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'''अंजन''' नामक शब्द से [[हिन्दू]] पौराणिक ग्रंथों में निम्न परिचय मिलते हैं-
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=अंजन|लेख का नाम=अंजन (बहुविकल्पी)}}
# एक [[सर्प]] का नाम है जो [[पुराण|पुराणानुसार]] [[कश्यप]] की स्त्री कद्रू से उत्पत्र हुआ था।<ref>-दे. कद्रू । (2)</ref>
# वामदेव साम के वर्ग का एक [[हाथी]] जो दक्षिण-पश्चिम कोण का दिग्गज कहा गया है। यह [[इरावती]] का [[पुत्र]] और सुनहले [[रंग]] का है।<ref> ([[ब्रह्म पुराण|ब्रह्म पुराण]] .3.7.292, 327, 339) । </ref>
# एक पहाडी का नाम जो सितोद सर के पश्चिम में स्थित है,<ref>([[वायु पुराण]] 36.28)</ref>। यहाँ उरगों का निवास कहा गया है<ref>([[वायु पुराण]] 36.28)</ref>  यह हाथियों के जगंल के नाम से विख्यात है।<ref> ([[वायु पुराण]] 39.49.)</ref>
# कृति का एक नाम जो कुरूजित् का पिता था<ref>([[विष्णु पुराण]] 4.5.31.)</ref> ।
 


'''अंजन''' [[नेत्र|नेत्रों]] की रोगों से रक्षा अथवा उन्हें सुंदर श्यामल करने के लिए एक चूर्ण द्रव्य है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= |url=}}</ref>


*यह नारियों के सोलह सिंगारों में से एक है।
*प्रोषितपतिका विरहणियों के लिए इसका उपयोग प्राय: वर्जित माना गना है।
*'मेघदूत' में कालिदास ने विरहिणी यक्षी और अन्य प्रोषितपतिकाओं को अंजन से शून्य नेत्रवाली कहा है।
*अंजन को एक विशेष प्रकार की शलाका या सलाई से आँखों में लगाते हैं।
*इसका उपयोग आज भी प्राचीन काल की ही भाँति भारत की नारियों में प्रचलित है।
*पंजाब, पाकिस्तान के कबीलाई इलाकों, अफ़गानिस्तान तथा बिलोचिस्तान में मर्द भी अंजन का प्रयोग करते हैं।
*प्राचीन वेदिका स्तंभों (रेलिंगों) पर बनी नारी मूर्तियाँ अनेक बार शलाका से नेत्र में अंजन लगाते हुए उभारी गई हैं।


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अंजन एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अंजन (बहुविकल्पी)

अंजन नेत्रों की रोगों से रक्षा अथवा उन्हें सुंदर श्यामल करने के लिए एक चूर्ण द्रव्य है।[1]

  • यह नारियों के सोलह सिंगारों में से एक है।
  • प्रोषितपतिका विरहणियों के लिए इसका उपयोग प्राय: वर्जित माना गना है।
  • 'मेघदूत' में कालिदास ने विरहिणी यक्षी और अन्य प्रोषितपतिकाओं को अंजन से शून्य नेत्रवाली कहा है।
  • अंजन को एक विशेष प्रकार की शलाका या सलाई से आँखों में लगाते हैं।
  • इसका उपयोग आज भी प्राचीन काल की ही भाँति भारत की नारियों में प्रचलित है।
  • पंजाब, पाकिस्तान के कबीलाई इलाकों, अफ़गानिस्तान तथा बिलोचिस्तान में मर्द भी अंजन का प्रयोग करते हैं।
  • प्राचीन वेदिका स्तंभों (रेलिंगों) पर बनी नारी मूर्तियाँ अनेक बार शलाका से नेत्र में अंजन लगाते हुए उभारी गई हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |

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