"सल्तनत काल की शब्दावली": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण")
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{प्रतीक्षा|तिथि-समय=19:35, 4 अक्टूबर 2011 (IST)}}
'''सल्तनतकालीन महत्त्वपूर्ण शब्दावली'''
सल्तनतकालीन महत्वपूर्ण शब्दावली
*[[अक़ता]]   
 
*[[अमीर]]
*आरिज़े मुमालिक- यह दीवाने-ए-अर्ज़ (सैन्य विभाग) का सर्वोच्च अधिकारी होता था।
*[[अमीर-ए-आख़ुर]]   
*अक़ता- यह वह भूमि होती थी जिसकी आय सेना के सरदारों को सेना रखने एवं उचित देखभाल के लिए दी जाती थी। अक़ता भूमि उनसे वापस ले ली जाती थी जो सेना में रहने योग्य नहीं रहते थे।
*[[अमीर-ए-दाद]]   
*अमीर-ए-दाद - [[सुल्तान]] के राजधानी में अनुपस्थित होने पर यह दीवान-ए-मजलिस की अध्यक्षता करता था। इसे दादबक भी कहा जाता था।
*[[अमीर-ए-बहार]]   
*अमीर-ए-बहार- नौकाओं का प्रबंध करने वाला अधिकारी।
*[[अमीर-ए-मजलिस]]    
*आमिल- ग्रामों में भूमि कर वसूल कर अधिकारी।
*[[अमीर-ए-शिकार]]   
*इतलाकी- यह वह भूमि होती थी जिसकी देख-रेख [[सुल्तान]] के कर्मचारी करते थे।
*[[अमीर-ए-हाजिब]]   
*इद्रार- विद्वानो एवं धार्मिक लोगो को दी जाने वाली आर्थिक मदद।
*[[आमिल]]   
*क़ुब्बा- ख़ुशी के समय मार्गो में बनने वाला एक प्रकार का तोरण द्वार या गुम्बद।
*[[आरिज़े मुमालिक]]   
*कु - उस व्यक्ति को ‘कु’ कहा जाता था जो अल्लाह एवं [[क़ुरान]] में विश्वास नहीं करता था।
*[[इतलाकी]]  
*ख़ान- सरख़ैलों, सिपहसालारों, अमीरों एवं मालिकों के अधिकारी को ख़ान कहते थे।
*[[इद्रार]]   
*ख़ानक़ाह- सूफ़ी-सन्तों के आरामगाह को ख़ानक़ाह कहा जाता था।
*[[क़ाज़ी-उल-क़ुज़ात]]   
*ख़लासा भूमि- इस भूमि का प्रबन्ध स्वंय [[सुल्तान]] करता था।इस भूमि से होने वाली आय सुल्तान के ख़ज़ाने में जाती थी।
*[[कु]]   
*ख़ासख़ैल- शाही महल से सम्बन्धित सेना होती थी।
*[[क़ुब्बा]]  
*ख़ासदार- सुल्तान के अस्त्र-शस्त्र का प्रबंध करने वाला अधिकारी।
*[[ख़ज़ीन]]   
*ख़िर्क़ा- शेख़ों द्वारा पहना जाने वाला ऊपरी वस्त्र। शब्दकोश में इसका अर्थ है- गुदड़ी, फटा-पुराना लिबास; किसी ऋषि या वली के शरीर से उतरा हुआ लिबास।
*[[ख़राज]]   
*ख़राज- ग़ैर मुसलमानों पर लगाया जाने वाला भू-राजस्व।
*[[ख़लासा भूमि]]   
*ज़िम्मी- किसी स्वतंत्र राज्य को जीतने के बाद यदि वहां की जनता इस्लाम धर्म नहीं स्वीकार करती थी परन्तु [[जज़िया]] कर देना स्वीकार कर लेती थी उसे ज़िम्मी कहा जाता था।
*[[ख़ान]]   
*जहांदारी- राज्य व्यवस्था या शासन प्रबन्ध।
*[[ख़ानक़ाह]]  
*तज़्कीर- एक प्रकार का धर्मोपदेश।
*[[ख़ासख़ैल]]   
*तफ़सीर- [[क़ुरान]] का अनुवाद एवं समीक्षा।
*[[ख़ासदार]]   
*तलीआ- तलाया या तलीया सेना का अग्रमि भाग जो शत्रुओं की वास्तविक स्थिति का पता लगाता था।
*[[ख़िर्क़ा]]   
*दबीर- शाही पत्र व्यवहार की देखभाल करने वाले विभाग का अधिकारी।
*[[जहांदारी]]   
*दीवाने-क़ज़ा - साधारण झगड़ों के बारे में निर्णय देने वाला अधिकारी।
*[[ज़िम्मी]]   
*नायक बारबक - दरबार के समस्त कार्यों की देख-भाल करने वाले कर्मचारियों का अधिकारी नायक बारबक कहलाता था।
*[[तज़्कीर]]   
*नौबत- नगाड़ा, तुराही, बिगुल, झांझ, बांसुरी आदि वाद्ययन्त्रो के सम्मिलित समूह को को नौबत कहा जाता था। यह ख़ुशी के मौक़े पर बजाई जाती थी।
*[[तफ़सीर]]   
*पायक- सेना के पैदल सैनिको को पायक कहते थे।
*[[तलीआ]]   
*फ़तवा- शरीयत के आधार पर किसी समस्या के समाधान का निर्णय।
*[[दबीर]]   
*फ़िक़ह- इस्लामी धर्मनीति के ज्ञान को फ़िक़ह कहा जाता था।
*[[दीवान--अमीर कोही]]   
*फ़वाजिल / विभाग फ़ाजिल- अधिशेष भूराजस्व।
*[[दीवान-ए-आरिज]] 
*बरीद- समाचार वाहक।
*[[दीवान--इंशा]]   
*बलाहर- साधारण किसानों को कहा जाता था।
*[[दीवान--इस्तिहक़]]   
*मावास- उस घने जंगल एवं पहाड़ी इलाक़े वाले भाग को कहते थे जहां प्रायः विद्रोही विद्रोह करके छिप जाते थे।
*[[दीवान-ए-ख़ैरात]]   
*मसाहत- भूमि की पैमाइश।
*[[दीवान-ए-नज़र]]  
*मिल्क़- वह भूमि जो विद्वानो एवं धार्मिक कार्यो के लिए दी जाती थी। यह भूमि वंशानुगत होती थी।
*[[दीवान-ए-बंदगान]]   
*मुक़ता- बड़ी अक़ता के मालिक मुक़ता कहलाते थे।
*[[दीवान-ए-बरीद]]   
*मुतसर्रिफ़- गांवो में किसानों से भूमिकर वसूल करने वाले अधिकारी।
*[[दीवान-ए-मुस्तख़राज]]   
*मुहतसिब- ऐसी सभी बातो को रोकने वाले अधिकारी जो ग़ैर-इस्लामी है मुहतसिब कहलाता था। शराब पीने से रोकने वाला अधिकारी।
*[[दीवान-ए-रसालत]]  
*मैमार- इमारतों का निर्माण करने वाले इंजीनियर को मैमार कहा जाता था।
*[[दीवान-ए-रिसायत]]   
*मुक़द्दम- गांव का मुखिया।
*[[दीवान-ए-वक़ूफ़]] 
*वक़्फ़- वह धन, सम्पत्ति व भूमि जिसे धार्मिक कार्यो हेतु सुरक्षित रखा जाता है।
*[[दीवाने-क़ज़ा]]   
*वली- प्रान्तों में सुल्तान के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता था। प्रांत स्तर के समस्त अधिकारी उसके पास होते थे।
*[[नायक बारबक]]   
*सदक़ा- एक प्रकार का धार्मिक कर।
*[[नायब वज़ीर]]   
*समा- सूफ़ियों का संगीत तथा नृत्य।
*[[नायब--मुमालिकत]]   
*सरख़ैल- दस सवारों का सरदार।
*[[नौबत]]   
*शहन-ए-इमारत- भवनों के निर्माण एवं मरम्मत सम्बन्धी अधिकारी।
*[[पायक]]   
*सरजानदार- सुल्तान के अंगरक्षकों का सरदार।
*[[फ़तवा]]   
*सरजामदार- सुल्तान के वस्त्रों का मुख्य प्रबन्धक।
*[[फ़िक़ह]]   
*सरहंग- निम्न वर्ग का एक कर्मचारी।
*[[बरीद]]   
*हदीस- [[मुहम्मद साहब]] के कथनों तथा उनके जीवन से सम्बन्धित कहानियों का संग्रह।
*[[बलाहर]]   
*हश्म-ए-अतरफ़- प्रान्तों की सेना।
*[[बारबक]]   
*हश्म-ए-क़ल्ब- '''क़ल्ब''' का शाब्दिक अर्थ 'हृदय' होता है। हश्म-ए-क़ल्ब दिल्ली की सेना के लिए प्रयुक्त होता था।
*[[मसाहत]]   
*[[मावास]]   
*[[मिल्क़]]   
*[[मुक़ता]]   
*[[मुक़द्दम]]   
*[[मुतसर्रिफ़]]   
*[[मुशरिफ़-ए-मुमालिक]]   
*[[मुस्तौफ़ी--मुमालिक]]   
*[[मुहतसिब]]   
*[[मैमार]]   
*[[वकील-ए-दर]]   
*[[वकील-ए-सुल्तान]]   
*[[वक़्फ़]]   
*[[वज़ीर]]   
*[[वली]]   
*[[शहन-ए-इमारत]] 
*[[शहना-ए-पील]]   
*[[सदक़ा]]   
*[[सद्र-उस-सदुर]]     
*[[समा]]   
*[[सर-ए-जाँदार]]
*[[सरख़ैल]]   
*[[सरजानदार]]   
*[[सरजामदार]]   
*[[सरहंग]]   
*[[सुल्तान]]  
*[[हश्म-ए-अतरफ़]]   
*[[हश्म-ए-क़ल्ब]]




पंक्ति 58: पंक्ति 85:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
{{सल्तनतकालीन प्रशासन}}
[[Category:नया पन्ना अक्टूबर-2011]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:दिल्ली सल्तनत]]
[[Category:प्राचीन शासन-प्रशासन]]


__INDEX__
__INDEX__

13:47, 9 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

सल्तनतकालीन महत्त्वपूर्ण शब्दावली


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख