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*फिसलनी शिला का स्वरूप किसी भी पार्क में लगे स्लाइडर के समान है, जिस पर एक तरफ़ से ऊंचा चढ़कर दूसरी तरफ़ से फिसलते हुए बच्चे नीचे आते हैं।
==फिसलनी शिला / Phisalani Shila==
*[[ब्रज चौरासी कोस की यात्रा]] को आने वाले लाखों तीर्थयात्री पिछले 5000 वर्षों से इस शिला पर फिसलने का आनन्द लेते थे।
कलावता ग्राम के पास में इन्द्रसेन पर्वत पर फिसलनी शिला विद्यमान है। गोचारण करने के समय श्री [[कृष्ण]] सखाओं के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करते थे। कभी–कभी [[राधा|राधिकाजी]] भी सखियों के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करती थीं। आज भी निकट गाँव के लड़के गोचारण करते समय बड़े आनन्द से यहाँ पर फिसलने की क्रीड़ा करते हैं। यात्री भी इस क्रीड़ा कौतुकवाली शिला को दर्शन करने के लिए जाते हैं।
*अनेक महान् [[संत]] और आचार्य भी शिला पर फिसलकर भगवतलीला का स्मरण करते थे।
*वर्तमान समय में निकट के पहाड़ पर होने वाले डायनामाइट के धमाकों से फिसलनी शिला कई जगह से फट गई है।


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11:06, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

फिसलनी शिला काम्यवन
विवरण 'फिसलनी शिला' ब्रज में स्थित कलावता ग्राम के पास इन्द्रसेन पर्वत पर अवस्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ गोचारण करने के समय फिसलने की क्रीड़ा करते थे।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
प्रसिद्धि धार्मिक स्थल
कब जाएँ कभी भी
यातायात बस, कार, ऑटो आदि।
क्या देखें व्योमासुर गुफ़ा, गया कुण्ड, गोविन्द कुण्ड, घोषरानी कुण्ड, दोहनी कुण्ड
संबंधित लेख मथुरा, ब्रज, कृष्ण, राधा, ब्रज चौरासी कोस की यात्रा आदि।


अन्य जानकारी ब्रज यात्रा के समय यात्री भी इस क्रीड़ा शिला के दर्शन करने के लिए जाते हैं और शिला पर फिसलने का आनन्द लेते हैं
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फिसलनी शिला ब्रज में कलावता ग्राम के पास इन्द्रसेन पर्वत पर अवस्थित है। ऐसी मान्यता है कि, गोचारण करने के समय श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करते थे। कभी–कभी राधा जी भी सखियों के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करती थीं। आज भी गाँव के लड़के गोचारण करते समय बड़े आनन्द से यहाँ पर फिसलने की क्रीड़ा करते हैं। ब्रज यात्रा के समय यात्री भी इस क्रीड़ा शिला के दर्शन करने के लिए जाते हैं।

  • फिसलनी शिला का स्वरूप किसी भी पार्क में लगे स्लाइडर के समान है, जिस पर एक तरफ़ से ऊंचा चढ़कर दूसरी तरफ़ से फिसलते हुए बच्चे नीचे आते हैं।
  • ब्रज चौरासी कोस की यात्रा को आने वाले लाखों तीर्थयात्री पिछले 5000 वर्षों से इस शिला पर फिसलने का आनन्द लेते थे।
  • अनेक महान् संत और आचार्य भी शिला पर फिसलकर भगवतलीला का स्मरण करते थे।
  • वर्तमान समय में निकट के पहाड़ पर होने वाले डायनामाइट के धमाकों से फिसलनी शिला कई जगह से फट गई है।


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