"जलियाँवाला बाग में बसंत -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। | वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। | ||
परिमल-हीन पराग | परिमल-हीन पराग दाग़ सा बना पड़ा है, | ||
हा! यह प्यारा बाग़ | हा! यह प्यारा बाग़ ख़ून से सना पड़ा है। | ||
ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना, | ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना, |
13:55, 31 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
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यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, |