"जलियाँवाला बाग में बसंत -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " दाग " to " दाग़ ") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " खून " to " ख़ून ") |
||
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 37: | पंक्ति 37: | ||
परिमल-हीन पराग दाग़ सा बना पड़ा है, | परिमल-हीन पराग दाग़ सा बना पड़ा है, | ||
हा! यह प्यारा बाग़ | हा! यह प्यारा बाग़ ख़ून से सना पड़ा है। | ||
ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना, | ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना, |
13:55, 31 जुलाई 2014 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, |