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'''आनर्त''' [[प्राचीन भारत]] में [[गुजरात]] के उत्तर भाग को कहा जाता था। द्वारावती आधुनिक [[द्वारका]] इसकी प्रधान नगरी थी।<ref>आनर्तान् कालकूटांश्च कुलिन्दांश्च विजित्य स: महाभारत, सभापर्व- 26, 4।</ref> | |||
*[[महाभारत]] के अनुसार [[अर्जुन]] ने [[पश्चिम दिशा]] की विजय-यात्रा में आनर्तों को जीता था। | |||
*[[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]] के एक अन्य वर्णन से ज्ञात होता है कि आनर्त का राजा [[शाल्व]] था, जिसकी राजधानी '''सौभनगर''' में थी। श्री [[कृष्ण]] ने इस देश को शाल्व से जीत लिया था।<ref>किन्तु शाल्वपुर; मार्तिकावत</ref> | |||
*[[विष्णु पुराण]] में आनर्त की राजधानी [[कुशस्थली]]<ref>[[द्वारका]] का प्राचीन नाम</ref> बताई गई है- | |||
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'आनर्तस्यापि रेवतनामा पुत्रो जज्ञे, योऽसावनर्तविशयं बुभुजे पुरीं च कुशस्थलीमध्युवास।'<ref>[[विष्णु पुराण]] 4, 1, 64</ref></blockquote> | |||
इस उद्धरण से यह भी सूचित होता है कि आनर्त के [[रेवत|राजा रेवत]] के [[पिता]] का नाम आनर्त था। इसी के नाम से इस देश का नाम आनर्त हुआ होगा। | |||
*रेवत [[बलराम]] की पत्नी [[रेवती (बलराम की पत्नी)|रेवती]] के पिता थे। | |||
*[[महाभारत]]<ref>उद्योगपर्व 7,6</ref> से भी विदित होता है कि आनर्त नगरी, [[द्वारका]] का नाम था- | |||
<blockquote>'तमेव दिवसं चापि कौन्तेय: पांडुनंदन:, आनर्त नगरीं रम्यां जगामाशु धनंजय:।'</blockquote> | |||
*[[गिरनार]] के प्रसिद्ध [[अभिलेख]] के अनुसार [[रुद्रदामन]] ने 150 ई. के लगभग अपने [[पहलव]] [[अमात्य]] सुविशाख को आनर्त और [[सौराष्ट्र]] आदि [[जनपद|जनपदों]] का शासक नियुक्त किया था- | |||
<blockquote>'कृत्स्नानामानर्त सौराष्ट्राणां पालनार्थं नियुक्तेन पह्लवे कुलैप पुत्रेणामात्येन सुविशाखेन।'</blockquote> | |||
*रुद्रदामन ने आनर्त को [[सिंधु]]-[[सौवीर]] आदि जनपदों के साथ विजित किया था। | |||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 63-64| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | |||
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12:59, 4 मई 2018 के समय का अवतरण
आनर्त प्राचीन भारत में गुजरात के उत्तर भाग को कहा जाता था। द्वारावती आधुनिक द्वारका इसकी प्रधान नगरी थी।[1]
- महाभारत के अनुसार अर्जुन ने पश्चिम दिशा की विजय-यात्रा में आनर्तों को जीता था।
- सभापर्व के एक अन्य वर्णन से ज्ञात होता है कि आनर्त का राजा शाल्व था, जिसकी राजधानी सौभनगर में थी। श्री कृष्ण ने इस देश को शाल्व से जीत लिया था।[2]
- विष्णु पुराण में आनर्त की राजधानी कुशस्थली[3] बताई गई है-
'आनर्तस्यापि रेवतनामा पुत्रो जज्ञे, योऽसावनर्तविशयं बुभुजे पुरीं च कुशस्थलीमध्युवास।'[4]
इस उद्धरण से यह भी सूचित होता है कि आनर्त के राजा रेवत के पिता का नाम आनर्त था। इसी के नाम से इस देश का नाम आनर्त हुआ होगा।
- रेवत बलराम की पत्नी रेवती के पिता थे।
- महाभारत[5] से भी विदित होता है कि आनर्त नगरी, द्वारका का नाम था-
'तमेव दिवसं चापि कौन्तेय: पांडुनंदन:, आनर्त नगरीं रम्यां जगामाशु धनंजय:।'
- गिरनार के प्रसिद्ध अभिलेख के अनुसार रुद्रदामन ने 150 ई. के लगभग अपने पहलव अमात्य सुविशाख को आनर्त और सौराष्ट्र आदि जनपदों का शासक नियुक्त किया था-
'कृत्स्नानामानर्त सौराष्ट्राणां पालनार्थं नियुक्तेन पह्लवे कुलैप पुत्रेणामात्येन सुविशाखेन।'
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 63-64| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार