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*इससे वैधव्य से मुक्ति, दरिद्रता का नाश होता है। | *इससे वैधव्य से मुक्ति, दरिद्रता का नाश होता है। | ||
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09:29, 15 जून 2018 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- श्रावण कृष्ण पक्ष की सप्तमी पर कलश स्थापित कर उस पर शीतला की प्रतिमा का पूजन एवं पाठ वर्ष या उससे कम अवस्था की 7 कुमारियों को भोजन कराया जाता है।
- इससे वैधव्य से मुक्ति, दरिद्रता का नाश होता है।
- पुत्रोत्पत्ति आदि का लाभ होता है।[1]
- कुछ लोग इसे श्रावण शुक्ल सप्तमी पर करते हैं।
- यह केवल नारियों के लिए ही है।
- नैवेद्य केवल घी एवं दही का ही होता है।
मुख्य लेख : शीतला सप्तमी
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ व्रतार्क (पाण्डुलिपि 111-113); अहल्याकामधेनु (पाण्डुलिपि 438बी-440बी)।
अन्य संबंधित लिंक
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