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10:36, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जब हस्त नक्षत्र हो तो उपवास करने में असमर्थ रहने वाले को इस व्रत का संकल्प करना चाहिए।
- यह नक्षत्र व्रत है।
- शिव देवता की पूजा की जाती है।
- पाद से लेकर सिर तक के शिव के अंगों की पूजा, शिव के विभिन्न नामों का प्रयोग हस्त (जिस पर यह आरम्भ होता है) एवं अन्य 26 नक्षत्रों से सम्बन्धित होता है।
- नक्त विधि, किन्तु तेल एवं नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है।
- पात्र में घी के साथ एक प्रस्थ चावल का दान, पारण में शिव एवं उमा की स्वर्णिम प्रतिमा तथा उपकरणों से युक्त पलंग का दाअन दिया जाता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 703-706, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।
अन्य संबंधित लिंक
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