"मिहरा बरसत वृन्दावन में -शिवदीन राम जोशी": अवतरणों में अंतर

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यमुना  तट  पर खड़ा  सांवरा, बिजरी चमकत घन में ।।
यमुना  तट  पर खड़ा  सांवरा, बिजरी चमकत घन में ।।
मौर  पपैया  दादुर बोले,  भांति-भांति  के पक्षी  डोले ।
मौर  पपैया  दादुर बोले,  भांति-भांति  के पक्षी  डोले ।
हरी हरियाली, कोयल  कूँकत  बोले  मधुर स्वरन में ।।
हरी हरियाली, कोयल  कूँकत  बोले  मधुर स्वरन् में ।।
शिवदीन मनोरम छटा निराली, जय-जय जय प्यारे बनमाली ।
शिवदीन मनोरम छटा निराली, जय-जय जय प्यारे बनमाली ।
युगल  छबि उर  बसत  हमारे, देखो इन नयनन में ।।
युगल  छबि उर  बसत  हमारे, देखो इन नयनन में ।।

07:37, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

मिहरा बरसत वृन्दावन में ।
तन राधा का मस्त लहरिया, भीगा मन मोहन में ।।
छम-छम छम-छम पायल बाजे, चलत चाल श्रीराधे साजे ।
धन्य-धन्य श्रीकृष्ण कलाधर शोभित शुभ नर तन में ।।
मुरलीधर की मुरली बाजी, ग्वाल सखा ब्रज बाला राजी ।
यमुना तट पर खड़ा सांवरा, बिजरी चमकत घन में ।।
मौर पपैया दादुर बोले, भांति-भांति के पक्षी डोले ।
हरी हरियाली, कोयल कूँकत बोले मधुर स्वरन् में ।।
शिवदीन मनोरम छटा निराली, जय-जय जय प्यारे बनमाली ।
युगल छबि उर बसत हमारे, देखो इन नयनन में ।।

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