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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
*[[पूर्णिमा]] एवं [[अमावास्या]] पर एकभक्त विधि से इस व्रत के सम्पादन से नरक में जाना नहीं पड़ता।  
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*इन तिथियों पर पुण्याहवाचन एवं 'जय' जैसे शब्दों के साथ हरि पूजा; एक [[ब्राह्मण]] को खिलाना, उसे प्रणाम करना तथा अन्य ब्राह्माणों, अंधों, असहायों तथा दलितों को भोज देना चाहिए।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 373, नरसिंहपुराण से उद्धरण)</ref>; <ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत0 389-390)</ref>
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12:47, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • पूर्णिमा एवं अमावास्या पर एकभक्त विधि से इस व्रत के सम्पादन से नरक में जाना नहीं पड़ता।
  • इन तिथियों पर पुण्याहवाचन एवं 'जय' जैसे शब्दों के साथ हरि पूजा; एक ब्राह्मण को खिलाना, उसे प्रणाम करना तथा अन्य ब्राह्माणों, अंधों, असहायों तथा दलितों को भोज देना चाहिए।[1]; [2]
  • द्वादशी को उपवास करने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।[3]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 2, 373, नरसिंहपुराण से उद्धरण
  2. कृत्यकल्पतरु (व्रत0 389-390
  3. हेमाद्रि (व्रत0 1, 1172, वराह पुराण से उद्धरण)।

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