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'''कोपरगाँव''' [[महाराष्ट्र]] राज्य में दौंड-मनमाड रेलपथ पर [[गोदावरी नदी]] के निकट स्थित एक प्राचीन स्थान है। किंवदंती के अनुसार यह स्थान [[दैत्य]] गुरु [[शुक्राचार्य]] का [[आश्रम]] कहा जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=235|url=}}</ref>
'''कोपरगाँव''' [[महाराष्ट्र]] राज्य में दौंड-मनमाड रेलपथ पर [[गोदावरी नदी]] के निकट स्थित एक प्राचीन स्थान है। किंवदंती के अनुसार यह स्थान [[दैत्य]] गुरु [[शुक्राचार्य]] का [[आश्रम]] कहा जाता है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=235|url=}}</ref>


*स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह विश्वास भी किया जाता है कि [[कच]] और [[देवयानी]] के प्रसिद्ध पौराणिक उपाख्यान की घटनास्थली यही है।
*स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह विश्वास भी किया जाता है कि [[कच]] और [[देवयानी]] के प्रसिद्ध पौराणिक उपाख्यान की घटनास्थली यही है।
*यहाँ देवयनी का स्थान तथा कचेश्वर शिव मंदिर भी है।<ref>देवयानी का पितृगृह अर्थात शुक्राचार्य का आश्रम एक दूसरी जनश्रुति में 'देवयानी' नामक स्थान ([[राजस्थान]]) में भी माना जाता है।</ref>
*यहाँ देवयनी का स्थान तथा कचेश्वर शिव मंदिर भी है।<ref>देवयानी का पितृगृह अर्थात् शुक्राचार्य का आश्रम एक दूसरी जनश्रुति में 'देवयानी' नामक स्थान ([[राजस्थान]]) में भी माना जाता है।</ref>


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07:54, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

कोपरगाँव महाराष्ट्र राज्य में दौंड-मनमाड रेलपथ पर गोदावरी नदी के निकट स्थित एक प्राचीन स्थान है। किंवदंती के अनुसार यह स्थान दैत्य गुरु शुक्राचार्य का आश्रम कहा जाता है।[1]

  • स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यह विश्वास भी किया जाता है कि कच और देवयानी के प्रसिद्ध पौराणिक उपाख्यान की घटनास्थली यही है।
  • यहाँ देवयनी का स्थान तथा कचेश्वर शिव मंदिर भी है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार |पृष्ठ संख्या: 235 |
  2. देवयानी का पितृगृह अर्थात् शुक्राचार्य का आश्रम एक दूसरी जनश्रुति में 'देवयानी' नामक स्थान (राजस्थान) में भी माना जाता है।

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