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| '''सल्तनतकालीन प्रमुख ऐतिहासिक कृतिया<br />
| | सल्तनत काल में कई विद्वानों द्वारा अलग-अलग प्रकार की बहुत-सी कृतियों की रचना की गई। इन कृतियों के माध्यम से हमें सल्तनत काल के शासकों व उनकी [[प्रशासनिक व्यवस्था (सल्तनत काल)|प्रशासनिक व्यवस्था]] के विषय में काफ़ी महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। ये कृतियाँ निम्नलिखित हैं-<br /> |
| सल्तनत काल में विभिन्न विद्वानों द्वारा अलग-अलग प्रकार की बहुत-सी कृतियों की रचना की गई। इन कृतियों के माध्यम से हमें सल्तनत काल के शासकों व उनकी [[प्रशासनिक व्यवस्था (सल्तनत काल)|प्रशासनिक व्यवस्था]] के विषय में काफ़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। ये कृतियाँ निम्नलिखित हैं- | | #[[चचनामा]] |
| | #[[तारीख़े सिंध]] |
| | #[[किताबुल यामिनी]] |
| | #[[तारीख़-ए-मसूदी]] |
| | #[[तारीख़-उल-हिन्द]] |
| | #[[कमीलुत तवारीख़]] |
| | #[[ताजुल मासिर]] |
| | #[[तबकाते नासिरी]] |
| | #[[तारिख़े फ़िरोज़शाही]] |
| | #[[फ़ुतूह-उस-सलातीन]] |
| | #[[किताब-उल-रेहला]] |
| | #[[तारीख़-ए-फ़िरोज़शाही]] |
| | #[[सीराते फ़िरोज़शाही]] |
| | #[[फ़ुतूहाते फ़िरोज़शाही]] |
| | #[[तारीख़-ए-मुबारकशाही]] |
| | #[[गुलरुखी]] |
| | ==अमीर ख़ुसरो की कुछ महत्त्वपूर्ण कृतियाँ== |
| | 'ख़ज़ाइन-उल-फ़ुतूह', 'किरान-उस-सादेन', 'मिफ़ता-उल-फ़ुतूह', 'आशिक़ा-उल-अनवर', 'शीरी व फ़रहाद', 'लैला व मजनू', 'आइने सिकन्दरी', ह'श्तबहिश्त', 'देवलरानी व ख़िज़्र ख़ाँ', 'रसै इजाज़ अफ़ज़ल', 'उल-फ़रायद', 'तारीख़े दिल्ली' आदि हैं। अमीर ख़ुसरो की कुछ सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कृतियों का उल्लेख निम्नलिखित है-<br /> |
| | #[[ख़ज़ाइन-उल-फ़ुतूह]] |
| | #[[किरान-उस-सादेन]] |
| | #[[मिफ़ता-उल-फ़ुतूह]] |
| | #[[आशिक़ा]] |
| | #[[नूह-सिपेहर]] |
| | #[[तुग़लक़नामा]] |
| | ==संस्कृत पुस्तकों का फ़ारसी अनुवाद== |
| | '''सल्तनत काल''' में [[संस्कृत]] की कुछ पुस्तकों का [[फ़ारसी भाषा]] में अनुवाद किया गया, जो निम्नलिखत है-<br /> |
| | #[[दलयाले फ़िरोज़शाही]] |
| | #[[याद नुसशाफ़ियाये सिकन्दरी]] |
| | #[[ताज-उल-मासिर]] |
| | #[[कामिल-उत-तवारीख़]] |
| | #[[तारीख़-ए-सिंध]] |
| | #[[किताब-उल-यामिनी]] |
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| *'''चचनामा''' - अली अहमद द्वारा [[अरबी भाषा]] में लिखित इस ग्रंथ में [[अरब|अरबों]] द्वारा [[सिंध]] विजय का वर्णन किया गया है।<br /> | | *[[हिन्दी]] में [[मसनवी]] लिखने की परम्परा की शुरुआत [[तुग़लक़ वंश|तुग़लक़]] काल में हुई थी। |
| *'''तारीख़े सिंध या तारिख़े मासूमी''' - भक्खर के मीर मुहम्मद मासूम द्वारा रचित इस कृति में अरबों की विजय से लेकर [[अकबर]] के शासन काल तक का इतिहास मिलता हे।<br />
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| *'''किताबुल यामिनी''' - अबू नस्र बिन मुहम्मद अल जबरूल उतबी द्वारा रचित इस पुस्तक में सुबुक्तगीन एवं [[महमूद ग़ज़नवी]] के शासन काल का वर्णन है।<br />
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| *'''तारीख़-ए-मसूदी''' - अबुल सईद द्वारा रचित इस ग्रन्थ में [[ईरान]] के इतिहास एवं महमूद ग़ज़नवी के जीवन के विषय में जानकारी मिलती है।<br />
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| *'''तारीख़-ए-मसूदी''' - अबुल फ़ज़ल मुहम्मद बिन हुसैन अल बहरी द्वारा रचित इस पुस्तक में महमूद ग़ज़नवी तथा मसूद के इतिहास के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है।<br />
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| *'''तारीख़-उल-हिन्द (किताबुल हिन्द)''' - महमूद ग़ज़नवी के साथ [[भारत]] आए [[अलबरूनी]] की इस महत्वपूर्ण कृति में 11वीं सदी के भारत की राजनैतिक एवं सामाजिक दशा का उल्लेख मिलता है। उसकी यह पुस्तक [[अरबी भाषा]] में लिखी गई है।<br />
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| *'''कमीलुत तवारीख़''' - शेख़ अब्दुल हसन (इब्नुल अंसार) द्वारा रचित यह ग्रन्थ 1230 ई. में लिखा गया। इस ग्रंथ में मध्य [[एशिया]] के गोर शंसबनी राजवंश के इतिहास के विषय में जानकारी मिलती है।<br />
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| *'''ताजुल मासिर''' - हसन निजामी द्वारा रचित इस पुस्तक में [[मुहम्मद ग़ोरी]] के [[भारत]] आक्रमण के समय की घटनाओं का वर्णन मिलता है।<br />
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| *'''तबकाते नासिरी''' - मिनहाज-उस-सिराज (मिनिहाजुद्दीन अबू-उमर-बिन सिराजुद्दीन अल जुजियानी) द्वारा रचित इस पुस्तक में मुहम्मद ग़ोरी के भारत विजय तथा तुर्की सल्तनत का आरम्भिक इतिहास लगभग 1260 ई. तक की जानकारी मिलती है। मिनहाज ने अपनी इस कृति को [[गुलाम वंश]] के शासक [[नसीरूद्दीन महमूद]] को समर्पित किया था। उस समय मिनहाज [[दिल्ली]] का मुख्य क़ाज़ी था।<br />
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| *'''तारिख़े फ़िरोजशाही''' - [[जियाउद्दीन बरनी]] द्वारा रचित इस कृति में सल्तनत कालीन राजनीतिक विचारधारा की सही तस्वीर प्रस्तुत की गई है। इसके अतिरिक्त जियाउद्दीन बरनी की कुछ अन्य कृतियाँ 'सुनाए मुहमदी', 'सलाते कबीर', 'इनायत-ए-इलाही', 'मासीर सादात', 'हसरतनामा', तारीख़ बमलियान' आदि हैं।<br />
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| ==अमीर ख़ुसरो की कुछ महत्वपूर्ण कृतियाँ==
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| 'ख़जाइन-उल-फुतूह', 'किरान-उस-सादेन', 'मिफता-उस-फुतूह', 'आशिका-उल-अनवर', 'शीरी व फरहाद', 'लैला व मजनू', 'आइने सिकन्दरी', ह'श्तबहिश्त', 'देवलरानी व [[खिज्र ख़ाँ]]', 'रसै इजाज अफ़जल', 'उल-फरायद', 'तारीख़े [[दिल्ली]]' आदि हैं। इनके अतिरिक्त सर्वाधिक महत्वपूर्ण कृतियों का उल्लेख निम्नलिखित है-
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| *'''ख़जाइन-उल-फुतूह''' - इसे तारीख़ अलाई के नाम से भी जाना जाता है। [[अमीर ख़ुसरो]] द्वारा रचित इस कृति से [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के शासन काल के पूर्व के 15 वर्षों की घटनाओं का वर्णन मिलता है।<br />
| | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}} |
| *'''किरान-उस-सादेन''' - अमीर खुसरो द्वारा 1289 ई . में रचित इस पुस्तक में बुगरा ख़ाँ और उसके बेटे [[कैकुबाद]] के मिलन का वर्णन है।<br />
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| *'''मिफता-उस-फुतूह''' - 1291 ईं. में रचित अमीर ख़ुसरो की इस कृति में [[जलालुद्दीन ख़िलजी]] के सैन्य अभियानों, मलिक छज्जू का विद्रोह एवं उसका दमन, [[रणथम्भौर]] पर सुल्तान की चढ़ाई और झाइन की विजयों का वर्णन है।<br />
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| *'''आशिका''' - ख़ुसरो की इस कृति में [[गुजरात]] के राज करन की पुत्री देवलरानी और अलाउद्दीन के पुत्र खिज्र खां के बीच प्रेम का उल्लेख है। इसके अतिरिक्त यह पुस्तक अलाउद्दीन की गुजरात तथा मालवा पर विजय, तथा मगोलों द्वारा स्वयं को कैद किऐ जाने की जानकारी भी देती है।
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| नूह-सिपेहर - अमीर खुसरों की इस कृति में मुबारक खिलजी के समय की सामाजिक स्थिति के विषय में जानकारी मिलती हैं
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| तुगलकनामा - अमीर खुसरो की इस अंतिम एवं ऐतिहासिक कृति में खुसरों शाह के विरुद्ध गयासुद्दीन तुगलक की विजय का उल्लेख है।
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| फुतूह-उस-सलातीन - ख्वाजा अबूबक्र इसामी द्वारा रचित इस पुस्तक में गजनवी वंश के समय से लेकर मुहम्मद बिन तुगलक के समय तक का काव्यात्मक इतिहास मिलता है। यह पुस्तक बहकनी वंश के प्रथम शासक अलाउद्दीन बहमनशाह को समर्पित है।
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| किताब-उल-रेहला- यह मोरक्कोवासी यात्री, इब्नबतूता, जो 1333 ई. में (मुहम्मद तुगलक) के समय में भारत आय था, का यात्रा वृतांत है। इस पुस्तक में 1333 ये 1342 तक के भारत की राजनीतिक गतिविधियों एवं सामाजिक हालातों का वर्णन है। इसे मुहम्मद तुगलक ने दिल्ली का काजी नियुक्त किया था। कालान्तर में इसे दूत बनाकर चीन भेजा गया।
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| तारीख-ए-फिरोजशाही - शम्स-ए-सिराज अफीफ द्वार लिखे गये इस ग्रंथ में फिरोज तुगलक के शासन काल में एवं तुगलक वंश के पतन के बारे में जानकारी मिलती है। इसकी अन्य कृतियां ‘मन की बें अलाई’, ‘मना की बे सुल्तान मुहम्मद’ एवं ‘जिक्रे खराबीये देहली’ है।
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| सीराते फिरोजशाही - किसी अज्ञात लेखक द्वारा लिखी इस कृति से फिरोज तुगलक के शासन काल के बारे में जानकारी मिलती है।
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| फुतूहाते फिरोजशाही - इस किताब में फिरोज तुगलक के अध्यादेशों का संग्रह एवं उसकी आत्मरक्षा है।
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| तारीख-ए-मुबारकशाही - याहिया बिन अहमद सरहिन्दी द्वारा लिखे गये इस ग्रंथ से तुगलक काल के बाद सैय्यद वंश की जानकारी मिलती हे। इस काल के अतिहास को जानने का यह एकमात्र स्रोत है।
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| गुलरुखी - लोदी सुल्तान सिकन्दर लोदी ने गुलरुखी शीर्षक से फारसी कविताएं लिखी।
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| सल्तनत काल में संस्कृत की कुछपुस्तकों का फारसी में अनुवाद किया गया जो निम्नलिखत है।
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| दलयाले फिरोजशाही - ऐजद्दीन खालिद किरमानी द्वारा संस्कृत फारसी में कविताऐं लिखी ।
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| सल्तनत काल में संस्कृत की कुछ पुस्तकों का फारसी में अनुवाद किया गया जो निम्नलिखित है।
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| दलयाले फिरोजशाही - ऐजद्दीन खालिद किरमानी द्वारा संस्कृत से फारसी में अनूदित यह पुस्तक नक्षत्र-शास्त्र से सम्बन्धित है।
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| याद नुसशाफियाये सिकन्दरी या तिब्बे सिकन्दरी - सिकन्दर लोदी के वजीर मियाॅ भुआ द्वारा संस्कृत से फारसी में अनुदित यह पुस्तक चिकित्साशास्त्र में सम्बन्धित है।
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| ताज-उल-मासिर - इस ग्रन्थ की रचना हसन निजामी ने की है। इसमें 1192 ई. से लेकर 1228 ई. तक के काल की घटनाओं का वर्णन मिलता हे। हसम निजामी ने अपनी इस पुस्तक में कुतुबुद्दीन ऐबक के जीवन व शासन और इल्तुतमिश के राज्य के प्रारम्भिक वर्षो का वर्णन किया ह।
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| कामिल-उत-तवारीख - इसकी रचना 1230 ई. मेें शेख अब्दुल हसन (उपनाम इब्नुल आसीर) ने की। इसमें मुहम्मद गौरी के विजयों का वृतान्त मिलता है।
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| तारीख-ए-सिन्ध या तारीख-ए-मासूमी - यह ग्र्रन्थ चचनामा पर आधरित है। इसकी रचना 16000 ई. में मीर मुहम्मद मासूम द्वारा की गई थी। इसमें अरबांे की विजय से लेकर मुगल सम्राट अकबर महान तक के राज्य में सिंध का इतिहास वणर््िात हे।
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| किताब-उल-योमिनी - इस ग्रन्थ का रचियता उतबी है। सुबुक्तगीन और महमूद गजनवी का 1020 ई. तक का इतिहास इस पुस्तक का विषय है।
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| ततारीख-ए-मसूदी - अबुल फजल मुहम्मद बिन हुसैन-अल-बेहाकी द्वारा लिखित इस ग्रन्थ में महमूद गजनवी के इतिहास, दरबार के जीवन की झलक और कर्मचारियों के षडयंत्रांे का विवरण मिलता है।
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| हिन्दी में मसनवी लिखने की परम्परा की शुरुआत तुगलक काल में हुई।
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| फारसी विद्धान -
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| सल्तनत काल की राजकीय भाषा फारसी थी। सल्तनत काल के सुल्तानों के दरबार में संरक्षण प्राप्त किये हुए फारसी विद्धान निम्नलिखित है।
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| कुतुबुद्दीन ऐबक - ताज-उल-मासिर के लेखक ख्वाजा सद्र हसन निजामी।
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| इल्तुतमिश - ख्वाजा अबूनस्र, अबूबक्र, बिन मुहम्मद सहानी ताजुद्दीन दबीर एवं नुरुद्दीन मुहम्मद ऊफी। नुरुद्दीन मुहम्मद लुबाब-उल-अलबाब का लेखक था।
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| नासिरूद्दीन महमूद - फखरूद्दीन नुनाकी (आदिम), इतिहासकार मिनहाजुद्दीन सिराज।
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| गयासुद्दीन बलबन - इसमने मध्य एशिया से आये कई विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया। इसके पुत्र मुहम्मद ने तत्कालीन दो प्रसिद्ध कवि/लेखक अमीर खुसरों तथा मीर हसन देहलवी को संरक्षण प्रदान किया।
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| अलाउद्दीन खिलजी - सद्रुद्दीन अली, फखरूद्दीन हमीद्दीन रजा, मौलाना आरिफ अब्दुल हमीम, शिहाबुद्दीन सद्र निशीन।
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| मुहम्मद बिन तुगलग - जियाऊद्दीन बरनी (लगभग 15 वर्ष तक आश्रय में रहा), बदरुद्दीन मोहम्मर चच।
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| फिरोज तुगलक - शम्से सिराज अफीफ तुगलकों के शासन काल के अन्तिम समय मुहम्मद बिहयाद खानी नाम का इतिहासकार एवं साहित्यकार हुआ। तुगलक वंशके बाद का इतिहास याहिया बिन अहमद सरहिन्दी की कृति ‘तारीख-ए-मुबारकशाही’ से मिलता है।
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| मिनहाजुद्दीन सिराज, जियाउद्दीन बरनी एवं शम्से सिराज तीन ऐसे सल्तनतकालीन इतिहासकार थे जिनकी रचनाओं में पूरे सल्तनत का इतिहास मिलता हे।
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
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