'''इति श्री भिन्नमालववास्तव्यदत्तकसूनोर्महावैयाकरणस्य माघस्य कृतो शिशुपालवधे महाकाव्ये'''</blockquote>  
<blockquote>'''इति श्री भिन्नमालववास्तव्यदत्तकसूनोर्महावैयाकरणस्य माघस्य कृतो शिशुपालवधे महाकाव्ये'''</blockquote>  
माघ के पितामह [[सुप्रभदेव]] श्रीमालनरेश वर्मलात या वर्मल के [[महामात्य]] थे। ऐतिहासिक किंवदन्तियों से भी यही सूचित होता है कि संस्कृत के महाकवि माघ भिन्नमाल के ही निवासी थे। भिन्नमाल का रूपान्तर [[भिलमाल]] भी प्रचलित है।
माघ के पितामह सुप्रभदेव श्रीमालनरेश वर्मलात या वर्मल के महामात्य थे। ऐतिहासिक किंवदन्तियों से भी यही सूचित होता है कि [[संस्कृत]] के महाकवि माघ भिन्नमाल के ही निवासी थे। भिन्नमाल का रूपान्तर भिलमाल भी प्रचलित है।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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* ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 667-668 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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भीनमाल / भिलमाल / श्रीमाल
सुनधा माता मंदिर, भिन्नमाल

आबू पहाड़ से 50 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है। चीनी यात्री युवानच्वांग ने भिन्नमाल को सम्भवतः पिलोमोलो नाम से अभिहित किया है और इस नगर को गुर्जर देश की राजधानी बताया है। भिन्नमाल गुर्जरों के साम्राज्य की प्रथम राजधानी थी। भिन्नमाल के अन्य नाम श्रीमाल और भिलमाल भी प्रचलित है। 12वीं-13वीं शती में रचित प्रभावकचरित नामक ग्रंथ में प्रभाचंद्र ने श्रीमाल को गुर्जर देश का प्रमुख नगर कहा है- अस्ति-गुर्जरदेशोऽन्यसज्जराजन्यदुर्जरः तत्र श्रीमालमित्यस्ति पुरं मुखमिव क्षितेः इस ग्रंथ में यहाँ के तत्कालीन राजा श्रीवर्मन का उल्लेख है।

इतिहास

  • भीनमाल राजस्थान के मारवाड़ अंचल में जालौर के ज़िलांतर्गत अवस्थित इस ग्राम का जैन तथा संस्कृत साहित्य में अनेक बार इसका उल्लेख हुआ है।
  • निशीथचूर्णी तथा शिशुपाल वध में इस स्थान का विशेष उल्लेख हुआ है।
  • प्रारम्भिक ऐतिहासिक युग की संस्कृत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्राचीन स्थलों में भीनमाल का अपना एक अलग महत्त्व है।
  • इस स्थल पर आर.सी. अग्रवाल द्वारा 1953-1954 ई. में उत्खनन करवाया गया।
  • यहाँ पर पक्की ईंटों से निर्मित मध्ययुगीन भवनों के अवशेष प्राप्त हुए हैं, जो विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
  • भीनमाल से कतिपय गुप्तकालीन मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई हैं।
  • यहाँ से रोमन ऐम्फोरा (सुरापात्र) भी प्राप्त हुआ है, जो प्रथम शताब्दी ईसा का है।
  • इस आधार पर प्राचीन भीनमाल का विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापारिक सम्बन्धों का ज्ञान प्राप्त होता है।

राजधानी भिन्नमाल

इतिहास के अनुसार 5वीं सदी में गुर्जरों ने भीनमाल को अपने साम्राज्य की राजधानी बनाया था।[1]भरुच का साम्राज्य भी गुर्जरो के अधीन था। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग अपने लेखों में गुर्जरो के साम्राज्य का उल्लेख करता है तथा इसे kiu-che-lo बोलता है।[2]यात्री युवानच्वांग ने लिखा है कि गुर्जरो ने यहाँ समृद्ध राज्य किया था।[3]ये गुर्जर स्वयं को विशुद्ध क्षत्रिय और श्रीराम के प्रतिहार लक्ष्मण का वंशज मानते थे। भिन्नमाल और कन्नौज के गुर्जर-प्रतिहार राजा बहुत प्रतापी और यशस्वी हुए हैं। भिन्नमाल के राजाओं में वत्सराज (775-800 ई.) पहला प्रतापी राजा था। इसने बंगाल तक अपनी विजय पताका फहराई और वहाँ के पालवंशीय राजा धर्मपाल को युद्ध में पराजित किया। मालवा पर भी इसका शासन स्थापित हो गया था। वत्सराज को राष्ट्रकूट नरेश राजध्रुव से पराजित होना पड़ा, अतः उसका महाराष्ट्र-विजय का स्वप्न साकार न हो सका। वत्सराज के पुत्र नागभट्ट द्वितीय ने धर्मपाल को मुंगेर की लड़ाई में हराया और उसके द्वारा नियुक्त कन्नौज के शासक चक्रायुध से कन्नौज को छीन लिया। उसके प्रभुत्व का विस्तार काठियावाड़ से बंगाल तक और कन्नौज से आन्ध्र प्रदेश तक स्थापित था। उसने सिंध के अरबों को भी पश्चिमी भारत में अग्रसर होने से रोका। किन्तु अपने पिता की भाँति नागभट्ट को भी राष्ट्रकूट नरेश से हार माननी पड़ी। इस समय राष्ट्रकूट का शासक गोविन्द तृतीय था। नागभट्ट के पौत्र मिहिरभोज (836-890 ई.) ने उत्तर भारत में गुर्जर-प्रतिहारों के समाप्त होते हुए प्रभुत्व को सम्भाला। इसने अपने विस्तृत राज्य का भली-भाँति शासन प्रबन्ध करने के लिए, अपनी राजधानी भिन्नमाल से हटाकर कन्नौज में स्थापित की। इस प्रकार भिन्नमाल को लगभग 100 वर्षों तक प्रतापी गुर्जर-प्रतिहारों की राजधानी बने रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भिन्नमाल में इनके शासनकाल के अनेक ऐतिहासिक अवशेष स्थित हैं। अनुमान है कि इनका समय 7वीं शती का उत्तरार्घ और 8वीं शती का पूर्वार्ध था।

महाकवि माघ

संस्कृत के विख्यात कवि माघ का यह कार्यक्षेत्र रहा है। शिशुपाल वध की कई प्राचीन हस्तलिपियों में महाकवि माघ का भिन्नमाल या भिन्नमालव से सम्बन्ध इस प्रकार बताया गया है-

इति श्री भिन्नमालववास्तव्यदत्तकसूनोर्महावैयाकरणस्य माघस्य कृतो शिशुपालवधे महाकाव्ये

माघ के पितामह सुप्रभदेव श्रीमालनरेश वर्मलात या वर्मल के महामात्य थे। ऐतिहासिक किंवदन्तियों से भी यही सूचित होता है कि संस्कृत के महाकवि माघ भिन्नमाल के ही निवासी थे। भिन्नमाल का रूपान्तर भिलमाल भी प्रचलित है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. The Gurjaras of Rajputana and Kanauj, Vincent A. Smith, The Journal of the Royal Asiatic Society of Great Britain and Ireland, (Jan., 1909), pp. 53-75
  2. Juzr or Jurz
  3. Campbell, James MacNabb; Reginald Edward Enthoven (1901) Gazetteer of the Bombay Presidency। Govt. Central Press, 2।
  • ऐतिहासिक स्थानावली से पेज संख्या 667-668 | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार


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