"वसिष्ठ स्मृति": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
*सातवें अध्याय में शालिग्राम शिला की महिमा तथा उन्हें साक्षात् भगवान् हरि का विग्रह बतलाया गया है। | *सातवें अध्याय में शालिग्राम शिला की महिमा तथा उन्हें साक्षात् भगवान् हरि का विग्रह बतलाया गया है। | ||
*ऐसा निर्दिष्ट है कि भगवान् के दोनों पार्श्व में, देवालयों में श्रीदेवी तथा भूदेवी की स्थापना की जानी चाहिए- 'श्रीभूमि सहितं देवं कारयेच्छुम विग्रहम'।<ref>7/5</ref> इस प्रकार इस स्मृति में आद्योपान्त वैष्णव आचार एवं विष्णु आराधना का विधान वर्णित है। | *ऐसा निर्दिष्ट है कि भगवान् के दोनों पार्श्व में, देवालयों में श्रीदेवी तथा भूदेवी की स्थापना की जानी चाहिए- 'श्रीभूमि सहितं देवं कारयेच्छुम विग्रहम'।<ref>7/5</ref> इस प्रकार इस स्मृति में आद्योपान्त वैष्णव आचार एवं विष्णु आराधना का विधान वर्णित है। | ||
==टीका टिप्पणी== | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | |||
{{संस्कृत साहित्य}} | |||
[[Category:साहित्य कोश]][[Category:स्मृति ग्रन्थ]] | [[Category:साहित्य कोश]][[Category:स्मृति ग्रन्थ]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
10:15, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण
- सात अध्यायों, 1150 श्लोकों वाली वसिष्ठ स्मृति को मुख्यतया वैष्णव धर्म एवं भक्ति दर्शन तथा वैष्णवों के सदाचार, नित्यानुष्ठान, पूजा-चर्या, आदि का प्रतिपादक कहा गया है।
- प्रथम अध्याय में वैष्णवों के आचार, वृत्ति, भक्ष्याभक्ष्य का वर्णन है।
- द्वितीय से चतुर्थ अध्याय में वैष्णवों के विभिन्न संस्कार एवं विधियां, प्रक्रिया, अवधि आदि वर्णित है।
- पांचवां अध्याय स्त्रीधर्म, पातिव्रत्य धर्म एवं कर्त्तव्य तथा शील की विवेचना करता है।
- छठा अध्याय विस्तार से वैष्णवों के नित्य नैमित्तिक कृत्यों का वर्णन करता है।
- सातवें अध्याय में शालिग्राम शिला की महिमा तथा उन्हें साक्षात् भगवान् हरि का विग्रह बतलाया गया है।
- ऐसा निर्दिष्ट है कि भगवान् के दोनों पार्श्व में, देवालयों में श्रीदेवी तथा भूदेवी की स्थापना की जानी चाहिए- 'श्रीभूमि सहितं देवं कारयेच्छुम विग्रहम'।[1] इस प्रकार इस स्मृति में आद्योपान्त वैष्णव आचार एवं विष्णु आराधना का विधान वर्णित है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 7/5