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'''श्रीहरिकोटा''' [[चेन्नई]] (भूतपूर्व मद्रास) से 80 कि.मी. की दूरी पर उत्तर में, [[आन्ध्र प्रदेश]] के पूर्वी तट के नेल्लोर ज़िले में, पश्चिम में बकिंगघम कैनाल व पूर्व में [[बंगाल की खाड़ी]] के बीच स्थित है। श्रीहरिकोटा [[पुलिकट झील]] के निकट स्थित, '[[इसरो]]' (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) का प्रमुख प्रमोचन केन्द्र | '''श्रीहरिकोटा''' [[चेन्नई]] (भूतपूर्व मद्रास) से 80 कि.मी. की दूरी पर [[उत्तर (दिशा)|उत्तर]] में, [[आन्ध्र प्रदेश]] के पूर्वी तट के [[नेल्लोर|नेल्लोर ज़िले]] में, [[पश्चिम दिशा|पश्चिम]] में '''बकिंगघम कैनाल''' व [[पूर्व दिशा|पूर्व]] में [[बंगाल की खाड़ी]] के बीच स्थित है। | ||
*श्रीहरिकोटा [[पुलिकट झील]] के निकट स्थित, '[[इसरो]]' (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) का प्रमुख प्रमोचन केन्द्र है। | |||
*यह ठोस रॉकेट प्रणोदकों का वृहत पैमाने पर उत्पादन व चरणीय रॉकेटों में ठोस ईधन की भू-जांच करने वाला केन्द्र है। | |||
*[[1969]] में श्रीहरिकोटा को '''सैटलाइट लॉन्चिंग स्टेशन''' के रूप में चुना गया था। फिर [[1971]] में RH-125 साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किया गया। पहला ऑर्बिट सैटलाइट [[रोहिणी उपग्रह|रोहिणी 1A]] था, जो [[10 अगस्त]] [[1979]] को लॉन्च किया गया, लेकिन खामी की वजह से [[19 अगस्त]] को नष्ट हो गया। | |||
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*पूर्वी तट पर स्थित होने से इसे अतिरिक्त 0.4 कि.मी./से. की वेलोसिटी मिलती है। गौरतलब है कि ज्यादातर सैटलाइट पूर्व की तरफ ही लॉन्च किए जाते हैं। इस जगह आबादी नहीं है। यहां या तो [[इसरो]] के लोग रहते हैं या फिर स्थानीय मछुआरे। | |||
*श्रीहरिकोटा नेशनल हाइवे-5 पर है। सबसे नज़दीक का रेलवे स्टेशन 20 किलोमीटर दूर है। नज़दीकी शहर सुल्लुर्पेता है, यही सबसे पास का रेलवे स्टेशन भी है। [[चेन्नई]] के इंटरनेशनल पोर्ट से ये जगह 70 किलोमीटर दूर पड़ती है। | |||
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08:33, 29 दिसम्बर 2019 के समय का अवतरण
श्रीहरिकोटा चेन्नई (भूतपूर्व मद्रास) से 80 कि.मी. की दूरी पर उत्तर में, आन्ध्र प्रदेश के पूर्वी तट के नेल्लोर ज़िले में, पश्चिम में बकिंगघम कैनाल व पूर्व में बंगाल की खाड़ी के बीच स्थित है।
- श्रीहरिकोटा पुलिकट झील के निकट स्थित, 'इसरो' (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) का प्रमुख प्रमोचन केन्द्र है।
- यह ठोस रॉकेट प्रणोदकों का वृहत पैमाने पर उत्पादन व चरणीय रॉकेटों में ठोस ईधन की भू-जांच करने वाला केन्द्र है।
- 1969 में श्रीहरिकोटा को सैटलाइट लॉन्चिंग स्टेशन के रूप में चुना गया था। फिर 1971 में RH-125 साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किया गया। पहला ऑर्बिट सैटलाइट रोहिणी 1A था, जो 10 अगस्त 1979 को लॉन्च किया गया, लेकिन खामी की वजह से 19 अगस्त को नष्ट हो गया।
- श्रीहरिकोटा की स्थिति ही इसका यूएसपी है। इक्वेटर से करीबी यहां की खासियत है। ये जगह पूर्व दिशा की ओर की जाने वाली लॉन्चिंग के लिए बेहतरीन मानी जाती है।[1]
- पूर्वी तट पर स्थित होने से इसे अतिरिक्त 0.4 कि.मी./से. की वेलोसिटी मिलती है। गौरतलब है कि ज्यादातर सैटलाइट पूर्व की तरफ ही लॉन्च किए जाते हैं। इस जगह आबादी नहीं है। यहां या तो इसरो के लोग रहते हैं या फिर स्थानीय मछुआरे।
- श्रीहरिकोटा नेशनल हाइवे-5 पर है। सबसे नज़दीक का रेलवे स्टेशन 20 किलोमीटर दूर है। नज़दीकी शहर सुल्लुर्पेता है, यही सबसे पास का रेलवे स्टेशन भी है। चेन्नई के इंटरनेशनल पोर्ट से ये जगह 70 किलोमीटर दूर पड़ती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ क्यों श्रीहरिकोटा से ही सैटेलाइट लॉन्च करता है इसरो (हिंदी)। । अभिगमन तिथि: 28 दिसम्बर, 2019।