"तैत्तिरीयोपनिषद शिक्षावल्ली अनुवाक-4": अवतरणों में अंतर
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13:45, 13 अक्टूबर 2011 के समय का अवतरण
- तैत्तिरीयोपनिषद के शिक्षावल्ली का यह चौथा अनुवाक है।
मुख्य लेख : तैत्तिरीयोपनिषद
- इस अनुवाक में सर्वरूप, वेदों में सर्वश्रेष्ठ उपास्य देव 'इन्द्र' की उपासना करते हुए ऋषि कहते हैं कि वे उन्हें अमृत-स्वरूप परमात्मा को धारण करने वाला मेधा-सम्पन्न बनायें।
- शरीर में स्फूर्ति, जिह्वा में माधुर्य और कानों में शुभ वचन प्रदान करें।
- उन्हें सभी लोगों में यशस्वी, धनवान और ब्रह्मज्ञानी बनायें।
- उनके पास जो शिष्य आयें, वे ब्रह्मचारी, कपटहीन, ज्ञानेच्छु और मन का निग्रह करने वाले हों।
- इसी के लिए वे यज्ञ में उनके नाम की आहुतियां देते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
तैत्तिरीयोपनिषद ब्रह्मानन्दवल्ली |
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तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली |
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