"गांधारी से संवाद (2) -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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लड़ते आदमी का चेहरा देखना | लड़ते आदमी का चेहरा देखना | ||
सचमुच मुश्किल होता है | सचमुच मुश्किल होता है | ||
तब और भी | तब और भी ज़्यादा | ||
जब तुम अन्धेरे में हो | जब तुम अन्धेरे में हो | ||
और चेहरा मशाल की तरह जल रहा हो़ | और चेहरा मशाल की तरह जल रहा हो़ | ||
तब और भी | तब और भी ज़्यादा | ||
जब तुम खड़े हो | जब तुम खड़े हो | ||
मूक दर्शकों की पंक्ति में | मूक दर्शकों की पंक्ति में | ||
पंक्ति 153: | पंक्ति 153: | ||
जैसिका को किसी ने नहीं मारा | जैसिका को किसी ने नहीं मारा | ||
जैसिका कभी मरी ही नहीं | जैसिका कभी मरी ही नहीं | ||
उसे दफन किया गया है फाईलों में | उसे दफन किया गया है फाईलों में ज़िन्दा़ | ||
गांधारी के शब्दकोश में आदमी | गांधारी के शब्दकोश में आदमी | ||
पंक्ति 161: | पंक्ति 161: | ||
गवाह और अपराधी के बीच | गवाह और अपराधी के बीच | ||
एक अदालती रिश्ता है | एक अदालती रिश्ता है | ||
जो सच की | जो सच की क़ब्र पर | ||
फूल की तरह खिलता है़। | फूल की तरह खिलता है़। | ||
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13:23, 14 मई 2013 के समय का अवतरण
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