"आराधना -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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कात्या सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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जब मैं आँगन में पहुँची, | जब मैं आँगन में पहुँची, | ||
पूजा का थाल सजाए। | पूजा का थाल सजाए। | ||
शिव जी की तरह दिखे वे, | |||
बैठे थे ध्यान लगाए॥ | बैठे थे ध्यान लगाए॥ | ||
जिन चरणों के पूजन को | जिन चरणों के पूजन को, | ||
यह हृदय विकल हो जाता। | यह हृदय विकल हो जाता। | ||
मैं समझ न पाई, वह भी | मैं समझ न पाई, वह भी, | ||
है किसका ध्यान लगाता? | है किसका ध्यान लगाता? | ||
12:51, 15 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण
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जब मैं आँगन में पहुँची, |