"काट फंद हे गोविन्द ! -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर
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काट फंद हे गोविन्द ! शरण जानि तारो। | |||
भव समुद्र है अगाध, मोहि को उबारो।। | |||
विनय करी गज गयंद, कृपा करी कृष्णचन्द्र। | |||
द्रोपदा की लाज रखी, आसरो तिहारो ।। | |||
दर्शन दे दुःख हरो, दया राह कृपा करो। | |||
अनाथन के नाथ राम, अरजी चित्त धारो ।। | |||
जनम मरण ते छुटाय, हे गोविन्द देकर सहाय। | |||
निरबल के राम श्याम, तू है प्राण प्यारो ।। | |||
काट फंद हे गोविन्द ! शरण जानि | अचल संत संत राम, जय-जय हे सुख धाम । | ||
भव समुद्र है अगाध, मोहि को | शिवदीन दीन अर्ज़ करे, कोटि विघ्न टारो ।। | ||
विनय करी गज गयंद, कृपा करी | </poem> | ||
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दर्शन दे दुःख हरो, दया राह कृपा | |||
अनाथन के नाथ राम, अरजी चित्त धारो | {| width="100%" | ||
जनम मरण ते छुटाय, हे गोविन्द देकर | |- | ||
निरबल के राम श्याम, तू है प्राण प्यारो | | | ||
अचल संत संत राम, जय-जय हे सुख धाम | |||
शिवदीन दीन अर्ज़ करे, कोटि विघ्न टारो | |||
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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13:53, 18 जून 2012 के समय का अवतरण
काट फंद हे गोविन्द ! शरण जानि तारो। |
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