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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है। | ||
*[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[तृतीया]] पर किया जाता है। | *[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[तृतीया]] पर किया जाता है। | ||
*धन-धान्य से पूर्ण राज्य की प्राप्ति के लिए [[कृष्ण]] द्वारा [[कुन्ती]] को सुनाया गया व्रत है।<ref>व्रतार्क (पाण्डुलिपि 50बी-52बी | *धन-धान्य से पूर्ण राज्य की प्राप्ति के लिए [[कृष्ण]] द्वारा [[कुन्ती]] को सुनाया गया व्रत है।<ref>व्रतार्क (पाण्डुलिपि 50बी-52बी</ref>, <ref>अहल्याकामधेनु (280बी</ref> | ||
*[[गौरी]], [[शिव|हर]] एवं हेरम्ब ([[गणेश]]) का ध्यान करना चाहिए। | *[[गौरी]], [[शिव|हर]] एवं हेरम्ब ([[गणेश]]) का ध्यान करना चाहिए। | ||
*यह व्रत 13 वर्षों तक किया जाता है। | *यह व्रत 13 वर्षों तक किया जाता है। |
12:43, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- भाद्रपद शुक्ल तृतीया पर किया जाता है।
- धन-धान्य से पूर्ण राज्य की प्राप्ति के लिए कृष्ण द्वारा कुन्ती को सुनाया गया व्रत है।[1], [2]
- गौरी, हर एवं हेरम्ब (गणेश) का ध्यान करना चाहिए।
- यह व्रत 13 वर्षों तक किया जाता है।
- इस व्रत का 14वें वर्ष में उद्यापन किया जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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