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'''टी. प्रकाशम''' प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और [[आंध्र प्रदेश]] के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] थे। इनका जन्म 23 अगस्त, 1972 ई. में गुन्टूर ज़िले के कनपर्ती नामक गाँव में हुआ था। टी. प्रकाशम का पूरा नाम 'टंगटूरी प्रकाशम' था। इनकी अल्पायु में ही [[पिता]] का देहान्त हो गया था। इन्होंने पहले [[मद्रास]] और फिर [[इंग्लैण्ड]] से बैरिस्टरी की पढ़ाई की थी। इंग्लैण्ड में दो मुकदमों की पैरवी भी इन्होंने की थी, और इसी समय [[महात्मा गाँधी]] से इनका प्रथम बार साक्षात्कार हुआ। देश में व्याप्त गरीबी को टी. प्रकाशम ने काफ़ी क़रीब से देखा था, इसीलिए गाँधी जी के प्रथम आन्दोलन के समय इन्होंने अपनी लाखों रुपये की बैरिस्टरी का त्याग कर दिया।
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'''तंगुतुरी प्रकाशम''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tanguturi Prakasam'', जन्म: [[23 अगस्त]], [[1872]]; मृत्यु: [[20 मई]], [[1957]]) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और [[आंध्र प्रदेश|आंध्र राज्य]] के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] थे। उनका जन्म [[23 अगस्त]], [[1872]] ई. में [[गुंटूर ज़िला|गुन्टूर ज़िले]] के कनपर्ती नामक [[गाँव]] में हुआ था। टी. प्रकाशम का पूरा नाम 'टंगटूरी प्रकाशम' था। अल्पायु में ही उनके [[पिता]] का देहान्त हो गया था। उन्होंने पहले [[मद्रास]] और फिर [[इंग्लैण्ड]] से बैरिस्टर की पढ़ाई की थी। इंग्लैण्ड में दो मुकदमों की पैरवी भी उन्होंने की थी, और इसी समय [[महात्मा गाँधी]] से उनका प्रथम बार साक्षात्कार हुआ। देश में व्याप्त ग़रीबी को टी. प्रकाशम ने काफ़ी क़रीब से देखा था, इसीलिए गाँधी जी के प्रथम आन्दोलन के समय उन्होंने अपनी लाखों [[रुपया|रुपये]] की बैरिस्टरी का त्याग कर दिया।
==शिक्षा तथा व्यवसाय==
==शिक्षा तथा व्यवसाय==
टी. प्रकाशम के पिता 'गोपाल कृष्णैया' का जल्दी देहांत हो जाने के कारण [[माँ]] ने एक होटल खोलकर बड़े परिश्रम से उनका पालन-पोषण किया। मद्रास से क़ानून की शिक्षा प्राप्त करके उन्होंने राजामुंद्री में वकालत शुरू की। शीघ्र ही उन्होंने इस क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया। 29 वर्ष की उम्र में टी. प्रकाशम राजामुंद्री नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए थे।
टी. प्रकाशम के पिता 'गोपाल कृष्णैया' का जल्दी देहांत हो जाने के कारण [[माँ]] ने एक होटल खोलकर बड़े परिश्रम से उनका पालन-पोषण किया। मद्रास से क़ानून की शिक्षा प्राप्त करके उन्होंने राजामुंद्री में वकालत शुरू की। शीघ्र ही उन्होंने इस क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया। 29 वर्ष की उम्र में टी. प्रकाशम राजामुंद्री नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए थे। अपने मित्रों के आग्रह पर [[1904]] ई. में टी. प्रकाशम बैरिस्टर की शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गए। [[भारत]] लौटने पर [[1907]] ई. में उन्होंने मद्रास में बैरिस्टरी आरंभ की और शीघ्र ही उनकी गणना प्रमुख बैरिस्टरों में होने लगी।
अपने मित्रों के आग्रह पर 1904 ई. में टी. प्रकाशम बैरिस्टरी की शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गए। [[भारत]] लौटने पर 1907 ई. में उन्होंने मद्रास में बैरिस्टरी आरंभ की और शीघ्र ही उनकी गणना प्रमुख बैरिस्टरों में होने लगी।
====गाँधी जी से भेंट====
====गाँधी जी से भेंट====
प्रकाशम ने 15 वर्षों तक खूब धन कमाया और सुखपूर्वक जीवन व्यतीत किया। इन्हीं दिनों उन्होंने ‘लॉ टाइम्स’ नामक पत्र का संपादन किया, प्रिवी कौंसिल में मुकदमा लड़ने के लिए दो बार इंग्लैण्ड भी गए। वहाँ उनकी भेंट प्रथम बार गाँधी जी से हुई। गाँधी जी के विचारों का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा। देश में संपन्नता के चारों ओर फैली गरीबी को वे देख चुके थे। देश की स्वाधीनता के लिए गाँधी जी ने जो पहला आंदोलन आरंभ किया, टी. प्रकाशम भी अपनी लाखों रूपये की बैरिस्टरी त्यागकर उस आंदोलन में सम्मिलित हो गए। 1921 से आगामी 13 वर्षों तक वे [[आंध्र प्रदेश]] में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। उन्होंने राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचार के लिए 1921 में ‘स्वराज्य’ नामक दैनिक पत्र का प्रकाशन किया और 15 वर्ष तक अपने व्यय से इसे चलाते रहे।
प्रकाशम ने 15 वर्षों तक खूब धन कमाया और सुखपूर्वक जीवन व्यतीत किया। इन्हीं दिनों उन्होंने ‘लॉ टाइम्स’ नामक पत्र का संपादन किया, प्रिवी कौंसिल में मुकदमा लड़ने के लिए दो बार इंग्लैण्ड भी गए। वहाँ उनकी भेंट प्रथम बार गाँधी जी से हुई। गाँधी जी के विचारों का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा। देश में संपन्नता के चारों ओर फैली ग़रीबी को वे देख चुके थे। देश की स्वाधीनता के लिए गाँधी जी ने जो पहला आंदोलन आरंभ किया, टी. प्रकाशम भी अपनी लाखों रुपये की बैरिस्टरी त्यागकर उस आंदोलन में सम्मिलित हो गए। [[1921]] से आगामी 13 वर्षों तक वे [[आंध्र प्रदेश]] में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। उन्होंने राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचार के लिए [[1921]] में ‘स्वराज्य’ नामक दैनिक पत्र का प्रकाशन किया और 15 वर्ष तक अपने व्यय से इसे चलाते रहे।
==आंध्र केसरी की उपाधि==
==आंध्र केसरी की उपाधि==
आंदोलनों में भाग लेने के कारण उन्होंने जेल की सजाएँ भोगीं। 1927 में [[साइमन कमीशन]] के विरोध में आयोजित प्रदर्शन पर पुलिस द्वारा की गई गोलाबारी के बीच से मृत और घायल व्यक्तियों को निकालने के लिए वे ही आगे बढ़े थे। तभी से वे ‘आंध्र केसरी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए। 1937 में जब देश में पहले कांग्रेसी मंत्रिमंडल स्थापित हुए तो टी. प्रकाशम [[सी. राजगोपालाचारी]] के मंत्रिमंडल में राजस्वमंत्री के रूप में सम्मिलित हुए। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, अप्रैल 1946 में वे संयुक्त [[मद्रास]] प्रदेश के [[मुख्यमंत्री]] बने और लगभग 13 महीनों तक इस पद पर रहकर उन्होंने समाज-सुधार और आर्थिक उन्नति की कई योजनाएँ आरंभ की।
आंदोलनों में भाग लेने के कारण उन्हें जेल की सजाएँ मिलीं। [[1927]] में [[साइमन कमीशन]] के विरोध में आयोजित प्रदर्शन पर पुलिस द्वारा की गई गोलाबारी के बीच से मृत और घायल व्यक्तियों को निकालने के लिए वे ही आगे बढ़े थे। तभी से वे ‘आंध्र केसरी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए। 1937 में जब देश में पहले कांग्रेसी मंत्रिमंडल स्थापित हुए तो टी. प्रकाशम [[सी. राजगोपालाचारी]] के मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री के रूप में सम्मिलित हुए। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, अप्रैल [[1946]] में वे संयुक्त [[मद्रास]] प्रदेश के [[मुख्यमंत्री]] बने और लगभग 13 महीनों तक इस पद पर रहकर उन्होंने समाज-सुधार और आर्थिक उन्नति की कई योजनाएँ आरंभ की।
====आंध्र प्रदेश का गठन====
====आंध्र प्रदेश का गठन====
भाषावार प्रदेशों के गठन के आधार पर अलग [[आंध्र प्रदेश]] की स्थापना के लिए पोट्ठि श्रीरामालू ने 15 दिसंबर, 1952 ई. को आत्मदाह कर लिया, तो उसके बाद 1 अक्टूबर, 1953 ई. को आंध्र का क्षेत्र मद्रास से अलग करके नया राज्य बना दिया गया। इस नए राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री आंध्र केसरी टी. प्रकाशम ही बने। इस राज्य की स्थापना के लिए वहाँ 40 वर्षों से आंदोलन चल रहा था, परंतु ‘विशाल आंध्र प्रदेश’ अक्टूबर, 1956 में ही बन पाया। इस प्रकार टी. प्रकाशम ने अपने जीवन में ही अपनी यह आकांक्षा पूरी होते देखी।
भाषावार प्रदेशों के गठन के आधार पर अलग [[आंध्र प्रदेश]] की स्थापना के लिए पोट्ठि श्रीरामालू ने [[15 दिसंबर]], [[1952]] ई. को आत्मदाह कर लिया, तो उसके बाद [[1 अक्टूबर]], [[1953]] ई. को आंध्र का क्षेत्र मद्रास से अलग करके नया राज्य बना दिया गया। इस नए राज्य के प्रथम [[मुख्यमंत्री]] आंध्र केसरी टी. प्रकाशम ही बने। इस राज्य की स्थापना के लिए वहाँ 40 वर्षों से आंदोलन चल रहा था, परंतु ‘विशाल आंध्र प्रदेश’ [[अक्टूबर]], [[1956]] में ही बन पाया। इस प्रकार टी. प्रकाशम ने अपने जीवन में ही अपनी यह आकांक्षा पूरी होते देखी।
==मृत्यु==
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आन्ध्र प्रदेश राज्य की स्थापना के कुछ समय बाद ही 20 मई, 1957 को टी. प्रकाशम का देहान्त हो गया। आज भी उन्हें आन्ध्र में वे बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है।
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09:50, 11 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

टी. प्रकाशम
टी. प्रकाशम
टी. प्रकाशम
पूरा नाम तंगुतुरी प्रकाशम
जन्म 23 अगस्त, 1872
जन्म भूमि गुंटूर ज़िला, आंध्र प्रदेश
मृत्यु 20 मई, 1957
मृत्यु स्थान हैदराबाद, आंध्र प्रदेश
अभिभावक गोपाल कृष्णैया
नागरिकता भारतीय
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, स्वतंत्र पार्टी
पद आंध्र राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री, संयुक्त मद्रास प्रदेश के मुख्यमंत्री
शिक्षा वकालत
पुरस्कार-उपाधि आंध्र केसरी
धर्म हिन्दू
अन्य जानकारी वर्ष 1921 में ‘स्वराज्य’ नामक दैनिक पत्र का प्रकाशन किया और 15 वर्ष तक अपने व्यय से इसे चलाते रहे।

तंगुतुरी प्रकाशम (अंग्रेज़ी: Tanguturi Prakasam, जन्म: 23 अगस्त, 1872; मृत्यु: 20 मई, 1957) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और आंध्र राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। उनका जन्म 23 अगस्त, 1872 ई. में गुन्टूर ज़िले के कनपर्ती नामक गाँव में हुआ था। टी. प्रकाशम का पूरा नाम 'टंगटूरी प्रकाशम' था। अल्पायु में ही उनके पिता का देहान्त हो गया था। उन्होंने पहले मद्रास और फिर इंग्लैण्ड से बैरिस्टर की पढ़ाई की थी। इंग्लैण्ड में दो मुकदमों की पैरवी भी उन्होंने की थी, और इसी समय महात्मा गाँधी से उनका प्रथम बार साक्षात्कार हुआ। देश में व्याप्त ग़रीबी को टी. प्रकाशम ने काफ़ी क़रीब से देखा था, इसीलिए गाँधी जी के प्रथम आन्दोलन के समय उन्होंने अपनी लाखों रुपये की बैरिस्टरी का त्याग कर दिया।

शिक्षा तथा व्यवसाय

टी. प्रकाशम के पिता 'गोपाल कृष्णैया' का जल्दी देहांत हो जाने के कारण माँ ने एक होटल खोलकर बड़े परिश्रम से उनका पालन-पोषण किया। मद्रास से क़ानून की शिक्षा प्राप्त करके उन्होंने राजामुंद्री में वकालत शुरू की। शीघ्र ही उन्होंने इस क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया। 29 वर्ष की उम्र में टी. प्रकाशम राजामुंद्री नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गए थे। अपने मित्रों के आग्रह पर 1904 ई. में टी. प्रकाशम बैरिस्टर की शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गए। भारत लौटने पर 1907 ई. में उन्होंने मद्रास में बैरिस्टरी आरंभ की और शीघ्र ही उनकी गणना प्रमुख बैरिस्टरों में होने लगी।

गाँधी जी से भेंट

प्रकाशम ने 15 वर्षों तक खूब धन कमाया और सुखपूर्वक जीवन व्यतीत किया। इन्हीं दिनों उन्होंने ‘लॉ टाइम्स’ नामक पत्र का संपादन किया, प्रिवी कौंसिल में मुकदमा लड़ने के लिए दो बार इंग्लैण्ड भी गए। वहाँ उनकी भेंट प्रथम बार गाँधी जी से हुई। गाँधी जी के विचारों का उन पर बहुत प्रभाव पड़ा। देश में संपन्नता के चारों ओर फैली ग़रीबी को वे देख चुके थे। देश की स्वाधीनता के लिए गाँधी जी ने जो पहला आंदोलन आरंभ किया, टी. प्रकाशम भी अपनी लाखों रुपये की बैरिस्टरी त्यागकर उस आंदोलन में सम्मिलित हो गए। 1921 से आगामी 13 वर्षों तक वे आंध्र प्रदेश में कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। उन्होंने राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचार के लिए 1921 में ‘स्वराज्य’ नामक दैनिक पत्र का प्रकाशन किया और 15 वर्ष तक अपने व्यय से इसे चलाते रहे।

आंध्र केसरी की उपाधि

आंदोलनों में भाग लेने के कारण उन्हें जेल की सजाएँ मिलीं। 1927 में साइमन कमीशन के विरोध में आयोजित प्रदर्शन पर पुलिस द्वारा की गई गोलाबारी के बीच से मृत और घायल व्यक्तियों को निकालने के लिए वे ही आगे बढ़े थे। तभी से वे ‘आंध्र केसरी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गए। 1937 में जब देश में पहले कांग्रेसी मंत्रिमंडल स्थापित हुए तो टी. प्रकाशम सी. राजगोपालाचारी के मंत्रिमंडल में राजस्व मंत्री के रूप में सम्मिलित हुए। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, अप्रैल 1946 में वे संयुक्त मद्रास प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और लगभग 13 महीनों तक इस पद पर रहकर उन्होंने समाज-सुधार और आर्थिक उन्नति की कई योजनाएँ आरंभ की।

आंध्र प्रदेश का गठन

भाषावार प्रदेशों के गठन के आधार पर अलग आंध्र प्रदेश की स्थापना के लिए पोट्ठि श्रीरामालू ने 15 दिसंबर, 1952 ई. को आत्मदाह कर लिया, तो उसके बाद 1 अक्टूबर, 1953 ई. को आंध्र का क्षेत्र मद्रास से अलग करके नया राज्य बना दिया गया। इस नए राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री आंध्र केसरी टी. प्रकाशम ही बने। इस राज्य की स्थापना के लिए वहाँ 40 वर्षों से आंदोलन चल रहा था, परंतु ‘विशाल आंध्र प्रदेश’ अक्टूबर, 1956 में ही बन पाया। इस प्रकार टी. प्रकाशम ने अपने जीवन में ही अपनी यह आकांक्षा पूरी होते देखी।

मृत्यु

आन्ध्र प्रदेश राज्य की स्थापना के कुछ समय बाद ही 20 मई, 1957 को टी. प्रकाशम का देहान्त हो गया। आज भी उन्हें आन्ध्र में वे बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है।

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प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 343-344 |


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भारतीय राज्यों में पदस्थ मुख्यमंत्री
क्रमांक राज्य मुख्यमंत्री तस्वीर पार्टी पदभार ग्रहण
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5. उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी
भाजपा 4 जुलाई, 2021
6. ओडिशा नवीन पटनायक
बीजू जनता दल 5 मार्च, 2000
7. कर्नाटक सिद्धारमैया
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16. तेलंगाना अनुमुला रेवंत रेड्डी
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस 7 दिसंबर, 2023
17. दिल्ली अरविन्द केजरीवाल
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20. पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी
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21. पुदुचेरी एन. रंगास्वामी
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22. बिहार नितीश कुमार
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23. मणिपुर एन. बीरेन सिंह
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24. मध्य प्रदेश मोहन यादव
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25. महाराष्ट्र एकनाथ शिंदे
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