"पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर''' हस्तिनापुर के एक पुरा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(2 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर''' [[हस्तिनापुर]] के एक पुराने शहरे में [[खंडहर]] में स्थित है। हस्तिनापुर [[उत्तर प्रदेश]] के [[मेरठ ज़िला|मेरठ ज़िले]] के निकट स्थित है। यह मन्दिर भगवान [[शिव]] को समर्पित है। किंवदंतियों के अनुसार, मंदिर के गर्भगृह में रखा [[शिवलिंग]] दानवीर [[कर्ण]] ने दान दिया था, जो [[पांडव|पांडवों]] के बड़े भाई थे। कर्ण को अपने समय का सबसे बड़ा परोपकारी माना जाता है। मन्दिर एक छोटी पहाड़ी के शीर्ष पर बंगाली समुदाय द्वारा निर्मित [[काली देवी|माँ काली]] की मूर्ति के नीचे स्थित है। यहाँ से हस्तिनापुर और उसके आस-पास के क्षेत्रों का तथा शहर का शानदार दृश्य  देखने को मिलता है।
{{सूचना बक्सा पर्यटन
|चित्र=Pandeshwar-Temple.jpg
|चित्र का नाम=पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर
|विवरण='पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर' [[हस्तिनापुर]] के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है।
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]]
|केन्द्र शासित प्रदेश=
|ज़िला=
|निर्माता=[[युधिष्ठर]]
|स्वामित्व=
|प्रबंधक=
|निर्माण काल=[[महाभारत]]
|स्थापना=
|भौगोलिक स्थिति=
|मार्ग स्थिति=
|मौसम=
|तापमान=
|प्रसिद्धि=
|कब जाएँ=
|कैसे पहुँचें=
|हवाई अड्डा=
|रेलवे स्टेशन=
|बस अड्डा=
|यातायात=
|क्या देखें=
|कहाँ ठहरें=
|क्या खायें=
|क्या ख़रीदें=
|एस.टी.डी. कोड=
|ए.टी.एम=
|सावधानी=
|मानचित्र लिंक=
|संबंधित लेख=[[पाण्डव]], [[युधिष्ठर]], [[हस्तिनापुर]]
|शीर्षक 1=विशेष
|पाठ 1=किंवदंतियों के अनुसार, मन्दिर के गर्भगृह में रखा [[शिवलिंग]] दानवीर [[कर्ण]] ने दान दिया था, जो [[पांडव|पांडवों]] के बड़े भाई थे।
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=कहा जाता है कि जब युधिष्ठर [[द्रौपदी]] के साथ यहाँ भोलेनाथ की [[पूजा]] करते थे, तो उनके चारों भाई मन्दिर के चारों गुंबदों पर [[शिव]] की आराधना करते थे।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
 
'''पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर''' [[हस्तिनापुर]] के एक पुराने शहरे में [[खंडहर]] में स्थित है। हस्तिनापुर [[उत्तर प्रदेश]] के [[मेरठ ज़िला|मेरठ ज़िले]] के निकट स्थित है। यह मन्दिर भगवान [[शिव]] को समर्पित है। किंवदंतियों के अनुसार, मन्दिर के गर्भगृह में रखा [[शिवलिंग]] दानवीर [[कर्ण]] ने दान दिया था, जो [[पांडव|पांडवों]] के बड़े भाई थे। कर्ण को अपने समय का सबसे बड़ा परोपकारी माना जाता है। मन्दिर एक छोटी पहाड़ी के शीर्ष पर बंगाली समुदाय द्वारा निर्मित [[काली देवी|माँ काली]] की मूर्ति के नीचे स्थित है। यहाँ से हस्तिनापुर और उसके आस-पास के क्षेत्रों का तथा शहर का शानदार दृश्य  देखने को मिलता है।<ref>{{cite web |url=http://hindi.nativeplanet.com/hastinapur/attractions/old-pandeshwar-temple/|title=पुराना पाण्डेश्वर मन्दिर, हस्तिनापुर|accessmonthday=07 अगस्त|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
==इतिहास==
महाभारतकालीन नगरी हस्तिनापुर के पांडव वन ब्लॉक स्थित प्राचीन पाण्डेश्वर मन्दिर क्षेत्र के साथ-साथ दूर-दराज के लोगों की भी आस्था का केंद्र है। [[महाभारत]] काल से जुड़ा होने के कारण इस मन्दिर की मान्यता और भी अधिक है। मन्दिर में स्थित प्राकृतिक [[शिवलिंग]] की स्थापना पांडवों ने की थी। बताया जाता है कि पाण्डेश्वर मन्दिर का [[इतिहास]] लगभग पांच हजार वर्षों से भी अधिक पुराना है। [[हिन्दू धर्म]] के ग्रंथों आदि में भी इस मन्दिर का उल्लेख है। अति प्राचीन होने के कारण इस मन्दिर का उल्लेख पुरातत्व विभाग आदि ने भी किया है। मन्दिर की मान्यताओं को लेकर कई तरह की किदवंतियाँ भी जुड़ी हैं।
====नामकरण====
बुजुर्गों के अनुसार महाभारत काल में [[हस्तिनापुर]] के महाराज [[पाण्डु]] के ज्येष्ठ पुत्र [[युधिष्ठर]] ने धर्म युद्ध से पहले यहाँ पर शिवलिंग की स्थापना करवा कर भगवान [[शिव]] से युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद लिया था। इसी मन्दिर में [[पाण्डव]] [[द्रौपदी]] के साथ [[पूजा]]-अर्चना करने के लिए आते थे। पांडवों के पूजा करने से ही इस मन्दिर का नाम 'पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर' पड़ गया।
==मान्यता==
यह भी कहा जाता है कि जब युधिष्ठर द्रौपदी के साथ यहाँ भोलेनाथ की पूजा करते थे, तो उनके चारों भाई मन्दिर के चारों गुंबदों पर शिव आराधना करते थे। हर साल दोनों '[[शिवरात्रि|शिवरात्रियों]]' पर लगने वाला [[भक्त|भक्तों]] का तांता मन्दिर की मान्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। मान्यता है कि जो शिव भक्त सावन मास के महीने में प्रतिदिन पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर में स्थित [[शिवलिंग]] पर पंचामृत- [[दूध]], [[घी]], [[दही]], [[शहद]], [[गंगाजल]] से [[स्नान]] कराने के बाद पूजा-अर्चना करता है, उसे मनवांछित फल प्राप्त होता है।<ref>{{cite web |url=https://sites.google.com/site/pandavbuiltreligeousplace/pandeshwar-mandir|title=पाण्डेश्वर मन्दिर|accessmonthday=07 अगस्त|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
====वट वृक्ष====
मन्दिर परिसर में स्थित सैकड़ों [[वर्ष]] पुराना [[वट|वट वृक्ष]] व शीतल [[जल]] का [[कुआँ]] आज भी शिव भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मन्दिर समिति और प्रशासन द्वारा यहाँ आने वाले भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं। महिला श्रद्धालुओं को अलग से जल चढ़ाने की व्यवस्था व दूर-दराज के शिव भक्तों को भोजन आदि के लिए भंडारे की व्यवस्था मन्दिर समिति द्वारा की जाती है।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
{{शिव मंदिर}}{{शिव2}}
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल]][[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
{{उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल}}
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल]][[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:हिन्दू मन्दिर]][[Category:हिन्दू धार्मिक स्थल]][[Category:हिन्दू तीर्थ]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

10:10, 10 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण

पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर
पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर
पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर
विवरण 'पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर' हस्तिनापुर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है।
राज्य उत्तर प्रदेश
निर्माता युधिष्ठर
निर्माण काल महाभारत
संबंधित लेख पाण्डव, युधिष्ठर, हस्तिनापुर विशेष किंवदंतियों के अनुसार, मन्दिर के गर्भगृह में रखा शिवलिंग दानवीर कर्ण ने दान दिया था, जो पांडवों के बड़े भाई थे।
अन्य जानकारी कहा जाता है कि जब युधिष्ठर द्रौपदी के साथ यहाँ भोलेनाथ की पूजा करते थे, तो उनके चारों भाई मन्दिर के चारों गुंबदों पर शिव की आराधना करते थे।

पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर हस्तिनापुर के एक पुराने शहरे में खंडहर में स्थित है। हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के निकट स्थित है। यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। किंवदंतियों के अनुसार, मन्दिर के गर्भगृह में रखा शिवलिंग दानवीर कर्ण ने दान दिया था, जो पांडवों के बड़े भाई थे। कर्ण को अपने समय का सबसे बड़ा परोपकारी माना जाता है। मन्दिर एक छोटी पहाड़ी के शीर्ष पर बंगाली समुदाय द्वारा निर्मित माँ काली की मूर्ति के नीचे स्थित है। यहाँ से हस्तिनापुर और उसके आस-पास के क्षेत्रों का तथा शहर का शानदार दृश्य देखने को मिलता है।[1]

इतिहास

महाभारतकालीन नगरी हस्तिनापुर के पांडव वन ब्लॉक स्थित प्राचीन पाण्डेश्वर मन्दिर क्षेत्र के साथ-साथ दूर-दराज के लोगों की भी आस्था का केंद्र है। महाभारत काल से जुड़ा होने के कारण इस मन्दिर की मान्यता और भी अधिक है। मन्दिर में स्थित प्राकृतिक शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी। बताया जाता है कि पाण्डेश्वर मन्दिर का इतिहास लगभग पांच हजार वर्षों से भी अधिक पुराना है। हिन्दू धर्म के ग्रंथों आदि में भी इस मन्दिर का उल्लेख है। अति प्राचीन होने के कारण इस मन्दिर का उल्लेख पुरातत्व विभाग आदि ने भी किया है। मन्दिर की मान्यताओं को लेकर कई तरह की किदवंतियाँ भी जुड़ी हैं।

नामकरण

बुजुर्गों के अनुसार महाभारत काल में हस्तिनापुर के महाराज पाण्डु के ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठर ने धर्म युद्ध से पहले यहाँ पर शिवलिंग की स्थापना करवा कर भगवान शिव से युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद लिया था। इसी मन्दिर में पाण्डव द्रौपदी के साथ पूजा-अर्चना करने के लिए आते थे। पांडवों के पूजा करने से ही इस मन्दिर का नाम 'पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर' पड़ गया।

मान्यता

यह भी कहा जाता है कि जब युधिष्ठर द्रौपदी के साथ यहाँ भोलेनाथ की पूजा करते थे, तो उनके चारों भाई मन्दिर के चारों गुंबदों पर शिव आराधना करते थे। हर साल दोनों 'शिवरात्रियों' पर लगने वाला भक्तों का तांता मन्दिर की मान्यता का प्रत्यक्ष प्रमाण है। मान्यता है कि जो शिव भक्त सावन मास के महीने में प्रतिदिन पाण्डेश्वर महादेव मन्दिर में स्थित शिवलिंग पर पंचामृत- दूध, घी, दही, शहद, गंगाजल से स्नान कराने के बाद पूजा-अर्चना करता है, उसे मनवांछित फल प्राप्त होता है।[2]

वट वृक्ष

मन्दिर परिसर में स्थित सैकड़ों वर्ष पुराना वट वृक्ष व शीतल जल का कुआँ आज भी शिव भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मन्दिर समिति और प्रशासन द्वारा यहाँ आने वाले भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं। महिला श्रद्धालुओं को अलग से जल चढ़ाने की व्यवस्था व दूर-दराज के शिव भक्तों को भोजन आदि के लिए भंडारे की व्यवस्था मन्दिर समिति द्वारा की जाती है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुराना पाण्डेश्वर मन्दिर, हस्तिनापुर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 07 अगस्त, 2013।
  2. पाण्डेश्वर मन्दिर (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 07 अगस्त, 2013।

संबंधित लेख