"उदयपुर": अवतरणों में अंतर
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'''उदयपुर | {{सूचना बक्सा उदयपुर}} | ||
'''उदयपुर''' शहर, दक्षिणी [[राजस्थान|राजस्थान राज्य]], पश्चिमोत्तर [[भारत]] में, [[अरावली पर्वतश्रेणी]] पर स्थित है। बंबई (अब [[मुम्बई]]) से 697 मील उत्तर उदयपुर-चित्तौर रेलवे के अंतिम छोर के पास स्थित उदयपुर नगर [[मेवाड़]] के गर्वीले राज्य की राजधानी है। नगर समुद्रतल से लगभग दो हज़ार फुट ऊँची पहाड़ी पर प्रतिष्ठित है एवं जंगलों द्वारा घिरा है। प्राचीन नगर प्राचीर द्वारा आबद्ध है जिसके चतुर्दिक् रक्षा के लिए खाई खुदी है। पहाड़ी के ऊर्ध्व शिखर पर नाना प्रकार के प्रस्तरों से निर्मित महाराणा का प्रासाद, युवराज गृह, सरदार भवन एवं जगन्नाथ मंदिर दर्शनीय हैं। इनका प्रतिबिंब पचोला झील में पड़ता है। [[झील]] के मध्य में यज्ञ मंदिर एवं जलवास नामक दो जलप्रासाद हैं। | |||
==स्थापना== | |||
[[महाराणा उदयसिंह]] ने सन् 1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की। लगातार [[मुग़ल|मुग़लों]] के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर शहर [[राजस्थान]] प्रान्त का एक नगर है। यहाँ का क़िला अन्य इतिहास को समेटे हुये है। इसके संस्थापक [[बप्पा रावल]] थे, जो कि [[सिसोदिया राजवंश]] के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया [[राजपूत|राजपूतों]] ने उदयपुर ([[मेवाड़]]) रियासत की स्थापना की थी। | |||
==इतिहास== | |||
उदयपुर [[मेवाड़]] के [[महाराणा प्रताप]] के पिता [[सूर्य वंश|सूर्यवंशी]] नरेश महाराणा उदयसिंह के द्वारा 16वीं शती में बसाया गया था। मेवाड़ की प्राचीन राजधानी [[चित्तौड़गढ़]] थी। मेवाड़ के नरेशों ने मुग़लों का आधिपत्य कभी स्वीकार नहीं किया था। महाराणा राजसिंह जो [[औरंगज़ेब]] से निरन्तर युद्ध करते रहे थे, महाराणा प्रताप के पश्चात् मेवाड़ के राणाओं में सर्वप्रमुख माने जाते हैं। उदयपुर के पहले ही [[चित्तौड़]] का नाम भारतीय शौर्य के इतिहास में अमर हो चुका था। उदयपुर में [[पिछोला झील]] में बने राजप्रासाद तथा [[सहेलियों की बाड़ी उदयपुर|सहेलियों का बाग़]] नामक स्थान उल्लेखनीय हैं। | |||
[[चित्र:Durbar-Of-The-Maharana-Of-Udaipur.jpg|thumb|left|300px|उदयपुर के महाराणा का दरबार]] | |||
उदयपुर को सूर्योदय का शहर कहा जाता है, जिसको 1568 में महाराणा उदयसिंह द्वारा चित्तौड़गढ़ विजय के बाद उदयपुर रियासत की राजधानी बनाया गया था। प्राचीर से घिरा हुआ उदयपुर शहर एक पर्वतश्रेणी पर स्थित है, जिसके शीर्ष पर महाराणा जी का महल है, जो सन् 1570 ई. में बनना आरंभ हुआ था। उदयपुर के पश्चिम में [[पिछोला झील]] है, जिस पर दो छोटे द्वीप और संगमरमर से बने महल हैं, इनमें से एक में मुग़ल शहंशाह [[शाहजहाँ]] (शासनकाल 1628-58 ई.) ने तख़्त पर बैठने से पहले अपने पिता [[जहाँगीर]] से विद्रोह करके शरण ली थी। | |||
सन 1572 ई. में महाराणा उदयसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था। उन दिनों एक मात्र यही ऐसे शासक थे जिन्होंने मुग़लों की अधीनता नहीं स्वीकारी थी। महाराणा प्रताप एवं मुग़ल सम्राट [[अकबर]] के बीच हुआ [[हल्दीघाटी उदयपुर|हल्दीघाटी]] का घमासान युद्ध मातृभूमि की रक्षा के लिए इतिहास प्रसिद्ध है। यह युद्ध किसी धर्म, जाति अथवा साम्राज्य विस्तार की भावना से नहीं, बल्कि स्वाभिमान एवं मातृभूमि के गौरव की रक्षा के लिए ही हुआ। | |||
[[चित्र:Kumbhalgarh-Udaipur.jpg|thumb|left|250px|[[कुंभलगढ़ उदयपुर|कुंभलगढ़]], उदयपुर ]] | |||
[[मौर्य वंश]] के राजा मानसिंह ने उदयपुर के महाराजाओं के पूर्वज बप्पा रावल को जो उनका भांजा था, यह क़िला सौंप दिया। यहीं बप्पा रावल ने [[मेवाड़]] के नरेशों की राजधानी बनाई, जो 16वीं शती में उदयपुर के बसने तक इसी रूप में रही। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने उदयपुर (मेवाड़) रियासत की स्थापना की थी। बाद में इस वंश ने मुस्लिम आक्रमणों का लंबे समय तक प्रतिरोध किया। 18वीं शताब्दी में इस राज्य को आतंरिक फूट व [[मराठा|मराठों]] के आक्रमणों का सामना करना पड़ा और 1818 ई. में यह ब्रिटिश प्रभुता के अधीन हो गया था। [[1948]] ई. में राजस्थान राज्य में इसका विलीन हो गया। | |||
====मेवाड़==== | |||
{{मुख्य|मेवाड़}} | |||
मेवाड़ [[राजस्थान]] के दक्षिण मध्य में एक रियासत थी। मेवाड़ को उदयपुर राज्य के नाम से भी जाना जाता था। इसमें आधुनिक [[भारत]] के उदयपुर, [[भीलवाड़ा]], राजसमंद, तथा [[चित्तौरगढ़ ज़िला|चित्तौडगढ़ ज़िले]] थे। सैकड़ों सालों तक यहाँ राजपूतों का शासन रहा और इस पर [[गहलौत राजवंश|गहलौत]] तथा सिसोदिया राजाओं ने 1200 साल तक राज किया था। [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] ने 1303 ई. में मेवाड़ के [[गहलौत राजवंश]] के शासक रतनसिंह को पराजित कर मेवाड़ को [[दिल्ली सल्तनत]] में मिलाया। गहलौत वंश की एक शाखा '[[सिसोदिया वंश]]' के हम्मीरदेव ने [[मुहम्मद बिन तुग़लक़|मुहम्मद तुग़लक]] के समय में [[चित्तौड़गढ़|चित्तौड़]] को जीत कर पूरे मेवाड़ को स्वतंत्र करा लिया। 1378 ई. में हम्मीदेव की मृत्यु के बाद उसका पुत्र क्षेत्रसिंह (1378 -1405 ई.) मेवाड़ की गद्दी पर बैठा। क्षेत्रसिंह के बाद उसका पुत्र लक्खासिंह 1405 ई. में सिंहासन पर बैठा। लक्खासिंह की मृत्यु के बाद 1418 ई. में इसका पुत्र मोकल राजा हुआ। मोकल ने कविराज बानी विलास और योगेश्वर नामक विद्वानों को आश्रय दिया। उसके शासनकाल में माना, फन्ना और विशाल नामक प्रसिद्ध शिल्पकार आश्रय पाये हुये थे। मोकल ने अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया तथा [[एकलिंगजी उदयपुर|एकलिंग मंदिर]] के चारों तरफ परकोटे का भी निर्माण कराया। उसकी [[गुजरात]] शासक के विरुद्ध किये गये अभियान के समय हत्या कर दी गयी। 1431 ई. में उसकी मृत्यु के बाद [[राणा कुम्भा]] मेवाड़ के राज सिंहासन पर बैठे। [[अम्बाजी (मराठा साम्राज्य)|अम्बाजी]] नाम के एक मराठा सरदार ने अकेले ही मेवाड़ से क़रीब दो करोड़ रुपये वसूले थे। | |||
==अर्थव्यवस्था== | |||
उदयपुर एक कृषि वितरण केंद्र है। यहाँ के कारख़ानों में रसायन, एस्बेस्टॅस और चिकनी मिट्टी का उत्पादन होता है। उदयपुर में कपड़े, कसीदाकारी की हुई वस्तुएँ, हाथीदांत और लाख के हस्तशिल्प का भी निर्माण होता है। उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ([[1962]] ई. में स्थापित) है। | |||
==यातायात और परिवहन== | |||
[[चित्र:Maharana-Pratap-Airport.jpg|thumb|250px|महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, उदयपुर]] | |||
;हवाई मार्ग | |||
उदयपुर का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा डबौक में है। [[जयपुर]], [[जोधपुर]], [[दिल्ली]] तथा [[मुंबई]] से यहाँ नियमित उड़ाने उपलब्ध हैं। | |||
;रेल मार्ग | |||
उदयपुर का रेलवे स्टेशन देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। | |||
;सड़क मार्ग | |||
उदयपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित है। यह सड़क मार्ग जोधपुर से 276 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, जयपुर से 396 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तथा दिल्ली से 652 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। | |||
==पर्यटन== | |||
[[चित्र:2-pigeons-palace-Udaipur.jpg|thumb|दो कबूतर पैलेस, उदयपुर]] | |||
{{main| उदयपुर पर्यटन}} | |||
उदयपुर, [[उत्तरी भारत]] का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल माना जाता है। उदयपुर को झीलों का शहर भी कहते हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ [[रेगिस्तान]] का अनोखा संगम अन्य कहीं देखने को नहीं मिलता है। यह शहर [[अरावली पर्वत श्रृंखला|अरावली पहाड़ी]] के पास राजस्थान में स्थित है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल यहाँ के शासकों द्वारा बनवाये गए महल, झीलें, बगीचे तथा स्मारक हैं। ये सभी चीज़ें हमें सिसोदिया राजपूत शासकों के सदगुण, विजय तथा स्वतंत्रता की याद दिलाते हैं। इनका निर्माण उस समय हुआ जब [[मेवाड़]] ने पहली बार [[मुग़ल|मुग़लों]] की अधीनता स्वीकार की थी तथा बाद में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] की। आपको उदयपुर घूमने के लिए कम-से-कम तीन दिन का समय देना चाहिए। इसके आसपास के स्थानों को घूमने के लिए दो और दिन देने चाहिए। | |||
[[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_ऐतिहासिक_नगर]][[Category:राजस्थान_के_नगर]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]]__INDEX__ | ==जनसंख्या== | ||
[[2001]] की गणना के अनुसार उदयपुर की जनसंख्या 3,89,317 है, उदयपुर ज़िले की कुल जनसंख्या 26,32,210 है। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==वीथिका== | |||
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|caption=उदयपुर नगर का [[पिछोला झील]] से विहंगम दृश्य | |||
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चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-Udaipur.jpg|[[रणकपुर जैन मंदिर]], उदयपुर | |||
चित्र:Udaipur-facade.jpg|उदयपुर मुखौटा | |||
चित्र:Jag-Niwas-Island-Udaipur.jpg|[[जग निवास]], उदयपुर | |||
चित्र:Jagdish-Temple-Udaipur.jpg|[[जगदीश मंदिर उदयपुर| जगदीश मंदिर]], उदयपुर | |||
चित्र:City-Palace-Udaipur-2.jpg|[[सिटी पैलेस काम्पलेक्स उदयपुर|सिटी पैलेस]], उदयपुर | |||
चित्र:Kumbhalgarh-Udaipur-1.jpg|[[कुंभलगढ़ उदयपुर|कुंभलगढ़]], उदयपुर | |||
चित्र:Nagda-Udaipur.jpg|नागदा मन्दिर, उदयपुर | |||
चित्र:Ranakpur-Jain-Temple-Udaipur-1.jpg|[[रणकपुर जैन मंदिर]], उदयपुर | |||
चित्र:City-Palace-Museum-Udaipur.jpg|[[सिटी पैलेस संग्रहालय उदयपुर|सिटी पैलेस संग्रहालय]], उदयपुर | |||
चित्र:City-Palace-Udaipur-1.jpg|[[सिटी पैलेस काम्पलेक्स उदयपुर|सिटी पैलेस]], उदयपुर | |||
चित्र:Saheliyon-Ki-Bari-Udaipur.jpg|[[सहेलियों की बाड़ी उदयपुर|सहेलियों की बाड़ी]], उदयपुर | |||
चित्र:Pichola-Lake-Udaipur.jpg|[[पिछोला झील]], उदयपुर | |||
चित्र:Monsoon-Palace-Udaipur.jpg|[[मानसून भवन उदयपुर|मानसून भवन]], उदयपुर | |||
चित्र:Ahar-Udaipur.jpg|[[आहर, उदयपुर|आहर]], उदयपुर | |||
चित्र:Bagore-Ki-Haveli-Udaipur.jpg|[[बगोर की हवेली उदयपुर|बगोर की हवेली]], उदयपुर | |||
चित्र:Lake-Palace-Udaipur.jpg|[[लेक पैलेस उदयपुर|लेक पैलेस]], उदयपुर | |||
चित्र:Jag-Mandir-Palace.jpg|[[जग मंदिर उदयपुर|जग मंदिर]], उदयपुर | |||
चित्र:Palace-Of-Rana-Of-Mewar-Udaipur.jpg|राणा का महल, [[मेवाड़]] (उदयपुर) | |||
चित्र:The-Entrance-Of-The-Palace-Of-Udaipur.jpg|राणा के महल का प्रवेशद्वार, [[मेवाड़]] (उदयपुर) | |||
चित्र:Courtyard-Of-The-Palace-In-Udaipur.jpg|राणा के महल का आंगन, मेवाड़ (उदयपुर) | |||
चित्र:Tripolia-Gate-City-Palace-Udaipur.jpg|त्रिपोलिया गेट, [[सिटी पैलेस काम्पलेक्स उदयपुर|सिटी पैलेस]], उदयपुर | |||
चित्र:Udaipur-Lake.jpg|उदयपुर घाट, उदयपुर | |||
चित्र:Udaipur-Lake-1.jpg|[[पिछोला झील]], उदयपुर | |||
चित्र:Haldighati-Udaipur.jpg|[[महाराणा प्रताप]] की प्रतिमा, [[हल्दीघाटी]], उदयपुर | |||
चित्र:Lakepalace-Udaipur.jpg|[[जग निवास]] (लेक पैलेस), उदयपुर | |||
चित्र:Music-Player-Udaipur.jpg|संगीत वादक, उदयपुर | |||
चित्र:Indian-Percussion-Instrument-Player.jpg|[[ढोलक]] बजाता लोक कलाकार, उदयपुर | |||
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==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[http://udaipur.nic.in/ अधिकारिक वेबसाइट] | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{उदयपुर के पर्यटन स्थल}}{{राजस्थान के नगर}}{{राजस्थान}} | |||
[[Category:राजस्थान]][[Category:राजस्थान_के_ऐतिहासिक_नगर]][[Category:राजस्थान_के_नगर]][[Category:राजस्थान_के_पर्यटन_स्थल]][[Category:उदयपुर]][[Category:उदयपुर के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन_कोश]] | |||
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10:16, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
उदयपुर
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विवरण | उदयपुर, पूर्व का वेनिस और भारत का दूसरा काश्मीर माना जाने वाला शहर है। यह ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। |
राज्य | राजस्थान |
ज़िला | उदयपुर |
स्थापना | सन् 1559 ई. में महाराजा उदयसिंह द्वारा स्थापित |
भौगोलिक स्थिति | उत्तर- 24°35 - पूर्व- 73°41 |
मार्ग स्थिति | उदयपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित है। यह सड़क मार्ग जोधपुर से 276 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, जयपुर से 396 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तथा दिल्ली से 652 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। |
प्रसिद्धि | उदयपुर के अलावा झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्य कहीं नहीं देखने को मिलता है। |
कब जाएँ | अक्टूबर से फ़रवरी |
महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, डबौक में है। | |
उदयपुर सिटी/UDZ रेलवे स्टेशन, उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन | |
बस अड्डा उदयपुर | |
बिना मीटर की टैक्सी, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा | |
क्या देखें | महलें, झीलें, बगीचें, संग्रहालय तथा स्मारक |
क्या ख़रीदें | यहाँ से हस्तशिल्प संबंधी वस्तुएँ, पेपर, कपड़े, पत्थर तथा लकड़ी पर बने चित्र ये सभी सरकार द्वारा संचालित राजस्थानी शोरुम से ख़रीदी जा सकती है। |
एस.टी.डी. कोड | 0294 |
गूगल मानचित्र | |
अद्यतन | 14:46, 5 मई 2013 (IST)
|
उदयपुर शहर, दक्षिणी राजस्थान राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में, अरावली पर्वतश्रेणी पर स्थित है। बंबई (अब मुम्बई) से 697 मील उत्तर उदयपुर-चित्तौर रेलवे के अंतिम छोर के पास स्थित उदयपुर नगर मेवाड़ के गर्वीले राज्य की राजधानी है। नगर समुद्रतल से लगभग दो हज़ार फुट ऊँची पहाड़ी पर प्रतिष्ठित है एवं जंगलों द्वारा घिरा है। प्राचीन नगर प्राचीर द्वारा आबद्ध है जिसके चतुर्दिक् रक्षा के लिए खाई खुदी है। पहाड़ी के ऊर्ध्व शिखर पर नाना प्रकार के प्रस्तरों से निर्मित महाराणा का प्रासाद, युवराज गृह, सरदार भवन एवं जगन्नाथ मंदिर दर्शनीय हैं। इनका प्रतिबिंब पचोला झील में पड़ता है। झील के मध्य में यज्ञ मंदिर एवं जलवास नामक दो जलप्रासाद हैं।
स्थापना
महाराणा उदयसिंह ने सन् 1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की। लगातार मुग़लों के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर शहर राजस्थान प्रान्त का एक नगर है। यहाँ का क़िला अन्य इतिहास को समेटे हुये है। इसके संस्थापक बप्पा रावल थे, जो कि सिसोदिया राजवंश के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने उदयपुर (मेवाड़) रियासत की स्थापना की थी।
इतिहास
उदयपुर मेवाड़ के महाराणा प्रताप के पिता सूर्यवंशी नरेश महाराणा उदयसिंह के द्वारा 16वीं शती में बसाया गया था। मेवाड़ की प्राचीन राजधानी चित्तौड़गढ़ थी। मेवाड़ के नरेशों ने मुग़लों का आधिपत्य कभी स्वीकार नहीं किया था। महाराणा राजसिंह जो औरंगज़ेब से निरन्तर युद्ध करते रहे थे, महाराणा प्रताप के पश्चात् मेवाड़ के राणाओं में सर्वप्रमुख माने जाते हैं। उदयपुर के पहले ही चित्तौड़ का नाम भारतीय शौर्य के इतिहास में अमर हो चुका था। उदयपुर में पिछोला झील में बने राजप्रासाद तथा सहेलियों का बाग़ नामक स्थान उल्लेखनीय हैं।
उदयपुर को सूर्योदय का शहर कहा जाता है, जिसको 1568 में महाराणा उदयसिंह द्वारा चित्तौड़गढ़ विजय के बाद उदयपुर रियासत की राजधानी बनाया गया था। प्राचीर से घिरा हुआ उदयपुर शहर एक पर्वतश्रेणी पर स्थित है, जिसके शीर्ष पर महाराणा जी का महल है, जो सन् 1570 ई. में बनना आरंभ हुआ था। उदयपुर के पश्चिम में पिछोला झील है, जिस पर दो छोटे द्वीप और संगमरमर से बने महल हैं, इनमें से एक में मुग़ल शहंशाह शाहजहाँ (शासनकाल 1628-58 ई.) ने तख़्त पर बैठने से पहले अपने पिता जहाँगीर से विद्रोह करके शरण ली थी।
सन 1572 ई. में महाराणा उदयसिंह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था। उन दिनों एक मात्र यही ऐसे शासक थे जिन्होंने मुग़लों की अधीनता नहीं स्वीकारी थी। महाराणा प्रताप एवं मुग़ल सम्राट अकबर के बीच हुआ हल्दीघाटी का घमासान युद्ध मातृभूमि की रक्षा के लिए इतिहास प्रसिद्ध है। यह युद्ध किसी धर्म, जाति अथवा साम्राज्य विस्तार की भावना से नहीं, बल्कि स्वाभिमान एवं मातृभूमि के गौरव की रक्षा के लिए ही हुआ।
मौर्य वंश के राजा मानसिंह ने उदयपुर के महाराजाओं के पूर्वज बप्पा रावल को जो उनका भांजा था, यह क़िला सौंप दिया। यहीं बप्पा रावल ने मेवाड़ के नरेशों की राजधानी बनाई, जो 16वीं शती में उदयपुर के बसने तक इसी रूप में रही। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने उदयपुर (मेवाड़) रियासत की स्थापना की थी। बाद में इस वंश ने मुस्लिम आक्रमणों का लंबे समय तक प्रतिरोध किया। 18वीं शताब्दी में इस राज्य को आतंरिक फूट व मराठों के आक्रमणों का सामना करना पड़ा और 1818 ई. में यह ब्रिटिश प्रभुता के अधीन हो गया था। 1948 ई. में राजस्थान राज्य में इसका विलीन हो गया।
मेवाड़
मेवाड़ राजस्थान के दक्षिण मध्य में एक रियासत थी। मेवाड़ को उदयपुर राज्य के नाम से भी जाना जाता था। इसमें आधुनिक भारत के उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद, तथा चित्तौडगढ़ ज़िले थे। सैकड़ों सालों तक यहाँ राजपूतों का शासन रहा और इस पर गहलौत तथा सिसोदिया राजाओं ने 1200 साल तक राज किया था। अलाउद्दीन ख़िलजी ने 1303 ई. में मेवाड़ के गहलौत राजवंश के शासक रतनसिंह को पराजित कर मेवाड़ को दिल्ली सल्तनत में मिलाया। गहलौत वंश की एक शाखा 'सिसोदिया वंश' के हम्मीरदेव ने मुहम्मद तुग़लक के समय में चित्तौड़ को जीत कर पूरे मेवाड़ को स्वतंत्र करा लिया। 1378 ई. में हम्मीदेव की मृत्यु के बाद उसका पुत्र क्षेत्रसिंह (1378 -1405 ई.) मेवाड़ की गद्दी पर बैठा। क्षेत्रसिंह के बाद उसका पुत्र लक्खासिंह 1405 ई. में सिंहासन पर बैठा। लक्खासिंह की मृत्यु के बाद 1418 ई. में इसका पुत्र मोकल राजा हुआ। मोकल ने कविराज बानी विलास और योगेश्वर नामक विद्वानों को आश्रय दिया। उसके शासनकाल में माना, फन्ना और विशाल नामक प्रसिद्ध शिल्पकार आश्रय पाये हुये थे। मोकल ने अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया तथा एकलिंग मंदिर के चारों तरफ परकोटे का भी निर्माण कराया। उसकी गुजरात शासक के विरुद्ध किये गये अभियान के समय हत्या कर दी गयी। 1431 ई. में उसकी मृत्यु के बाद राणा कुम्भा मेवाड़ के राज सिंहासन पर बैठे। अम्बाजी नाम के एक मराठा सरदार ने अकेले ही मेवाड़ से क़रीब दो करोड़ रुपये वसूले थे।
अर्थव्यवस्था
उदयपुर एक कृषि वितरण केंद्र है। यहाँ के कारख़ानों में रसायन, एस्बेस्टॅस और चिकनी मिट्टी का उत्पादन होता है। उदयपुर में कपड़े, कसीदाकारी की हुई वस्तुएँ, हाथीदांत और लाख के हस्तशिल्प का भी निर्माण होता है। उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (1962 ई. में स्थापित) है।
यातायात और परिवहन
- हवाई मार्ग
उदयपुर का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है। यह हवाई अड्डा डबौक में है। जयपुर, जोधपुर, दिल्ली तथा मुंबई से यहाँ नियमित उड़ाने उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग
उदयपुर का रेलवे स्टेशन देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग
उदयपुर शहर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर स्थित है। यह सड़क मार्ग जोधपुर से 276 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व, जयपुर से 396 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम तथा दिल्ली से 652 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
पर्यटन
उदयपुर, उत्तरी भारत का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थल माना जाता है। उदयपुर को झीलों का शहर भी कहते हैं। पर्यटकों के आकर्षण के लिए यहाँ बहुत कुछ है। झीलों के साथ रेगिस्तान का अनोखा संगम अन्य कहीं देखने को नहीं मिलता है। यह शहर अरावली पहाड़ी के पास राजस्थान में स्थित है। यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्थल यहाँ के शासकों द्वारा बनवाये गए महल, झीलें, बगीचे तथा स्मारक हैं। ये सभी चीज़ें हमें सिसोदिया राजपूत शासकों के सदगुण, विजय तथा स्वतंत्रता की याद दिलाते हैं। इनका निर्माण उस समय हुआ जब मेवाड़ ने पहली बार मुग़लों की अधीनता स्वीकार की थी तथा बाद में अंग्रेज़ों की। आपको उदयपुर घूमने के लिए कम-से-कम तीन दिन का समय देना चाहिए। इसके आसपास के स्थानों को घूमने के लिए दो और दिन देने चाहिए।
जनसंख्या
2001 की गणना के अनुसार उदयपुर की जनसंख्या 3,89,317 है, उदयपुर ज़िले की कुल जनसंख्या 26,32,210 है।
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वीथिका
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रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
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उदयपुर मुखौटा
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जग निवास, उदयपुर
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जगदीश मंदिर, उदयपुर
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सिटी पैलेस, उदयपुर
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कुंभलगढ़, उदयपुर
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नागदा मन्दिर, उदयपुर
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रणकपुर जैन मंदिर, उदयपुर
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सिटी पैलेस संग्रहालय, उदयपुर
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सिटी पैलेस, उदयपुर
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सहेलियों की बाड़ी, उदयपुर
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पिछोला झील, उदयपुर
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मानसून भवन, उदयपुर
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आहर, उदयपुर
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बगोर की हवेली, उदयपुर
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लेक पैलेस, उदयपुर
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जग मंदिर, उदयपुर
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राणा का महल, मेवाड़ (उदयपुर)
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राणा के महल का प्रवेशद्वार, मेवाड़ (उदयपुर)
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राणा के महल का आंगन, मेवाड़ (उदयपुर)
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त्रिपोलिया गेट, सिटी पैलेस, उदयपुर
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उदयपुर घाट, उदयपुर
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पिछोला झील, उदयपुर
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महाराणा प्रताप की प्रतिमा, हल्दीघाटी, उदयपुर
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जग निवास (लेक पैलेस), उदयपुर
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संगीत वादक, उदयपुर
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ढोलक बजाता लोक कलाकार, उदयपुर
बाहरी कड़ियाँ
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