"ठुकरा दो या प्यार करो -सुभद्रा कुमारी चौहान": अवतरणों में अंतर
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धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं | धूमधाम से साज-बाज से वे मंदिर में आते हैं | ||
मुक्तामणि | मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुऐं लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं | ||
मैं ही हूँ | मैं ही हूँ ग़रीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लायी | ||
फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आयी | फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने चली आयी | ||
धूप-दीप-नैवेद्य नहीं है झांकी का | धूप-दीप-नैवेद्य नहीं है झांकी का श्रृंगार नहीं | ||
हाय! गले में पहनाने को फूलों का भी हार नहीं | हाय! गले में पहनाने को फूलों का भी हार नहीं | ||
09:16, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं |