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'''ब्रह्मदेव मंदिर''' [[उत्तराखंड]] के [[कुमाऊँ मण्डल]] के जनपदों तक पहुँचने के लिये अंतिम रेलवे स्टेशन [[टनकपुर]] से होकर बहने वाली [[काली नदी]] (मैदानी इलाकों में आने पर इसका प्रचलित नाम [[शारदा नदी]] है) के बांऐ किनारे पर [[नेपाल]] के कंचनपुर [[कस्बा|कस्बे]] में स्थित है। [[काली नदी (उत्तराखण्ड)|काली नदी]] के दांये किनारे पर टनकपुर स्थित है। टनकपुर में प्रतिदिन सांयःकालीन [[आरती]] का आयोजन होता है। ब्रह्मदेव कस्बे में स्थित [[ब्रह्मा]] [[विष्णु]] के मंदिर से टनकपुर कस्बे तक का सफर काली नदी के किनारे बने बैराज पर तय करना बहुत मोहक लगता है। बैराज के कारण निर्मित जलाशय में पड़ने वाली अस्त होते सूर्य की छटा मन मोहक है। | |||
[[चित्र:Punyagiri1..jpg|thumb|left|[[पूर्णागिरि मेला|पूर्णागिरि मंदिर]] मार्ग से ब्रह्मदेव कस्बे का विहंगम दृष्य]] | [[चित्र:Punyagiri1..jpg|thumb|left|[[पूर्णागिरि मेला|पूर्णागिरि मंदिर]] मार्ग से ब्रह्मदेव कस्बे का विहंगम दृष्य]] | ||
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12:50, 25 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण
ब्रह्मदेव मंदिर उत्तराखंड के कुमाऊँ मण्डल के जनपदों तक पहुँचने के लिये अंतिम रेलवे स्टेशन टनकपुर से होकर बहने वाली काली नदी (मैदानी इलाकों में आने पर इसका प्रचलित नाम शारदा नदी है) के बांऐ किनारे पर नेपाल के कंचनपुर कस्बे में स्थित है। काली नदी के दांये किनारे पर टनकपुर स्थित है। टनकपुर में प्रतिदिन सांयःकालीन आरती का आयोजन होता है। ब्रह्मदेव कस्बे में स्थित ब्रह्मा विष्णु के मंदिर से टनकपुर कस्बे तक का सफर काली नदी के किनारे बने बैराज पर तय करना बहुत मोहक लगता है। बैराज के कारण निर्मित जलाशय में पड़ने वाली अस्त होते सूर्य की छटा मन मोहक है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख