"आहारनाल": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
No edit summary |
||
(एक दूसरे सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
## [[छोटी आन्त्र]]:- यह आमाशय के पीछे व उदरगुहा के अधिकांश भाग को घेरे हुए, लगभग 6 मीटर लम्बी व 2.5 सेमी मोटी और अत्यधिक कुण्डलित नलिका होती है। | ## [[छोटी आन्त्र]]:- यह आमाशय के पीछे व उदरगुहा के अधिकांश भाग को घेरे हुए, लगभग 6 मीटर लम्बी व 2.5 सेमी मोटी और अत्यधिक कुण्डलित नलिका होती है। | ||
## [[बड़ी आन्त्र]]:- छोटी आन्त्र की शेषान्त्र पीछे की ओर बड़ी आन्त्र में खुलती है। यह छोटी आन्त्र की अपेक्षा अधिक चौड़ी व लगभग 1.5 मीटर लम्बी तथा 6.7 सेमी मोटी होती है। यह उदरगुहा के निचले दाहिने भाग से प्रारम्भ होती है। यह गाँठदार होती है जिसमें माला के समान गाँठें होती हैं। | ## [[बड़ी आन्त्र]]:- छोटी आन्त्र की शेषान्त्र पीछे की ओर बड़ी आन्त्र में खुलती है। यह छोटी आन्त्र की अपेक्षा अधिक चौड़ी व लगभग 1.5 मीटर लम्बी तथा 6.7 सेमी मोटी होती है। यह उदरगुहा के निचले दाहिने भाग से प्रारम्भ होती है। यह गाँठदार होती है जिसमें माला के समान गाँठें होती हैं। | ||
{{मानव शरीर2}} | |||
{{प्रचार}} | {{प्रचार}} | ||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 19: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
05:24, 17 मई 2011 के समय का अवतरण
मानव आहारनाल
(अंग्रेज़ी:Alimentary Canal) मनुष्य में 8 से 10 मीटर लम्बी आहारनाल पाई जाती है। जो मुख से मल द्वार तक फैली रहती हैं इसकी भित्ति मुख्यतः अरेखित पेशियों से बनी होती है। आहारनाल में निम्नलिखित अंग होते हैं-
- मुख:- मुख एक अनुप्रस्थ काट के रूप में होता है तथा दो माँसल होठों से घिरा रहता है तथा मुखग्रासन गुहिका में खुलता है। दोनों होंठ मुख को खोलने और बन्द करने के अतिरिक्त भोजन को पकड़ने तथा बोलने में सहायक होते हैं। मनुष्य की मुख ग्रासन गुहिका सदैव लार नामक तरल से नम बनी रहती है।
- जिह्वा:- जिह्वा पर स्वादग्राही अंकुरों में स्थित होती हैं। मुख ग्रासन गुहिका के फर्श पर मोटी, पेशीय, चलायमान जिह्वा स्थित होती है। इसका पिछला भाग फ्रेनलम लिग्वी तथा पेशियों के द्वारा मुखगुहा के तल, हॉयड उपकरण व जबड़े की अस्थियों से जुड़ा रहता है। जिह्वा पर अनेक जिह्वा अंकुर पाए जाते हैं। जीभ पर पाई जाने वाली स्वाद कलिकाएँ भोजन का स्वाद बनाती हैं।
- दाँत:- मनुष्य की मुखगुहा में दोनों जबड़ों के किनारों पर दाँतों की एक–एक लगभग अर्द्धवृत्ताकार पंक्ति होती है।
- ग्रसनी:- ग्रसनी मुखग्रासन गुहिका का पिछला छोटा भाग होता है। इसके पृष्ठ भाग को नासाग्रसनी तथा आहार भाग को मुखग्रसनी कहते हैं।
- ग्रासनली:- ग्रासनली लगभग 25 सेमी लम्बी एवं सँकरी पेशीय नली होती है। यह ग्रीवा तथा वक्षस्थल में होती हुई डायफ्रॉम को बेधकर उदरगुहा में प्रवेश करती है।
- आमाशय:- आमाशय उदरगुहा में बाईं ओर डायफ्रॉम के ठीक पीछे स्थित होता है। यह आहारनाल का सबसे अधिक चौड़ा तथा पेशीय भाग होता है।
- आन्त्र:- आहारनाल का शेष भाग आन्त्र या आँत कहलाता है। इसकी लम्बाई 7.5 मीटर होती है और दो प्रमुख भागों में विभेदित रहती है- छोटी आन्त्र या बड़ी आन्त्र।
- छोटी आन्त्र:- यह आमाशय के पीछे व उदरगुहा के अधिकांश भाग को घेरे हुए, लगभग 6 मीटर लम्बी व 2.5 सेमी मोटी और अत्यधिक कुण्डलित नलिका होती है।
- बड़ी आन्त्र:- छोटी आन्त्र की शेषान्त्र पीछे की ओर बड़ी आन्त्र में खुलती है। यह छोटी आन्त्र की अपेक्षा अधिक चौड़ी व लगभग 1.5 मीटर लम्बी तथा 6.7 सेमी मोटी होती है। यह उदरगुहा के निचले दाहिने भाग से प्रारम्भ होती है। यह गाँठदार होती है जिसमें माला के समान गाँठें होती हैं।
|
|
|
|
|