"वाराणसी के घाट": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - "मुताबिक" to "मुताबिक़")
 
(7 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 19 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{वाराणसी लेख सूची}}
[[चित्र:Ghat-Varanasi-3.jpg|thumb|250px|वाराणसी में [[गंगा नदी]] के घाट]]
[[चित्र:Ghat-Varanasi-3.jpg|thumb|250px|वाराणसी में [[गंगा नदी]] के घाट]]
वाराणसी (काशी) में [[गंगा नदी|गंगा]] तट पर अनेक सुंदर घाट बने हैं, ये सभी घाट किसी न किसी पौराणिक या धार्मिक कथा से संबंधित हैं। वाराणसी के घाट [[गंगा नदी|गंगा]] नदी के धनुष की आकृति होने के कारण मनोहारी लगते हैं। सभी घाटों के पूर्वार्भिमुख होने से सूर्योदय के समय घाटों पर पहली किरण दस्तक देती है। उत्तर दिशा में राजघाट से प्रारम्भ होकर दक्षिण में अस्सी घाट तक सौ से अधिक घाट हैं। मणिकर्णिका घाट पर चिता की अग्नि कभी शांत नहीं होती, क्योंकि बनारस के बाहर मरने वालों की अन्त्येष्टी पुण्य प्राप्ति के लिये यहीं की जाती है। कई हिन्दू मानते हैं कि वाराणसी में मरने वालों को मोक्ष प्राप्त होता है <br />
[[वाराणसी]] ([[काशी]]) में [[गंगा नदी|गंगा]] तट पर अनेक सुंदर घाट बने हैं, ये सभी घाट किसी न किसी पौराणिक या धार्मिक कथा से संबंधित हैं। वाराणसी के घाट [[गंगा नदी|गंगा]] नदी के धनुष की आकृति होने के कारण मनोहारी लगते हैं। सभी घाटों के पूर्वार्भिमुख होने से सूर्योदय के समय घाटों पर सूर्य की पहली किरण दस्तक देती है। उत्तर दिशा में राजघाट से प्रारम्भ होकर दक्षिण में असी घाट तक सौ से अधिक घाट हैं। मणिकर्णिका घाट पर चिता की अग्नि कभी शांत नहीं होती, क्योंकि बनारस के बाहर मरने वालों की अन्त्येष्टी पुण्य प्राप्ति के लिये यहीं की जाती है। कई [[हिन्दू]] मानते हैं कि वाराणसी में मरने वालों को मोक्ष प्राप्त होता है।
 
==घाटों की महिमा==
वाराणसी में लगभग 84 घाट हैं। ये घाट लगभग 4 मील लम्‍बे तट पर बने हुए हैं। इन 84 घाटों में पाँच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्‍हें सामूहिक रूप से 'पंचतीर्थी' कहा जाता है। ये हैं अस्‍सीघाट, दश्‍वमेद्यघाट, आदिकेशवघाट, पंचगंगाघाट तथा मणिकर्णिकघाट। अस्‍सीघाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशवघाट सबसे उत्तर में स्थित हैं। हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है। वाराणसी के कई घाट [[मराठा साम्राज्य]] के अधीनस्थ काल में बनवाये गए थे। वाराणसी के संरक्षकों में मराठा, शिंदे (सिंधिया), होल्कर, भोंसले और [[पेशवा]] परिवार रहे हैं। वाराणसी में अधिकतर घाट स्नान-घाट हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। महानिर्वाणी घाट में [[बुद्ध|महात्‍मा बुद्ध]] ने स्‍नान किया था। कुछ घाट जैसे मणिकर्णिका घाट किसी कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जबकि कुछ घाट निजी स्वामित्व के भी हैं पूर्व काशी नरेश का शिवाला घाट और काली घाट निजी संपदा हैं। वाराणसी में अस्‍सीघाट से लेकर वरुणा घाट तक सभी की क्रमवार सूची निम्न है:-  
[[शिव]] नगरी [[काशी]] के [[गंगा]] घाटों की महिमा न्यारी है, प्राचीन नगर काशी पूरे विश्व में सबसे पवित्र शहर है, धर्म एवं संस्कृति का केन्द्र बिन्दु है। असि से आदिकेशव तक घाट श्रृंखला में हर घाट के अलग ठाठ हैं, कहीं शिव गंगा में समाये हुये हैं तो किसी घाट की सीढ़ियां शास्त्रीय विधान में निर्मित हैं, कोई मन्दिर विशिष्ट स्थापत्य शैली में है तो किसी घाट की पहचान वहां स्थित महलों से है, किसी घाट पर मस्जिद है तो कई घाट मौज-मस्ती का केन्द्र हैं। ये घाट काशी के अमूल्य [[रत्न]] हैं, जिन्हें किसी जौहरी की आवश्यकता नहीं। गंगा केवल काशी में ही उत्तरवाहिनी हैं तथा शिव के [[त्रिशूल]] पर बसे काशी के लगभग सभी घाटों पर शिव स्वयं विराजमान हैं। विभिन्न शुभ अवसरों पर [[गंगापूजा]] के लिए इन घाटों को ही साक्षी बनाया जाता है। विभिन्न विख्यात संत महात्माओं ने इन्हीं घाटों पर आश्रय लिया जिनमें [[तुलसीदास]], [[रामानन्द]], [[रविदास]], [[तैलंग स्वामी]], कुमारस्वामी प्रमुख हैं। विभिन्न राजाओं-महाराजाओं ने इन्हीं गंगा घाटों पर अपने महलों का निर्माण कराया एवं निवास किया। इन घाटों पर सम्पूर्ण [[भारतीय संस्कृति]] का समन्वय जीवन्त रूप में विद्यमान है। घाटों ने काशी की एक अलग छवि को जगजाहिर किया है; यहां होने वाले धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गंगा आरती, गंगा महोत्सव, देवदीपावली, नाग नथैया ([[कृष्ण लीला]]), बुढ़वा मंगल विश्वविख्यात है। काशी वासियों के लिये गंगा के घाट धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व के साथ ही पर्यटन, मौज-मस्ती के दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। घाट पर स्नान के पश्चात् भांग-बूटी के मस्ती में डूबे साधु-सन्न्यासियों एवं यहां के निवासियों ने बनारसी-मस्ती के अद्भुत छवि का निर्माण किया है, जिसके अलग अंदाज़ को सम्पूर्ण विश्व देखना, समझना एवं जीना चाहता है।<ref>{{cite web |url=http://www.kashikatha.com/%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9A%E0%A5%80%E0%A4%A8-%E0%A4%98%E0%A4%BE%E0%A4%9F/ |title=प्राचीन घाट |accessmonthday=10 जनवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=काशी कथा |language=हिंदी }}</ref>
==चौरासी (84) घाट==
वाराणसी में लगभग 84 घाट हैं। ये घाट लगभग 4 मील लम्‍बे तट पर बने हुए हैं। इन 84 घाटों में पाँच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्‍हें सामूहिक रूप से 'पंचतीर्थ' कहा जाता है। ये हैं [[असी घाट वाराणसी|असी घाट]], [[दशाश्वमेध घाट वाराणसी|दशाश्वमेध घाट]], [[आदिकेशव घाट वाराणसी|आदिकेशव घाट]], [[पंचगंगा घाट वाराणसी|पंचगंगा घाट]] तथा [[मणिकर्णिका घाट वाराणसी|मणिकर्णिका घाट]]। असी घाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशव घाट सबसे उत्तर में स्थित हैं। हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है। वाराणसी के कई घाट [[मराठा साम्राज्य]] के अधीनस्थ काल में बनवाये गए थे। वाराणसी के संरक्षकों में [[मराठा]], शिंदे ([[सिंधिया वंश|सिंधिया]]), [[होल्कर वंश|होल्कर]], [[भोंसले वंश|भोंसले]] और [[पेशवा]] परिवार रहे हैं। वाराणसी में अधिकतर घाट स्नान-घाट हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। महानिर्वाणी घाट में [[बुद्ध|महात्‍मा बुद्ध]] ने स्‍नान किया था। कुछ घाट जैसे मणिकर्णिका घाट किसी कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जबकि कुछ घाट निजी स्वामित्व के भी हैं पूर्व काशी नरेश का शिवाला घाट और काली घाट निजी संपदा हैं। वाराणसी में असी घाट से लेकर वरुणा घाट तक सभी की क्रमवार सूची निम्न है:-  
{{वाराणसी के घाट}}
{{वाराणसी के घाट}}
==प्रमुख घाट==
==प्रमुख घाट==
वाराणसी में कुछ प्रसिद्ध घाट हैं। इनमें कुछ घाटों का धार्मिक व अध्यात्मिक महत्त्व है और कुछ घाट अपनी प्राचीनता तो कुछ ऐतिहासिकता व कुछ कला के लिहाज़ से ख़ासियत रखते हैं।<ref name="जागरण यात्रा">{{cite web |url=http://www.jagranyatra.com/2010/04/varansi-religious-culture-temples-ghat/ |title=वाराणसी के घाट |accessmonthday=[[17 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण यात्रा |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  
वाराणसी में कुछ प्रसिद्ध घाट हैं। इनमें कुछ घाटों का धार्मिक व अध्यात्मिक महत्त्व है और कुछ घाट अपनी प्राचीनता तो कुछ ऐतिहासिकता व कुछ कला के लिहाज़ से ख़ासियत रखते हैं।<ref name="जागरण यात्रा">{{cite web |url=http://www.jagranyatra.com/2010/04/varansi-religious-culture-temples-ghat/ |title=वाराणसी के घाट |accessmonthday=[[17 फ़रवरी]] |accessyear=[[2011]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=जागरण यात्रा |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  
====<u>अस्सीघाट</u>====
====असीघाट====
*अस्सीघाट वाराणसी के दक्षिणी छोर पर गंगा व असि नदी के संगम पर स्थित है।  
{{main|असीघाट वाराणसी}}
*असीघाट वाराणसी के दक्षिणी छोर पर [[गंगा]] [[असि नदी]] के [[संगम]] पर स्थित है।  
*यह घाट श्रद्धालुओं की आस्था व आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।  
*यह घाट श्रद्धालुओं की आस्था व आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।  
*यहीं पर भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर है।
*यहीं पर भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर है।
====<u>तुलसी घाट</u>====
====तुलसी घाट====
{{main|तुलसीघाट वाराणसी}}
*तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि [[तुलसीदास]] से संबंधित है।  
*तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि [[तुलसीदास]] से संबंधित है।  
*यहाँ गोस्वामी तुलसी दास ने श्रीरामचरित मानस के कई अंशों की रचना की थी।  
*यहाँ गोस्वामी तुलसी दास ने [[रामचरित मानस|श्रीरामचरित मानस]] के कई अंशों की रचना की थी।  
*कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आख़िरी समय यहीं व्‍यतीत किया था।   
*कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आख़िरी समय यहीं व्‍यतीत किया था।   
*इस घाट का नाम पहले लोलार्क घाट था।
*इस घाट का नाम पहले 'लोलार्क घाट' था।
====<u>हरिश्चंद्र घाट</u>====
====हरिश्चंद्र घाट====
{{main|हरिश्चंद्र घाट वाराणसी}}
*हरिश्‍चंद्र घाट का संबंध राजा [[हरिश्चंद्र]] से है।  
*हरिश्‍चंद्र घाट का संबंध राजा [[हरिश्चंद्र]] से है।  
*सत्यप्रिय राजा हरिश्चंद्र के नाम पर यह घाट वाराणसी के प्राचीनतम घाटों में एक है।  
*सत्यप्रिय राजा हरिश्चंद्र के नाम पर यह घाट वाराणसी के प्राचीनतम घाटों में एक है।  
*इस घाट पर हिन्दू मरणोपरांत दाहसंस्कार करते हैं।
*इस घाट पर हिन्दू मरणोपरांत [[दाह संस्कार]] करते हैं।
====<u>केदार घाट</u>====
====केदार घाट====
{{main|केदार घाट वाराणसी}}
*केदार घाट का नाम केदारेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर पड़ा है।  
*केदार घाट का नाम केदारेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर पड़ा है।  
*इस घाट के समीप में ही स्वामी करपात्री आश्रम व गौरी कुंड स्थित है।
*इस घाट के समीप में ही स्वामी करपात्री आश्रम व गौरी कुंड स्थित है।
====<u>दशाश्वमेध घाट</u>====
====दशाश्वमेध घाट====
{{main|दशाश्वमेध घाट वाराणसी}}
*यह घाट गोदौलिया से गंगा जाने वाले मार्ग के अंतिम छोर पर पड़ता है।  
*यह घाट गोदौलिया से गंगा जाने वाले मार्ग के अंतिम छोर पर पड़ता है।  
*प्राचीन ग्रंथो के मुताबिक राजा दिवोदास द्वारा यहाँ दस [[अश्वमेध यज्ञ]] कराने के कारण इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा।  
*प्राचीन [[ग्रंथ|ग्रंथो]] के मुताबिक़ [[दिवोदास|राजा दिवोदास]] द्वारा यहाँ दस [[अश्वमेध यज्ञ]] कराने के कारण इसका नाम 'दशाश्वमेध घाट' पड़ा।  
*एक अन्य मत के अनुसार नागवंशीय राजा वीरसेन ने चक्रवर्ती बनने की आकांक्षा में इस स्थान पर दस बार अश्वमेध कराया था।<ref name="जागरण यात्रा" />  
*एक अन्य मत के अनुसार [[नागवंश|नागवंशीय]] राजा वीरसेन ने [[चक्रवर्ती]] बनने की आकांक्षा में इस स्थान पर दस बार अश्वमेध कराया था।<ref name="जागरण यात्रा" />  
====<u>राजेन्द्र घाट</u>====
====राजेन्द्र घाट====
{{main|राजेन्द्र घाट वाराणसी}}
*राजेन्द्र प्रसाद घाट दशाश्वमेध घाट के बगल में है।  
*राजेन्द्र प्रसाद घाट दशाश्वमेध घाट के बगल में है।  
*यह घाट देश के प्रथम [[राष्ट्रपति]] [[डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]] की स्मृति में बनाया गया है।
*यह घाट देश के प्रथम [[राष्ट्रपति]] [[डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]] की स्मृति में बनाया गया है।
====<u>मणिकर्णिका घाट</u>====
====मणिकर्णिका घाट====
{{main|मणिकर्णिका घाट वाराणसी}}
*[[पुराण|पौराणिक]] मान्यताओं से जुड़े मणिकर्णिका घाट का धर्मप्राण जनता में मरणोपरांत अंतिम संस्कार के लिहाज़ से अत्यधिक महत्त्व है।  
*[[पुराण|पौराणिक]] मान्यताओं से जुड़े मणिकर्णिका घाट का धर्मप्राण जनता में मरणोपरांत अंतिम संस्कार के लिहाज़ से अत्यधिक महत्त्व है।  
*इस घाट की गणना काशी के पंचतीर्थो में की जाती है।
*इस घाट की गणना '''काशी के पंचतीर्थो''' में की जाती है।
*मणिकर्णिघाट पर स्थित भवनों का निर्माण [[पेशवा]] बाजीराव तथा अहिल्‍याबाई होल्‍कर ने करवाया था।
*मणिकर्णिका घाट पर स्थित भवनों का निर्माण [[बाजीराव प्रथम |पेशवा बाजीराव]] तथा [[अहिल्याबाई होल्कर]] ने करवाया था।
====<u>चेत सिंह घाट</u>====
====चेत सिंह घाट====
{{main|चेतसिंह घाट वाराणसी}}
[[चित्र:Chet-Singh-Ghat-Varanasi.jpg|thumb|250px|चेत सिंह घाट, [[वाराणसी]]]]
[[चित्र:Chet-Singh-Ghat-Varanasi.jpg|thumb|250px|चेत सिंह घाट, [[वाराणसी]]]]
*चेत सिंह घाट एक क़िला की तरह लगता है।  
*चेत सिंह घाट एक [[क़िला|क़िले]] की तरह लगता है।  
*चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्‍होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी।
*चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्‍होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी।
====<u>पंचगंगा घाट</u>====
====पंचगंगा घाट====
{{main|पंचगंगा घाट वाराणसी}}
*पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पंचगंगा घाट से [[गंगा]], [[यमुना]], [[सरस्वती नदी|सरस्वती]], किरण व धूतपापा नदियाँ गुप्त रूप से मिलती हैं।  
*पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पंचगंगा घाट से [[गंगा]], [[यमुना]], [[सरस्वती नदी|सरस्वती]], किरण व धूतपापा नदियाँ गुप्त रूप से मिलती हैं।  
*इसी घाट की सीढि़यों पर गुरु [[रामानंद]] से [[संत कबीरदास]] ने दीक्षा ली थी।
*इसी घाट की सीढि़यों पर [[ रामानंद|गुरु रामानंद]] से [[संत कबीरदास]] ने दीक्षा ली थी।
====<u>राजघाट</u>====
====राजघाट====
{{main|राज घाट वाराणसी}}
*राजघाट काशी रेलवे स्टेशन से सटे मालवीय सेतु (डफरिन पुल) के पा‌र्श्व में स्थित है।  
*राजघाट काशी रेलवे स्टेशन से सटे मालवीय सेतु (डफरिन पुल) के पा‌र्श्व में स्थित है।  
*यहां संत रविदास का भव्य मंदिर भी है।
*यहां [[संत रविदास]] का भव्य मंदिर भी है।
====<u>आदिकेशव घाट</u>====
====आदिकेशव घाट====
*आदिकेशव घाट वरुणा व गंगा के संगम पर स्थित है।  
{{main|आदिकेशव घाट वाराणसी}}
*आदिकेशव घाट [[वरुणा नदी|वरुणा]] व गंगा के संगम पर स्थित है।  
*यहाँ संगमेश्वर व ब्रह्मेश्वर मंदिर दर्शनीय हैं।  
*यहाँ संगमेश्वर व ब्रह्मेश्वर मंदिर दर्शनीय हैं।  
*इसके अलावा गायघाट, लालघाट, सिंधिया घाट आदि काशी के सौंदर्य को उद्भाषित करते हैं।<ref name="जागरण यात्रा" />  
*इसके अलावा गायघाट, लालघाट, सिंधिया घाट आदि काशी के सौंदर्य को उद्भाषित करते हैं।<ref name="जागरण यात्रा" />  
====<u>बच्‍चाराजा घाट</u>====
 
*बच्‍चाराजा घाट तुलसी घाट के समीप स्थित है।
*यहीं पर जैनों के सातवें तीर्थंकर सुपर्श्‍वनाथ का जन्‍म हुआ था।
*अब यह जैनघाट के नाम से जाना जाता है।


==वाराणसी के घाट की चित्र वीथिका==
==वाराणसी के घाट की चित्र वीथिका==
पंक्ति 64: पंक्ति 75:
</gallery>
</gallery>


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति
|आधार=
|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}


{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
पंक्ति 77: पंक्ति 82:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{वाराणसी}}
{{वाराणसी}}{{उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल}}


[[Category:वाराणसी]][[Category:उत्तर_प्रदेश_के_धार्मिक_स्थल]][[Category:धार्मिक_स्थल_कोश]][[Category:पर्यटन_कोश]]
[[Category:वाराणसी]][[Category:उत्तर_प्रदेश_के_धार्मिक_स्थल]][[Category:धार्मिक_स्थल_कोश]][[Category:पर्यटन_कोश]]
[[Category:वाराणसी के घाट]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

09:57, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

वाराणसी विषय सूची
वाराणसी में गंगा नदी के घाट

वाराणसी (काशी) में गंगा तट पर अनेक सुंदर घाट बने हैं, ये सभी घाट किसी न किसी पौराणिक या धार्मिक कथा से संबंधित हैं। वाराणसी के घाट गंगा नदी के धनुष की आकृति होने के कारण मनोहारी लगते हैं। सभी घाटों के पूर्वार्भिमुख होने से सूर्योदय के समय घाटों पर सूर्य की पहली किरण दस्तक देती है। उत्तर दिशा में राजघाट से प्रारम्भ होकर दक्षिण में असी घाट तक सौ से अधिक घाट हैं। मणिकर्णिका घाट पर चिता की अग्नि कभी शांत नहीं होती, क्योंकि बनारस के बाहर मरने वालों की अन्त्येष्टी पुण्य प्राप्ति के लिये यहीं की जाती है। कई हिन्दू मानते हैं कि वाराणसी में मरने वालों को मोक्ष प्राप्त होता है।

घाटों की महिमा

शिव नगरी काशी के गंगा घाटों की महिमा न्यारी है, प्राचीन नगर काशी पूरे विश्व में सबसे पवित्र शहर है, धर्म एवं संस्कृति का केन्द्र बिन्दु है। असि से आदिकेशव तक घाट श्रृंखला में हर घाट के अलग ठाठ हैं, कहीं शिव गंगा में समाये हुये हैं तो किसी घाट की सीढ़ियां शास्त्रीय विधान में निर्मित हैं, कोई मन्दिर विशिष्ट स्थापत्य शैली में है तो किसी घाट की पहचान वहां स्थित महलों से है, किसी घाट पर मस्जिद है तो कई घाट मौज-मस्ती का केन्द्र हैं। ये घाट काशी के अमूल्य रत्न हैं, जिन्हें किसी जौहरी की आवश्यकता नहीं। गंगा केवल काशी में ही उत्तरवाहिनी हैं तथा शिव के त्रिशूल पर बसे काशी के लगभग सभी घाटों पर शिव स्वयं विराजमान हैं। विभिन्न शुभ अवसरों पर गंगापूजा के लिए इन घाटों को ही साक्षी बनाया जाता है। विभिन्न विख्यात संत महात्माओं ने इन्हीं घाटों पर आश्रय लिया जिनमें तुलसीदास, रामानन्द, रविदास, तैलंग स्वामी, कुमारस्वामी प्रमुख हैं। विभिन्न राजाओं-महाराजाओं ने इन्हीं गंगा घाटों पर अपने महलों का निर्माण कराया एवं निवास किया। इन घाटों पर सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति का समन्वय जीवन्त रूप में विद्यमान है। घाटों ने काशी की एक अलग छवि को जगजाहिर किया है; यहां होने वाले धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गंगा आरती, गंगा महोत्सव, देवदीपावली, नाग नथैया (कृष्ण लीला), बुढ़वा मंगल विश्वविख्यात है। काशी वासियों के लिये गंगा के घाट धार्मिक-आध्यात्मिक महत्व के साथ ही पर्यटन, मौज-मस्ती के दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। घाट पर स्नान के पश्चात् भांग-बूटी के मस्ती में डूबे साधु-सन्न्यासियों एवं यहां के निवासियों ने बनारसी-मस्ती के अद्भुत छवि का निर्माण किया है, जिसके अलग अंदाज़ को सम्पूर्ण विश्व देखना, समझना एवं जीना चाहता है।[1]

चौरासी (84) घाट

वाराणसी में लगभग 84 घाट हैं। ये घाट लगभग 4 मील लम्‍बे तट पर बने हुए हैं। इन 84 घाटों में पाँच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्‍हें सामूहिक रूप से 'पंचतीर्थ' कहा जाता है। ये हैं असी घाट, दशाश्वमेध घाट, आदिकेशव घाट, पंचगंगा घाट तथा मणिकर्णिका घाट। असी घाट सबसे दक्षिण में स्थित है जबकि आदिकेशव घाट सबसे उत्तर में स्थित हैं। हर घाट की अपनी अलग-अलग कहानी है। वाराणसी के कई घाट मराठा साम्राज्य के अधीनस्थ काल में बनवाये गए थे। वाराणसी के संरक्षकों में मराठा, शिंदे (सिंधिया), होल्कर, भोंसले और पेशवा परिवार रहे हैं। वाराणसी में अधिकतर घाट स्नान-घाट हैं, कुछ घाट अन्त्येष्टि घाट हैं। महानिर्वाणी घाट में महात्‍मा बुद्ध ने स्‍नान किया था। कुछ घाट जैसे मणिकर्णिका घाट किसी कथा आदि से जुड़े हुए हैं, जबकि कुछ घाट निजी स्वामित्व के भी हैं पूर्व काशी नरेश का शिवाला घाट और काली घाट निजी संपदा हैं। वाराणसी में असी घाट से लेकर वरुणा घाट तक सभी की क्रमवार सूची निम्न है:-

वाराणसी के घाट
घाट का नाम निर्माता
नवला घाट नगर निगम
असी घाट महाराजा, बनारस
लाला मिश्र घाट महाराजा रीवां
तुलसी घाट महंत स्वामीनाथ
भदैनी घाट नगर निगम
जानकी घाट अशर्फी सिंह
अक्रूर घाट राय शिव प्रसाद
माता आनंदमयी घाट लाला बच्छराज
बच्छराज घाट बाबू शेखर चंद
जैन घाट नगर निगम
निषाद राज घाट नगर निगम
प्रभुघाट निर्मल कुमार
शिवाला घाट पं. बैजनाथ मिश्र
चेतसिंह घाट पंचकोट के राजा
निरंजनी घाट पंचकोट के राजा
दंडी घाट लल्लू जी अग्रवाल
गुलरिया घाट लल्लू जी अग्रवाल
हनुमान घाट महंत हरिहर जी
मैसूर घाट मैसूर राज्य
हरिश्चंद नगर निगम
लल्ली घाट महाराजा बनारस
विजयनगरम घाट महाराजा विजयनगरम
केदार घाट कुमार स्वामी
चौकी घाट नगर निगम
नरवा घाट नगर निगम
सोमेश्वर घाट कुमार स्वामी
मानसरोवर घाट नगर निगम
राजा घाट माधोराव पेशवा
नारद घाट दत्तात्रेय स्वामी
घाट का नाम निर्माता
खोरी घाट कवीन्द्र नारायण सिंह
गंगामहल घाट मथुरा पांडे
पांडे घाट बबुआ पांडे
धोबिया घाट कुमार स्वामी
दिग्पतिया घाट दिग्पतिया स्टेट (बंगाल)
चौसट्ठी घाट उदयपुर के राजा
राणा घाट उदयपुर के राजा
मुंशी घाट श्रीधर मुंशी
दरभंगा घाट महाराजा, दरभंगा
अहिल्याबाई घाट महाराजा, इंदौर
शीतला घाट नगर निगम
दशाश्वमेध घाट नगर निगम
प्रयाग घाट रानी हेमन्द कुमारी देवी
घोड़ा घाट नगर निगम
राजेंद्र प्रसाद घाट नगर निगम
मान मंदिर घाट महाराजा, जयपुर
त्रिपुरा भैरवी घाट महाराजा, बनारस
मीर घाट मीर रुस्तम अली
फूटा घाट स्वामी, महेश्वरानंद
नेपाली घाट नानही बाबू
ललिता घाट नेपाल नरेश
अमरोहागिरी बावली (घाट) बाबू केशव दास
जलसाई घाट नगर निगम
खिरकी घाट महाराजा, इंदौर
मणिकार्णिका घाट महाराजा, इंदौर
बाजीराव घाट महाराजा, इंदौर
सिंधिंया घाट महाराजा, ग्वालियर
संकटा घाट महाराज बड़ौदा
घाट का नाम निर्माता
संकटा घाट, गंगामहल महाराजा ग्वालियर
भोंसला घाट महाराजा नागपुर
नया घाट नगर निगम
गणेश घाट माधोराव पेशवा
अग्निश्वर घाट माधोराव पेशवा
मेहता घाट माधोराव पेशवा
रामघाट माधोराव पेशवा
बाभाजी या मंगलागौरी घाट माधोराव पेशवा
पंचगंगा घाट नगर निगम
बेनीमाधव घाट नगर निगम
दुर्गाघाट नारायण दीक्षित
ब्रह्मघाट नारायण दीक्षित
शीतला घाट महाराजा, बूँदी
लाल घाट नगर निगम
गायघाट नगर निगम
बालाबाई घाट नगर निगम
त्रिलोचन घाट नारायण दीक्षित
गोला घाट नगर निगम
नंदू घाट नगर निगम
पक्का घाट नगर निगम
तेलियानाला घाट नगर निगम
नया घाट नगर निगम
प्रह्लाद घाट नगर निगम
राजघाट नगर निगम
वरुणा संगम घाट नगर निगम

प्रमुख घाट

वाराणसी में कुछ प्रसिद्ध घाट हैं। इनमें कुछ घाटों का धार्मिक व अध्यात्मिक महत्त्व है और कुछ घाट अपनी प्राचीनता तो कुछ ऐतिहासिकता व कुछ कला के लिहाज़ से ख़ासियत रखते हैं।[2]

असीघाट

  • असीघाट वाराणसी के दक्षिणी छोर पर गंगाअसि नदी के संगम पर स्थित है।
  • यह घाट श्रद्धालुओं की आस्था व आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है।
  • यहीं पर भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर है।

तुलसी घाट

  • तुलसीघाट प्रसिद्ध कवि तुलसीदास से संबंधित है।
  • यहाँ गोस्वामी तुलसी दास ने श्रीरामचरित मानस के कई अंशों की रचना की थी।
  • कहा जाता है कि तुलसीदास ने अपना आख़िरी समय यहीं व्‍यतीत किया था।
  • इस घाट का नाम पहले 'लोलार्क घाट' था।

हरिश्चंद्र घाट

  • हरिश्‍चंद्र घाट का संबंध राजा हरिश्चंद्र से है।
  • सत्यप्रिय राजा हरिश्चंद्र के नाम पर यह घाट वाराणसी के प्राचीनतम घाटों में एक है।
  • इस घाट पर हिन्दू मरणोपरांत दाह संस्कार करते हैं।

केदार घाट

  • केदार घाट का नाम केदारेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर पड़ा है।
  • इस घाट के समीप में ही स्वामी करपात्री आश्रम व गौरी कुंड स्थित है।

दशाश्वमेध घाट

  • यह घाट गोदौलिया से गंगा जाने वाले मार्ग के अंतिम छोर पर पड़ता है।
  • प्राचीन ग्रंथो के मुताबिक़ राजा दिवोदास द्वारा यहाँ दस अश्वमेध यज्ञ कराने के कारण इसका नाम 'दशाश्वमेध घाट' पड़ा।
  • एक अन्य मत के अनुसार नागवंशीय राजा वीरसेन ने चक्रवर्ती बनने की आकांक्षा में इस स्थान पर दस बार अश्वमेध कराया था।[2]

राजेन्द्र घाट

मणिकर्णिका घाट

  • पौराणिक मान्यताओं से जुड़े मणिकर्णिका घाट का धर्मप्राण जनता में मरणोपरांत अंतिम संस्कार के लिहाज़ से अत्यधिक महत्त्व है।
  • इस घाट की गणना काशी के पंचतीर्थो में की जाती है।
  • मणिकर्णिका घाट पर स्थित भवनों का निर्माण पेशवा बाजीराव तथा अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

चेत सिंह घाट

चेत सिंह घाट, वाराणसी
  • चेत सिंह घाट एक क़िले की तरह लगता है।
  • चेत सिंह बनारस के एक साहसी राजा थे जिन्‍होंने 1781 ई. में वॉरेन हेस्टिंगस की सेना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी थी।

पंचगंगा घाट

राजघाट

  • राजघाट काशी रेलवे स्टेशन से सटे मालवीय सेतु (डफरिन पुल) के पा‌र्श्व में स्थित है।
  • यहां संत रविदास का भव्य मंदिर भी है।

आदिकेशव घाट

  • आदिकेशव घाट वरुणा व गंगा के संगम पर स्थित है।
  • यहाँ संगमेश्वर व ब्रह्मेश्वर मंदिर दर्शनीय हैं।
  • इसके अलावा गायघाट, लालघाट, सिंधिया घाट आदि काशी के सौंदर्य को उद्भाषित करते हैं।[2]


वाराणसी के घाट की चित्र वीथिका


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. प्राचीन घाट (हिंदी) काशी कथा। अभिगमन तिथि: 10 जनवरी, 2013।
  2. 2.0 2.1 2.2 वाराणसी के घाट (हिन्दी) जागरण यात्रा। अभिगमन तिथि: 17 फ़रवरी, 2011

संबंधित लेख